नरेंद्र देवांगन |
पैरों में दर्द होने की शिकायत कई लोगों को होती है। कुछ लोगों के पैरों में दर्द चलने से शुरू हो जाता है। जब वे चलना बंद कर देते हैं तो विश्रामावस्था में पैरों से दर्द गायब हो जाता है और दोबारा चलने से फिर वही दर्द उभरता है। कभी-कभी बुजुर्ग लोग अफसर पैरों में दर्द होने की शिकायत करते हैं। कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिनके पैरों में दर्द चलने से कम हो जाता है पर लेटने पर दर्द की तीव्रता बढ़ जाती है।
हमारे देश में पैरों में दर्द होने का सबसे बड़ा कारण टांगों की रक्त धमनियों की बीमारी है। ये रक्त धमनियां पैरों को आॅक्सीजनयुक्त शुद्ध खून की सप्लाई करती हैं जिससे पैर अपना कार्य सुचारू रूप से कर सकें और आवश्यकता पड़ने पर शुद्ध खून की ज्यादा मात्र पैरों को उपलब्ध करा सकें। पर जब ये रक्त धमनियां किसी वजह से शुद्ध रक्त की आवश्यक मात्र टांगों को नहीं पहुंचा पाती हैं तो टांगों में चलने से दर्द शुरू हो जाता है, क्योंकि चलने से या पैरों का व्यायाम करने से शुद्ध आॅक्सीजन की मांग अचानक बढ़ जाती है जो रूग्ण धमनी पूरा नहीं कर पाती है। अगर आप मधुमेह के मरीज हैं या धूम्रपान, सिगरेट, बीड़ी व हुक्का के आदी हैं या फिर तंबाकू और उससे बने पदार्थों जैसे जदार्युक्त पान मसाला, खैनी वगैरह के आदी हैं और साथ ही साथ पैरों में दर्द को लेकर परेशान हैं तो होशियार हो जाइए वरना देर-सवेर पैर गंवाने पड़ सकते हैं। अक्सर लोगों को यह भ्रम रहता है कि मधुमेह का पैरों से कोई संबंध नहीं है। मधुमेह का रोग सिर्फ हृदय से संबंधित है। उसी तरह से धूम्रपान के आदी लोग यह समझते हैं कि धूम्रपान से सिर्फ फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है और कैंसर हो जाता है।
पर लोग यह नहीं जानते कि धूम्रपान के आदी व तंबाकू के व्यसनी लोगों में पैरों में गैंगरीन होने का खतरा हमेशा मंडराता रहता है। मधुमेह का मरीज अगर धूम्रपान भी करता है या तंबाकू का सेवन करता है तो वह वही कहावत हो गई ‘करेला वो भी नीम चढ़ा’। मधुमेह व धूम्रपान दोनों मिलकर पैरों का सत्यानाश कर देते हैं। इसलिए टांगों व पैरों को स्वस्थ व क्रियाशील रखने के लिए इन दोनों पर अंकुश रखना अत्यंत आवश्यक है।
पैरों की रक्त धमनी के ठीक से काम न करने के कई कारण होते हैं-जैसे मधुमेह रोग, जिसमें रक्त धमनी की दीवारों पर लगातार चर्बी व कैल्शियम जमा होने लगता है जिससे रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है। रक्त धमनी के बीमार होने का दूसरा कारण धूम्रपान व तंबाकू का सेवन है। तंबाकू में एक रासायनिक तत्व निकोटिन पाया जाता है जो धमनी की छोटी-छोटी शाखाओं में सिकुड़न ला देता है और पैर को जाने वाले रक्त प्रवाह को कम कर देता है। अगर मधुमेह व धूम्रपान के मरीज को पैर में दर्द होना शुरू हो जाए तो बिना देरी के कार्डियो वैस्क्युलर विशेषज्ञ से संपर्क कर रक्त धमनी की जांच करवाएं। पैरों में दर्द होने पर किसी जनरल सर्जन या हड्डी विशेषज्ञ के बजाय किसी वैस्क्युलर सर्जन से परामर्श लें और उनकी निगरानी में रक्त धमनियों या शिराओं की जांच कराएं। इनकी जाचों को डॉपलर स्टडी, एमआर वीनोग्राम, एमआर आर्टिरियोग्राफी व एंजियोग्राफी, डिजिटल सब्टैऊक्शन एंजियोग्राफी की जरूरत जड़ती है। इसलिए ऐसे किसी अस्पताल में जाएं जहां किसी वैस्क्युलर सर्जन की चौबीसों घंटे उपलब्धता हो व इन सब जांचों की सुविधा हो क्योंकि इन सब जांचों के आधार पर ही इलाज की सही दिशा तय होती है। पैरों में दर्द के लिए अगर रूग्ण धमनियां जिम्मेदार हैं तो पैरों में रक्त प्रवाह को फिर बहाल करने के लिए कई विधाओं का सहारा लेना पड़ता है, जैसे धमनी पुनर्निर्माण, धमनी बाईपास व एंजियोप्लास्टी, स्टेटिंग। अगर टांग में दर्द का कारण शिराओं का रोग है तो वॉल्व पुनर्निर्माण, धमनी बाईपास व एंजियोप्लास्टी, स्टेटिंग। अगर टांग में दर्द का कारण शिराओं का रोग है तो वॉल्व पुनर्निर्माण व वेन्स बाईपास सर्जरी का सहारा लेना पड़ता है। शिराओं के रोग में ज्यादातर मामलों में अन्य तरकीबें, जैसे क्रमित दबाव जुराबें, न्यूमेटिक कॉप्रैशन डिवाइस व कुछ विशेष व्यायाम व आसन लाभदायक होते हैं।