राजेंद्र सिंह सैनी |
सौंफ का प्रयोग मसाले के रूप में अचार, बिस्कुट व भोजन सामग्री में तो अक्सर किया जाता है। इसके अलावा औषधि के रूप में भी यह काम में लाई जाती है। मूल रूप से इसका उत्पत्ति क्षेत्र भूमध्य सागरीय क्षेत्रों को माना जाता है। आजकल इसकी खेती भारत, मोरक्को, मिस्र व चीन में की जाती है। भारत में मुख्यत: पंजाब, आसाम, गुजरात, महाराष्ट्र में इसकी उपज अधिक होती है। इसे सौंप, सौंफ, फेनल, आनिसीड, पेरूम जीरकम के नाम से विभिन्न भाषाओं में जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम फीनीकुलम वल्गैर है। यह वनस्पति विज्ञान के एपीएसी अर्थात अम्बेलीफेरी कुल से संबन्धित है। इसकी तासीर ठंडी होती है। गर्मियों में इसका प्रयोग ठंडाई पेय में खूब किया जाता है।
सौंफ का पौधा तीव्र गंध वाला होता है। इसकी पत्तियां बड़ी व कई छोटे-छोटे खंडों में बंटी होती हैं। इसकी डोढ़ी में छोटे-छोटे पीले फूल लगते हैं। इसकी खेती का कार्य प्राय: अक्तूबर मास से आरंभ होता है और अप्रैल मास तक फसल तैयार हो जाती है।
उपयोग
इसकी पत्तियों का प्रयोग गठिया व उदर विकारों में किया जाता है। खाद्य पदार्थों में इसे स्वाद के लिए मिलाया जाता है। विभिन्न प्रकार के सीरपों व पेय पदार्थों में इसे डाला जाता है। इसका प्रयोग औषधि के रूप में भी कई रोगों के इलाज के लिए किया जाता है।
सौंफ के औषधीय गुण
आमाशय की सूजन-सौंफ का चूर्ण ठंडे पानी के साथ सुबह-शाम लेना प्रारंभ करें।
वमन के लिए : बुखार के समय यदि वमन हो तो सौंफ के चूर्ण में शहद मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर बाद चाटें।
पेट की खराबी : सौंफ को शुद्ध घी में भूनें। पीसकर शक्कर मिलाकर प्रयोग में लाएं। दूध का सेवन भी इसके बाद उत्तम होगा।
नेत्र दोषों में : सौंफ को पीसकर मिस्री के साथ सेवन करें। यह नेत्र-रोगों के लिए लाभकारी है।
पेचिश में : सौंफ को आधा कूटकर, ईसबगोल व शक्कर मिलाकर ठंडे पानी के साथ लें।
गर्मी से राहत : सौंफ को रात में पानी में भिगोकर सुबह मलकर-छानकर मिस्री मिलाकर पिएं।
मुंह की दुर्गन्ध : सौंफ को शक्कर के साथ मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर बाद चबाएं।
गर्मी से सिर दर्द : गर्मी से सिर दर्द होने पर सौंफ को पानी में पीसकर माथे पर लेप करें।
मेदे की खुश्की : सौंफ को हरी अवस्था में तोड़कर अर्क निकाल व मिस्री के साथ सेवन करें
सावधानियां: सौंफ का प्रयोग छाती रोग से पीड़ित स्त्री-पुरूष और बच्चों के लिए हानिकारक है। यह कफ को बढ़ा सकता है।