बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ की मुहिम के झंडाबरदारों द्वारा उत्तराखंड की एक और बेटी अंकिता भंडारी की हत्या कर दी गई। 19 वर्षीय अंकिता ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला थाना क्षेत्र और चीला के बीच स्थित वंतरा नामक एक रिजॉर्ट में बतौर रिसेप्शनिस्ट काम करती थी। इस रिजॉर्ट का स्वामित्व भाजपा नेता और पूर्व राज्यमंत्री विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य का बताया जा रहा है। आरोप है कि अंकिता की हत्या रिजॉर्ट संचालक पुलकित आर्य और रिजॉर्ट मैनेजर सौरभ और उसके एक अन्य सहयोगी रिजॉर्ट कर्मी ने कर उसकी लाश नहर में फेंक दी। हत्यारों पर आरोप है कि वे बार बार अंकिता भंडारी को अपने व अपने रिजॉर्ट के अतिथियों के साथ ‘अनैतिक शारीरिक संबंध’ बनाने के लिए मजबूर कर रहे थे। वे उसे वेश्यावृत्ति में धकेलना चाहते थे। जब अंकिता ने इस काम से इंकार किया और रिजॉर्ट में चलने वाले इस धंधे की पोल खोलने की धमकी दी तो उसकी हत्या कर उसका शव ऋषिकेश-हरिद्वार मार्ग पर चीला शक्ति नहर में फेंक दिया गया।
अंकिता की हत्या के बाद कई चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा हो रहा है, जिनसे साफ पता चलता है कि आम भारतीय गरीब परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाली अंकिता कितनी होनहार, चरित्रवान, पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने का जज्बा रखने वाली तथा गरीबी में पालन पोषण होने के बावजूद अपने उज्जवल भविष्य का सपना देखने वाली सुशील युवती थी, जबकि उसके हत्यारे उत्तराखंड सरकार में पूर्व मंत्री रहे व सत्ता में ऊंचे रसूख रखने वाले नेता का पुत्र जो स्वयं भाजपा नेता होने के बावजूद ऋषिकेश जैसी पवित्र व धार्मिक नगरी में हिंदू धर्म में सबसे पवित्र मानी जाने वाली गंगा नदी के पावन तट पर एक ऐसा रिजॉर्ट चलाता था, जहां आम ग्राहकों से लेकर विशिष्ट अतिथियों तक को शारीरिक संबंध बनाने के लिए लड़कियां परोसी जाती थीं। गोया धर्म और संस्कृति की दुहाई देने वाले लोग गंगानगरी में भी जबरन चलाई जाने वाली वेश्यावृति की कमाई खाने जैसे अनैतिक, अमानवीय व गैर कानूनी धंधे में संलिप्त थे। बहरहाल, अंकिता की हत्या में पुलकित आर्य की संलिप्तता के बाद भाजपा नेता व पूर्व राज्यमंत्री विनोद आर्य व उनके बेटे पुलकित आर्य को भाजपा ने पार्टी से निष्कासित कर पार्टी को बदनामी से बचाने का वैसा ही प्रयास किया है जैसा कि पार्टी पहले भी करती रही है।
परंतु विनोद आर्य की ढिढाई की भी तारीफ करनी पड़ेगी कि उन्होंने पार्टी के निष्कासन की बात से इंकार किया है और इस दुर्भायपूर्ण घटना में भी अपना राजनैतिक लाभ तलाशते हुए यह बयान दिया है कि पार्टी ने उन्हें निष्कासित नहीं किया है, बल्कि उन्होंने स्वयं इसलिए त्यागपत्र दिया है ताकि इस घटना की जांच निष्पक्ष रूप से हो सके। निष्पक्ष जांच का ढोंग करने वाले इसी ‘संस्कारी’ पूर्व मंत्री पर उत्तरकाशी के कई पत्रकारों ने आरोप लगाया है कि अंकिता के हत्यारे का पिता व पूर्व राज्यमंत्री विनोद आर्य कथित तौर पर उन पत्रकारों को फोन पर धमका रहा है, जिन्होंने इस खबर को उजागर किया और प्रमुखता से इसे रोज प्रकाशित कर रहे हैं। उत्तराखंड के कई पत्रकार संघों ने इस संबन्ध में राज्यपाल को ज्ञापन भी भेजा है। ज्ञापन में पत्रकार संघों ने धमकी देने वाले पर कड़ी कानूनी कार्रवाई व अपनी सुरक्षा की मांग की है। इस लोमहर्षक हत्याकांड से विशेषकर उत्तराखंड सहित पूरे देश की जनता में भारी रोष व्याप्त है। कुछ प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय बीजेपी विधायक रेणु बिष्ट की गाड़ी पर भी हमला किया। देश के अनेक नगरों से अंकिता के समर्थन तथा हत्यारों के विरोध में रोषपूर्ण प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं।
गौरतलब है कि इन रोष प्रदर्शनों में नारी सम्मान के वह स्वयंभू रक्षक शामिल नहीं हैं, जो झारखंड में कुछ दिनों पूर्व अंकिता नाम की ही एक अन्य लड़की की जघन्य हत्या के विरोध में सिर्फ इसलिए पहुंच जाते हैं, क्योंकि हत्यारा धर्म विशेष से संबंधित था। और ऐसी जगहों पर पहुंच कर अपने आक्रामक भाषण देकर सांप्रदायिकता का जहर घोलना ही इनका मुख्य मकसद है। आज अंकिता भंडारी की सिर्फ इसलिए हत्या कर दी गई कि जिस्म फरोशी की कमाई खाने वालों की गलत बात मानने से एक गरीब चरित्रवान लड़की ने इंकार कर दिया? आज बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारा बरदार मंत्री व नेता विशेषकर महिला मंत्री न जाने कहां अपना मुंह छुपाये बैठे हैं? इस घटना में और भी कई तथ्यों पर से अभी पर्दा उठना बाकी है। जैसे कि किस विशिष्ट व्यक्ति का बिस्तर गर्म करने के लिए अंकिता को दस हजार रुपयों की पेशकश की गई थी? और यह भी कि बिना जांच-पड़ताल पूरी किए उस रिजॉर्ट को जमींदोज किए जाने का मकसद कहीं रिजॉर्ट के काले करतूतों के सुबूत नष्ट करना तो नहीं था? अगर ऐसा है तो यह बहुत गंभीर बात है। इसकी गहनता से जांच होनी चाहिए।
सलाम है उस अंकिता पर जिसने अपनी एक मित्र को भेजे गए व्हाट्सएप संदेश में यह लिखा, ‘मैं गरीब हो सकती हूं, लेकिन मैं खुद को 10,000 रुपये में नहीं बेचूंगी।’ और धिक्कार है ऐसे सफेद पोश ढोंगियों पर जो धर्म, देश, संस्कृति और नारी सम्मान की झूठी व ढोंगपूर्ण बातें तो बड़े ही जोर-शोर से करते हैं, परंतु स्वयं वेश्यावृति जैसे काले धंधों में संलिप्त होकर इसी की कमाई खाते हैं? और अगर दुष्कर्म की शिकार लड़की किसी दूसरे धर्म की है तो इन्हें हत्यारों व दुष्कर्मियों के समर्थन में खड़े होने में भी शर्म नहीं आती। बिल्कीस बानो व आसिफा जैसे कई उदाहरण देखे जा सकते हैं। अंकिता हत्याकांड से एक बार फिर यही सबक मिलता है कि बेटी बचाओ के इनके झांसे में आने की नहीं बल्कि बेटी तो इन स्वयंभू ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवादियों’ से ही बचाने की जरूरत है।