Saturday, July 27, 2024
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जनवाणी के समूह संपादक यशपाल सिंह को दिया गया डॉक्टर कृष्णचंद्र गुप्त सम्मान 2023

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  • डॉक्टर कृष्ण गुप्त स्मृति न्यास दिल्ली ने आयोजित किया कार्यक्रम

जनवाणी संवाददाता |

मुजफ्फरनगर: दैनिक जनवाणी के समूह संपादक यशपाल सिंह को मुजफ्फरनगर में डॉ कृष्णचंद्र गुप्त सम्मान 2023 से सम्मानित किया गया। यह सम्मान समारोह प्रख्यात साहित्यकार डॉ कृष्णचंद्र गुप्त के स्मरण में आयोजित किया जाता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ उमाकांत शुक्ल रहे जबकि समारोह के अध्यक्ष डॉ बीके मिश्र रहे।

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समारोह को संबोधित करते हुए यशपाल सिंह ने कहा कि डॉक्टर कृष्णचंद्र गुप्ता स्मृति न्यास दिल्ली द्वारा जो सम्मान उन्हें दिया गया है वह उसके आभारी हैं।

उन्होंने कहा कि साहित्य एक साधना है, जो मन से आती है। साहित्यकारों का मिजाज फकीरी होता है, परंतु आजकल कुछ साहित्यकारों ने इसे प्रोफेशन बना दिया है।

डॉक्टर गुप्त ऐसे ही फकीरी मिजाज के साहित्यकार थे, जिन्होंने साहित्य को साधना बनाया। आज ऐसे ही लोगों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

उन्होंने समारोह में मौजूद साहित्यकारों का आह्वान किया कि वह जो भी रचना लिखते हैं, उसे आज के परिवेश के अनुसार सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रसारित जरूर करें, ताकि अधिक से अधिक लोग साहित्य का रसपान कर सकें।

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मुख्य अतिथि डॉक्टर उमाकांत शुक्ल ने कहा कि साहियकारों में सादगी होना बहुत जरूरी है। उन्होंने डॉक्टर कृष्णचंद्र गुप्त सम्मान समारोह को होटल में आयोजित करने को लेकर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह सम्मान समारोह किसी शैक्षिक संस्था में आयोजित किया जाता तो श्री गुप्त को बेहतर श्रद्धांजलि दी जा सकती थी।

साहित्य में सादगी की आवश्यकता होती है न की दिखावे की। उन्होंने आजकल के साहित्यकारों को अपने साहित्यिक रचना के लिए प्रकाशित कराने पर जो धन्यवाद साहित्यकारों द्वारा प्रेषित किया जाता है, उस पर भी टिप्पणी की।

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उन्होंने कहा कि असली साहित्यकार वो है, जिसकी रचना प्रकाशित करने के लिए अखबार या मैगजीन के लोग उसके पास पहुंचे। साहित्यकार की रचना को अखबार या पत्रिका में प्रकाशित करना अखबारों–पत्रिकाओं के लिए गौरव का विषय होता है।

समारोह को विशिष्ट वक्ता मधुर नगवान, डॉ अमित धर्म सिंह, सुनील कुमार शर्मा ने संबोधित करते हुए प्रख्यात साहित्यकार डॉक्टर कृष्णचंद गुप्त के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डॉक्टर कृष्णचंद गुप्त ऐसे साहित्यकार थे, जिन्होंने साहित्य को न केवल सींचा है बल्कि साहित्य की उपासना की है।

डॉक्टर गुप्त ने मुजफ्फरनगर में रहते हुए साहित्य को आगे बढ़ाने में जो योगदान दिया उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। डॉक्टर गुप्त एक ऐसे आलोचक थे, जो आलोचना के साथ-साथ सुधार करने का मौका साहित्यकारों को दे देते थे।

कार्यक्रम का शुभारंभ बीके मिश्र, डॉ. उमाकान्त शुक्ल, यशपाल सिंह द्वारा श्री गुप्त के फोटो पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया।

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इस दौरान रामकुमार शर्मा ‘रागी’, सुनील कुमार शर्मा, वाणी सचिव, डॉ. अमित धर्मसिंह श्रीगेन्द्र सोच, मधुर नागवान, डॉ. केडी कौशिक, डॉ प्रदीप जैन, नेमपाल प्रजापति, सुशीला जोशी, राकेश कौशिक, सुशीला जोशी, संतोष शर्मा, कमल त्यागी, निहार रंजन, रामकुमार शर्मा, डॉ वीणा गर्ग, प्रिंस मंडावर, सविता वर्मा, परमिंदर सिंह, अखिलेश, अनु मोहन जोशी, कंचन पाल, रोशनलाल वर्मा, कीर्ति राजन, कमायनो सिंघल, शिवकुमार समन्वय, अश्वनी खंडेलवाल, किशोर दयाल गुप्ता व बृजराज सिंह आदि उपस्थित रहे।

ऐसा है यशपाल सिंह का पत्रकारिता व साहित्य का सफर

1990 में दैनिक जागरण से करियर की शुरुआत हुई। 1999-2004 तक अमर उजाला में कार्यरत रहे। इसके बाद 2004 से 2010 तक फिर दैनिक जागरण के लिए सेवाएं दी। साल 2010 में दैनिक जनवाणी में बतौर समूह संपादक कार्यभार ग्रहण किया।

1992 से लगातार देश की विभिन्न पत्र और पत्रिकाओं में लेख- आलेख प्रकाशित होते रहते हैं विशेषकर खेल पत्रकारिता में। साथ ही विभिन्न राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता को कवरेज का भी अनुभव है।

खेल पर तीन पुस्तकें ‘क्रिकेट के चर्चित विवाद’, ‘स्टार खिलाड़ियों की प्रेम कहानियां’ और ‘रोमांच का महासमर’ प्रकाशित हो चुकीं हैं। आकाशवाणी पर खेल विशेषज्ञ के तौर पर वार्ताएं प्रसारित हो चुकीं हैं। सामाजिक, राजनीतिक और विभिन्न सम सामयिक विषयों पर विगत दो दशकों से तमाम समाचार पत्र व पत्रिकाओं में एक हजार से ज्यादा लेख और साक्षात्कार प्रकाशित हो चुके हैं।

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