- भाई ओम प्रकाश बोला-अनिल दुजाना को दिल्ली में कोर्ट जाते हुए उठाया
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: अनिल दुजाना मुठभेड़ पर उसके बड़े भाई ने सवाल उठाया है। उसका कहना है कि वह कड़कड़डूमा कोर्ट में सरेंडर करने गया था। उसके साथ दो अन्य साथी भी मौजूद थे। एसटीएफ ने दिल्ली में कोर्ट के बाहर से उन्हें अगवा कर लिया। उसे अलग गाड़ी से ले गये। जबकि दो अन्य साथियों को अलग दूसरी गाड़ी से ले गये। पुलिस उन्हें कहां ले गई। ये अभी तक पता नहीं लगा। अनिल दुजाना गाड़ी चलाना नहीं जानता था।
एसटीएफ टीम ने गुरुवार को जानी क्षेत्र में कुख्यात अनिल दुजाना को एनकाउंटर में मार गिराया था। शुक्रवार को मेडिकल मोर्चरी में उसका पोस्टमार्टम किया गया। इस दौरान परिजन अनिल दुजाना का शव लेने शुक्रवार दोपहर मेडिकल मोर्चरी पहुंचे। मेडिकल मोर्चरी पर शव लेने आये परिजनों के साथ अन्य कई लोग भी मौजूद थे।
अनिल के बड़े भाई ओमप्रकाश ने बताया कि अनिल दुजाना 10 अप्रैल को ही जेल से छूटकर आया था। मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए ओमप्रकाश ने बताया कि वह कड़कड़डूमा कोर्ट में सरेंडर करने गया था। उसके साथ चिल्ले गांव का रकम सिंह, निठोरा का योगेश साथ थे। एसटीएफ टीम ने कोर्ट के बाहर से अनिल दुजाना को उठाकर गाड़ी में डालकर ले गये। वहीं रकम सिंह व योगेश को दूसरी गाड़ी में ले गये।
गवाहों को धमकी मिलने की बात पर ओमप्रकाश ने बताया कि एक साल पहले भी शिकायत की थी। अब भी धमकी की शिकायत फर्जी थी। वह तो दस अप्रैल में जेल से बाहर आया था। वह अब किसी से न तो रंगदारी मांग रहा था न ही धमकी दे रहा था। सब फर्जी आरोप हैं।
भाई पहुंचा अनिल दुजाना का शव लेने
वेस्ट यूपी व दिल्ली एनसीआर का कुख्यात अनिल दुजाना यूपी पुलिस एसटीएफ के साथ हुई मुठभेड़ में ढेर हुआ था। उसे एक गोली लगी थी। वही मेडिकल मोर्चरी में करीब पौन घंटे तक डाक्टरों की टीम ने उसका पोस्टमार्टम किया। परिजन अनिल दुजाना का शव लेने मेडिकल मोर्चरी पहुंचे। अनिल दुजाना के एनकाउंटर में ढेर होने के बाद गुरुवार को उसके शव को पुलिस मेडिकल मोर्चरी लेकर पहुंची।
शुक्रवार को डाक्टरों की टीम ने पौन घंटे तक उसका पोस्टमार्टम किया और बाद में शव परिजनों को सौंप दिया। अनिल दुजाना का शव लेने उसके बड़े भाई ओमप्रकाश मेडिकल में मोर्चरी पर दोपहर पहुंचे थे। उनके साथ कई अन्य रिश्तेदार व परिचित साथ मौजूद रहे। दोपहर को परिजन अनिल दुजाना का शव लेकर उसके पैतृक गांव दुजाना लेकर निकल गये। वहां पर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
जेल में दुजाना की खूब होती थी खातिरदारी
गैंगस्टर अनिल दुजाना महाराजगंज जेल से मुजफ्फरनगर पेशी पर जाने के दौरान मेरठ जेल की हाई सिक्योरिटी में रखा जाता था। जहां उसकी मुलाकात कुख्यात बदमाश शारिक से हुई थी। जेल में दुजाना की सेवा के लिये नंबरदार और सिपाही पलक पांवड़े बिछाये रहते थे। दुजाना इन पर मोटी रकम भी खर्च करता था।
अनिल दुजाना गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर की अदालतों में पेशी पर आने के दौरान मेरठ जेल में रुकता था। इस जेल को सुरक्षित जेल माना जाता है क्यों कि अन्य जेलों में मोबाइल धड्ल्ले से चल रहे थे। दुजाना को एक बार बैरक नंबर एक में रखा गया था, जहां उसकी मुलाकात कुख्यात बदमाश शारिक चौधरी से हुई थी।
शुरुआत में जब दुजाना ने मुरादनगर में लूट की थी, उसके बाद से उसकी पहचान हुई थी। पुलिस का मानना है कि दुजाना हथियारों के सिलसिले में शारिक से मिलता था। मेरठ जेल में दुजाना के साथ नंबरदारों और सिपाहियों की फौज रहती थी। उस वक्त उससे मिलने वालों की भीड़ लगी रहती थी। आरोप है कि दुजाना जेल के नंबरदारों और सिपाहियों को हमेशा खुश रखता था।
मेरठ में कई गुर्गे काम करते थे
थाना खरखौदा क्षेत्र के गांव काजीपुर निवासी भुवनेश उर्फ भुन्नु काजीपुर ने दुजाना के कहने पर जितेंद्र उर्फ गोगी को अपने घर रुकवाया था। बाद में जितेन्द्र उर्फ गोगी दिल्ली की एक अदालत में मारा गया था। भुवनेश उर्फ भुन्नु की अनिल दुजाना गैंग से नजदीकियां थी। भुवनेश दिल्ली से एक चोरी की आॅडी कार भी काजीपुर लेकर आया था।
कार में जीपीएस लगा होने के कारण दिल्ली की स्पेशल सेल बरामद कर ले गई थीं। एक बार भुवनेश की अवैध हथियारों सहित फोटो वायरल हुई थी । दुजाना की तरह भुवनेश भी अवैध सरिया कारोबार में लिप्त रहा था। 2016 में तत्कालीन सीओ किठौर बीएस वीर कुमार पर अवैध शराब के ट्रक उतारते समय इसने गोली चला दी।
वहीं एक लाख के इनामी सोनू गुर्जर उर्फ सोनू मोरना थाना हस्तिनापुर भी भाड़े पर दुजाना के लिए हत्या करता था। मेरठ जेल पार्किंग पर कुछ दिन पूर्व महिला के साथ पिस्टल तानने में पकड़ा गया सोनू मोरना भी दुजाना का करीबी है। दुजाना को महंगे कपड़े, ब्रांडेड जूते, पहनने का शौकीन था।
2018 में हथियारों के साथ पकड़ा गया दुजाना का शूटर रॉबिन त्यागी मेरठ जेल में बंद रहा था। जिसे छोड़ने के लिए क्राइम ब्रांच की टीम कई दिन तक कोर्ट में पेश नही कर पाई थीं। मेरठ क्राइम ब्रांच आॅफिस पर मीडिया को जानकारी लगने पर पुलिस ने पेश कर जेल भेजा था।