- अवशेषों को पुरातत्व विभाग की टीम ने किया सुरक्षित
जनवाणी संवाददाता |
हस्तिनापुर: पुरातत्व विभाग की ओर से ऐतिहासिक साक्ष्यों की खोज के लिए महाभारतकालीन तीर्थ नगरी स्थित उल्टाखेड़ा टीले में उत्खनन किया जा रहा है। अभी तक मिले अवशेषों के आधार पर खंडित मूर्ति के अवशेष गुप्तकालीन होने का दावा किया जा रहा है। वहीं, लगातार खुदाई के दौरान लंबी दीवार मिलने के साथ उद्योग और प्राचीन आवासों के भी अवशेष मिल रहे हैं। जो सुर्खी और चुने से बना है। शुक्रवार को उत्खनन स्थल का विस्तार किया गया। जिसमें एक बार फिर से रोचक मिट्टी के पात्र और मृदभांड मिले।
प्राचीन पांडव टीला उल्टाखेड़ा पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा कराए जा रहे उत्खनन में राजपूतकालीन के कई प्राचीन अवशेष मिलने की बात कही गई है। इनमें महलों की दीवारें, चित्रित मृदभांड, मिट्टी के बर्तन, चूड़ियां, आग में जली हुई हड्डियां और जानवरों की हड्डियों के अवशेष मिले हैं। अभी तक की गई खुदाई के दौरान मिले अवशेषों को पुरातत्व विभाग की टीम ने सुरक्षित कर लिया है।
इन्हें जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाएगा। इसके बाद ही अधिकारिक रूप से स्पष्ट हो सकेगा कि अवशेष किस काल खंड के हैं। अधिकारियों ने पुरातत्व विभाग के आॅफिस की ओर लगभग 50 मीटर की दूरी पर एक अन्य स्थान पर खुदाई शुरू की है। यहां पर कुछ हड्डियों के अवशेष, कई प्रकार की कांच की चूड़ियां और मिट्टी के जानवर आकृति के बर्तनों के अवशेष मिले। इस सप्ताह पुरातत्व विभाग की टीम को उत्खनन के विस्तार के बाद एक स्थान पर मिट्टी के पात्र मिले, जिसे जांच के लिए सुरक्षित किया गया।
उत्खनन कार्य का हुआ विस्तार
लगभग दो माह से चल रहे उत्खनन कार्य में गंगा में कई बार आई बाढ़ बाधा बनी है। जिसके चलते लगातार उत्खनन का विस्तार किया जा रहा है। पूर्व सप्ताह सबसे पहले उत्खनन में बाढ़ के प्रमाण के साथ बालू रेत आने के चलते सोमवार को एक बार फिर उत्खनन का विस्तार किया गया। जिसमें उत्खनन टीम को मिट्टी के पात्र के कई प्राचीन अवशेष मिले।