- सरकार से नहीं मिलती सुविधा, सालों से नहीं बना औद्योगिक क्षेत्र भी
- इंडस्ट्री लगाने के लिये कई विभागों में किया जाता है शोषण
- मूलभूत सुविधाओं के लिये भी खुद का सहारा, विभाग करते हैं अनदेखी
- ठंडे बस्ते में पड़ी है औद्योगिक क्षेत्र की मांग
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल का सामान, केमिकल, कालीन, पेपर, बैंड, कैंची, कृषि उपकरण समेत आदि का यहां मेरठ में बड़ी मात्रा में विदेशों में निर्यात होता है। मेरठ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने खेल सामान के लिये प्रसिद्ध हैं, लेकिन बावजूद इसके उद्यमियों ने अपने बलबूते यहां उद्योगपुरम चला रखा है।
पिछले 20 सालों में एक औद्योगिक क्षेत्र की मांग उद्यमियों की पूरी नहीं हो पाई है। पिछले पांच सालों की बात करें तो औद्योगिक विकास प्राधिकरण को औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिये करोड़ों रुपये सरकार से मिले थे, लेकिन इसकी फाइल आज तक शासन में पैंडिंग पड़ी है। नया औद्योगिक क्षेत्र तो क्या बनता उद्यमी अपने क्षेत्रों का ही विकास नहीं कर पाते हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ अपने उद्योग-धंधों के लिये प्रसिद्ध है। यहां बड़ी नामी कंपनियां हैं, जो यहां खेल का सामान निर्यात करती हैं। इसके अलावा ट्रांसफार्मर व कृषि उपकरण बनाने वाली भी बड़ी कंपनियां यहां मेरठ में मौजूद है, लेकिन अपनों की लापरवाही के कारण यहां मेरठ में उद्योग जगत का विकास नहीं हो पाया है। अगर यहां पर औद्योगिक क्षेत्र बन जाये तो यहां नई इंडिस्ट्रयों की बाढ़ आ जायेगी।
मेरठ में छोटी बड़ी मिलाकर करीब 22 हजार से अधिक ईकाइयां हैं। इनमें लाखों लोग काम करते हैं। जिनका परिवार इन्हीं उद्योगों से चलता है। इतने लोगों को रोजगार देने के बावजूद उद्यमी परेशान हैं। औद्योगिक क्षेत्र तो छोड़ों उद्यमियों को यहां मूलभूत सुविधाओं के लिये भी तरसना पड़ता है।
यहां बिजली, पानी, सड़क समेत तमाम सुविधाओं को उद्यमियों को विभागों के चक्कर लगाने होते हैं, लेकिन उसके बावजूद हालात नहीं सुधर पा रहे हैं। पिछले कई सालों से लगातार उद्यमी सांसद, विधायकों के सामने अपनी मांगों को रखते आ रहे हैं, लेकिन उनकी मांगे पूरी होती नजर नहीं आ रही हैं।
सरकार साथ दे तो सुधरे हालात
लघु उद्योग भारती के मानगर अध्यक्ष पंकज जैन ने बताया कि सस्ती व सुलभ जमीन चाहिए। अगर इतना भी हो जाये तो उद्यमी विकास की ओर अग्रसार होंगे, लेकिन यहां जमीन मिल पाना ही मुश्किल है, बल्कि इंडस्ट्री चालने वालों का ही कागजों के नाम पर शोषण किया जाता है। विभाग की ओर से उन्हें परेशान किया जाता है। सरकार अगर उद्यमियों की समस्याओं पर ध्यान दे तो काफी सहूलियत मिल सकती है। औद्योगिक क्षेत्र मिलने से भी राहत मिलेगी और रोजगार भी बढ़ेगा। नई इंडस्ट्री लगेगी तो मेरठ का विकास और भी तेज गति से होगा। लोग अपने बलबूते ही इंडस्ट्रीज को चला रहे हैं।
30 सालों से पूरी नहीं हुई मांग
आईआईए अध्यक्ष सुमनेश अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान में सरकारी विभागों व निजी व्यक्तिायों द्वारा कई विकसित क्षेत्र विकासित किये गये, लेकिन पिछले 30 सालों की ही बात करें तों यहां सरकार द्वारा अधिकृत प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण मेरठ विकास प्राधिकरण की ओर से कोई औद्योगिक क्षेत्र विकसित नहीं किया। कताई मिल को औद्योगिक क्षेत्र बनाये जाने का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में जा चुका है। निजी लोगों ने जो औद्योगिक क्षेत्र बनाये हैं वह अभी तक विकसित नहीं किये गये हैं। उद्योगपुरम को भी नगर निगम के हैंडओवर किया गया था, लेकिन यहां भी मूलभूत सविधाएं तक अधूरी हैं। पिछले 20 सालों से भी अधिक समय से कताई मिल पर औद्योगिक क्षेत्र की मांग चली आ रही हैं, लेकिन यह मामला ठंडे बस्ते में जा चुका है।
भूमि भी नहीं की जाती फ्री होल्ड
परतापुर इंडस्ट्रीयल एस्टेट मेन्यूफेक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष निपुण जैन ने बताया कि सालों से औद्योगिक क्षेत्र की मांग पूरी नहीं हुई है। अगर औद्योगिक क्षेत्र मिल जाता हो यहां नई इंडस्ट्री लगती जिससे रोजगार भी बढ़ता। आज लोग इंडस्ट्री लगाना तो चाहते हैं, लेकिन उन्हें जमीन नहीं मिल पाती है। अगर जमीन आसानी से मिल जाये तो इंडस्ट्री भी बढ़ेगी और रोजगार भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि आज छोटे से छोटे कार्य कराने के लिये भी कई बार अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। उसके बाद कहीं जाकर कार्य हो पाते हैं। मूलभूत सुविधाओं के लिये अभी तक उद्यमी तरस रहे हैं। उन्होंने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र का मामला तो ठंडे बस्ते में पहुंच चुका है। अगर नगर निगम केवल इंडस्ट्री के लिये जमीन ही फ्री होल्ड कर दे तो काफी लाभ मिल जायेगा।
ये हैं उद्यमियों की मुख्य मांगें
- उद्यमियों को मिले औद्योगिक क्षेत्र
- फ्री होल्ड की जाये इंडस्ट्रीज के लिये जमीन
- सड़कों का किया जाये सुधार
- एनओसी के नाम पर उत्पीड़न हो बंद
- विदेशों में सैंपल भेजन का खर्च कम किया जाये
- गृहकर के नाम पर हो रहा उत्पीड़न बंद हो
- निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं का मिले लाभ