गणतंत्र को लोकतंत्र, प्रजातंत्र और जनतंत्र भी कहा जाता है, गणतंत्र का अर्थ है देश में रहने वाले लोगों की सर्वाेच्च शक्ति और केवल जनता को ही देश को सही दिशा में ले जाने के लिए अपने प्रतिनिधियों को राजनीतिक नेता के रूप में चुनने का अधिकार है। भारतीय संविधान की शक्तियों के कारण ही हम देश में अपने पसंद का प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं को चुन सकते हैं। हमारे महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत में पूर्ण स्वराज के लिए 200 वर्षों से भी अधिक समय तक संघर्ष किया है। उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि उनकी आने वाली पीढ़ियां किसी की गुलाम बनकर न रहे और स्वतंत्र रूप से अपने अधिकारों का निर्वहन कर सके। अगर हम स्वाधीनता से पहले की बात करें तो हमारे देश में राजाओं, सम्राटों और ब्रिटिश सरकार का शासन रहा था। जब हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ तो उस समय भारत के पास अपना कोई संविधान नहीं था, लेकिन बाद में काफी विचार-विमर्श के बाद डॉ. बीआर अंबेडकर के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया गया और भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया गया। अगर इसके इतिहास की बात करें तो कहा जाता है कि संविधान निर्माण की प्रकिया 1946 से शुरू हुई और दिसंबर 1949 में इसका खाका बनकर तैयार हुआ। आजादी के बाद हमारे देश के राजनेताओं ने देश में लोकतंत्र की व्यवस्था को लागू करने के लिए एक संविधान बनाया, जिसे बनने में करीब 3 साल लगे (इस प्रक्रिया में कुल 2 साल, 11 महीने और 18 दिन लगे)।
26 जनवरी का दिन हमारे लिए बड़ा ऐतिहासिक महत्व रखता है। 1950 से पहले भी इस तिथि को 1930 से हर साल स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता था। दिसंबर 1920 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में रावी नदी के तट पर हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की थी। इसलिए हमारे नेताओं ने 26 जनवरी 1930 को बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर स्वतंत्रता दिवस मनाने का फैसला किया था। तब से हर साल 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता था। लेकिन 15 अगस्त 1947 को देश की आजादी के कारण 15 अगस्त को ही स्वतंत्रता या स्वाधीनता दिवस मनाया जाने लगा। लेकिन हमारे राजनेता 26 जनवरी की गरिमा को बनाए रखना चाहते थे, इसलिए 26 जनवरी के गौरव और गरिमा को बनाए रखने के लिए 26 जनवरी 1950 को संविधान को लागू करने का फैसला किया गया। तब से हम हर साल 26 जनवरी को अपने संविधान का जन्मदिन या हमारे गणतंत्र की वर्षगांठ मना रहे हैं। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में हर त्योहार का बहुत महत्व होता है। लेकिन गणतंत्र दिवस जिसे हम संविधान के जन्मदिन के रूप में मनाते है, यह हमें एक बड़ा संदेश देता है। इसने देश के प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार प्रदान किए हैं।
देश को एक धर्मनिरपेक्ष, संप्रभु राष्ट्र का दर्जा दिया है। इसलिए हमें हमेशा इस पर्व की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए ताकि हमारा लोकतंत्र हमेशा अमर रहे। इस साल देश अपना 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। सात दशक से अधिक समय हो चुका है जब 1950 में हमारे देश में संविधान लागू हुआ और भारत एक गणतंत्र देश बना। इस बार भारत अपना 75वां गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारी कर रहा है। हर साल इस दिन को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। सभी देशवासियों के लिए यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन के आयोजन में नई दिल्ली में कर्तव्य पथ (पूर्व में राजपथ) एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस दिन कर्तव्य पथ पर परेड होती है, भारत की जल, थल, वायु तीनों सेनाएं मार्च करती हैं और सैन्य उपकरणों के प्रदर्शन प्रदर्शित किए जाते हैं। इस साल गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अथिति के रूप में शामिल होनें के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन शामिल होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या को जयपुर में अगले 25 सालों के संबंधों को साधते हुए द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत करेंगे। दोनों नेता रक्षा-सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग, व्यापार, पयार्वरण परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा में सहयोग बढ़ाने के मुद्दे पर गहन बातचीत के साथ ही छात्रों और पेशेवरों के आदान-प्रदान पर भी चर्चा करेंगे।
गणतंत्र दिवस का महत्व इस बात को दर्शाता है कि भारत एक लोकतंत्र है और इसमें सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर होते हैं। इस दिन को मनाकर लोग अपने देश के संविधान, मूलभूत अधिकार और कर्तव्यों के प्रति समर्पित होते हैं। इस त्योहार में हमारा राष्ट्रीय और संवैधानिक गौरव निहित है। जो हमें मजबूत राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ने साहस और प्रेरणा देता है। यह दिन हमें भारत गणराज्य की स्थापना की याद दिलाता है। इस दिन हम उन महापुरुषों को भी याद करते हैं, जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलवाने और भारतीय संविधान को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनकी बदौलत ही भारत आज एक गणराज्य देश कहलाता है। हमारे महान भारतीय नेताओं ने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
हमें प्रतिज्ञा करनी होगी कि अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर भविष्य बनाना होगा। हम सब मिलकर सशक्त भारत का निर्माण करेंगे। सभी नागरिकों को संविधान के प्रति सजग करेंगे और सबको समान रूप से जीने का अवसर प्रदान करेंगे। हमें अपने सामाजिक मुद्दों जैसे गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, ग्लोबल वार्मिंग, असमानता आदि के बारे में जागरूक होना चाहिए ताकि आगे बढ़ने के लिए उन्हें हल किया जा सके।