- गंगा एक्सप्रेस-वे एलाइनमेंट में बड़ा खेल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: 14 माह से गंगा एक्सप्रेस-वे के एलाइनमेंट के बाद काशी समेत 16 गांव के बैनामे बंद थे। ये फाइनल था कि काशी से गंगा एक्सप्रेस-वे ही एलाइनमेंट होगा।
आखिर 14 माह बाद आखिर ऐसा क्या हुआ कि एलाइनमेंट चेंज कर हाजीपुर का नया एलाइनमेंट बना दिया गया? इसको लेकर किसान आक्रोशित हैं। किसानों ने सीधे भाजपा नेताओं व सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।
किसानों की विरोध में हर रोज पंचायत हो रही है, जिसमें कहा जा रहा है कि एलाइनमेंट को हाजीपुर नया एलाइनमेंट क्यों दिया गया? मीट कारोबारियों की हाजीपुर में जमीन आती है। क्योंकि मीट प्लांट तमाम बंद है और मीट प्लांट कारोबारियों की बड़ी मात्रा में जमीन इस एलाइनमेंट में जाएगी। पहले ही मीट प्लांट बंद है।
ऐसे में मीट कारोबारी अपना कारोबार प्रदेश से बाहर शिफ्ट कर रहे हैं। जमीन ज्यादा है, ऐसे में कोई खरीद भी नहीं पायेगा। इससे बेहतर यह होगा कि इस जमीन को हाजीपुर नया एलाइनमेंट बनावकर सरकार को बेच दी जाएगी।
मीट कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के लिए ही एलाइनमेंट चेंज किया गया है। ऐसा आरोप काशी समेत कई गांव के किसानों ने लगाया है। किसान इस पूरे मुद्दे को लेकर आक्रोशित हैं और दो टूक कह चुके हैं कि एलाइनमेंट काशी बदला गया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा, जिसमें भारतीय किसान यूनियन का भी सहयोग लिया जाएगा।
इसको लेकर किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत से सिसौली में जाकर मिलेगा और किसानों को न्याय दिलाने की मांग की जाएगी।
किसानों का आरोप है कि काशी एलाइनमेंट 14 माह पहले फाइनल हुआ। बैनामा बंद रखे गए। ऐसी स्थिति में अचानक क्यों एलाइनमेंट बदला गया? ये सब सवालों के घेरे में है। तर्क दिया जा रहा है कि गंगा एक्सप्रेस-वे हाजीपुर से नया एलाइनमेंट लेने से 38 किमी गंगा एक्सप्रेस-वे छोटा पड़ता है।
एडीएम (एलए) के तबादले की दिन भर उड़ती रही खबरें
एडीएम (एलए) एसएस सिद्दकी के तबादले की खबर रविवार को दिन भर उड़ती रही। सोशल मीडिया पर खबर चल रही थी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आखिर एलाइनमेंट के मामले में एडीएम एलए पर गाज गिरा दी है,मगर शाम को एडीएम एलए एसएस सिद्दकी ने तबादले की बात को खारिज कर दिया।
ये बोले-किसान
जीत सिंह किसान का कहना है कि सरकार से काफी उम्मीदें थी, मगर किसान का दिल सरकार ने तोड़ दिया है, जो एलाइनमेंट 14 माह पहले फाइनल हो चुका, उसको कैसे बदल दिया गया? इसको किसान सब जानते हैं। किसान अनपढ़ जरूर है, मगर किसान खेत से लेकर दिल्ली तक की राजनीति पर निगाहें रखता है। किसान जब अपनी पीड़ा लेकर जनप्रतिनिधियों की चौखट पर जाता हैं तो वहां भी अपमान का घूट पीना पड़ता है। इसमें ऐसा ही हो रहा है।
कटार सिंह का कहना है कि किसान के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। एलाइनमेंट को लेकर जो भ्रम की स्थिति पैदा हुई है उसको प्रशासनिक और सा शासन स्तर से संज्ञान लेकर इसमें बीच का रास्ता निकालना चाहिए। किसान पहले से ही परेशान है। फिर यूपी के मुख्यमंत्री योग्य मुख्यमंत्री है,जो इस विवाद का अवश्य ही निस्तारण करा देंगे। क्योंकि किसान भी टूट चुका है। कोरोना काल में किसान को उसकी फसल की कीमत नहीं मिल पाई। आम की फसल भी पिट गई। सब्जी भी खत्म हो गई।
रोहित गुर्जर का कहना है कि किसान का उत्पीड़न सरकार ने एक अधिकार मान लिया है। यही वजह है कि मीट कारोबारियों से मिलीभगत करके काशी का एलाइनमेंट बदला गया है। यह सब जगजाहिर हो चुका है। इसमें अब भाजपा के कुछ नेता जनता के सामने दिखावा कर जनता को गुमराह कर रहे हैं। वास्तविक जो चेहरा भाजपा नेताओं का है उससे पर्दा उठ चुका है।
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