- जीओसी की वाहवाही के लिए दो दिन के लिए बंद कर दी गई थी माल रोड
- लगने के 10 दिन के अंदर उखड़ने लगीं थी सड़क से जेब्रा क्रॉसिंग की स्ट्रीप
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: इंडिया फर्स्ट सोलर जेब्रा क्रॉसिंग के नाम पर कुछ अफसरों ने कैंट बोर्ड के खजाने को लाखों का चूना लगा दिया। जिस जेब्रा क्रॉसिंग को लगाए जाने के नाम पर कैंट बोर्ड के अफसरों ने जश्न सरीखा माहौल बना दिया था, लगने के 10 दिन के बाद ही उनकी चूले हिलनी शुरू हो गयीं।
पब्लिक के टैक्स के पैसे की बर्बादी की इसके जैसी कोई दूसरी मिसाल नहीं हो सकती। कुछ ही दिनों में कैंटोनमेट हाउस यानि सीईओ के आवासीय बंगले के सामने लगी ये तमाम जेब्रा क्रॉसिंग माल रोड पर दौड़ते भागते फौजी वाहनों व नागरिक वाहनों के पहियों की मार के आगे दम तोड़ गयी और इनकी स्ट्रीप उखड़ कर इधर-उधर बिखरने लगीं। सीईओ के बंगले के सामने इनकी स्ट्रीप उखड़ कर ऐसे बिखर गयी थीं मानों सीईओ को चिढ़ा रही ही हों।
साल 2017 में तत्कालीन सीईओ राजीव श्रीवास्तव के कार्यकाल में इंडिया फर्स्ट का तमगा लगाकर सोलर जेब्रा क्रॉसिंग का प्रस्ताव लाया गया था। इसके साथ एक सोलर ट्री भी सीईओ बंगले वाले चौराहे पर लगाया गया था। इसकी शान में अफसरों ने बडे-बडे कसीदे पढे थे।
सोलर से संचालित इस प्रकार की जेब्रा क्रॉसिंग लगाने वाली मेरठ छावनी देश भर की 62 छावनियों में पहला तमगा हासिल कर लेगी। कैंट बोर्ड के अफसरों में इसको लेकर कई दिनों तक जश्न सरीखा माहौल रहा था। इसको लेकर अफसरों के उत्साह का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसी दौरान जीओसी इन चीफ का दौरा तय था।
उनके दौरे को देखते हुए माल रोड को दो दिनों के लिए असैनिक वाहनों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया था। दरअसल, कैंट अफसरों को यह बात समझ आ चुकी थी कि जिस जेब्रा क्रॉसिंग को लेकर ढोल पीट रहे हैं वो किसी काम नहीं है। ये ज्यादा दिन तक चलने वाली नहीं।
जीओसी के सामने कहीं किरकिरी न हो जाए। इसलिए माल रोड को दो दिन के लिए बंद कर दिया गया था। जेब्रा क्रॉसिंग को लेकर भद्द पिट जाने के बाद अफसरों ने सीईओ के बंगले के बाहर लगाया गया इंडिया फर्स्ट सोलर पैनल जेब्रा क्रॉसिंग का बोर्ड भी अब हटवा दिया है ताकि फजीहत की चर्चा न हो।
हालांकि उसकी रिपेयरिंग के नाम पर कई बार भारी भरकम खर्च भी किया गया था। सोलर पैनल के दिन में चार्ज होने और रात में चमकने तथा इसी तर्ज पर सोलर ट्री के चमने के अफसरों के दावे तथा इसको लगाने वाले ठेकेदार की ओर से दी गयी गारंटी और वारंटी भी धरी की धरी रह गयीं। कारगुजारियों पर पर्दा डालने के लिए इसको हटवा दिया गया है, लेकिन बड़ा सवाल यही कि पब्लिक के टैक्स के पैसे की इस बर्बादी का जिम्मेदार कौन है।