- चालक मौके से फरार परिजनों में मचा कोहराम
- पुलिस ने मासूम के शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा
जनवाणी संवाददाता |
हस्तिनापुर: चालक की लापवाही से एक पांच साल की मासूम बच्ची की अपने ही स्कूल की बस की चपेट में आने से मौके पर मौत हो गई। जिससे परिजनों में कोहराम मच गया। घटना के बाद चालक बच्चों से भरी बस मौके पर ही छोड़कर फरार हो गया। दर्दनाक हादसा गंगा की तलहटी में बसे बस्तौरा नारंग गांव का है। गुस्साएं ग्रामीण मौके पर एकत्र हो गये और थाना पुलिस को घटना की जानकारी दी। मौके पर पहुंची थाना पुलिस बस को कब्जे में लेकर थाने ले आई। मृतक बच्ची के परिजनों ने बस चालक के खिलाफ थाने पर मुकदमा पंजीकृत करवाया।
दीपाली (5) पुत्री सुनील निवासी बस्तौरा नारंग कस्बे में स्थित तक्षशिला स्कूल में नर्सरी की छात्रा है। दीपाली प्रतिदिन स्कूल प्रबंधन द्वारा गांव में भेजी जा रही बस संख्या यूपी-14आर 2539 से स्कूल आती थी। बुधवार को दीपाली प्रतिदिन की भांति स्कूल आने के लिए गांव में स्कूल द्वारा बनाई गये प्वाइंट पर अन्य बच्चों के साथ खड़ी थी। जब स्कूल बस गांव में पहुंची तो दीपाली भी अन्य बच्चों के साथ स्कूल बस में चढ़ने लगी।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार तभी चालक ने बस चला दी और दीपाली का पैर फिसल गया और मासूम दीपाली बस के पहिए के नीचे आ गई। पहिया चढ़ने से दीपाली की मौके पर ही मौत हो गई। घटना की जानकारी चालक को लगी तो चालक बच्चों से भरी बस छोड़कर मौके से फरार हो गया। चालक को भागते देख ग्रामीणों ने चालक को पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन चालक मौके से भाग निकला। आनन-फानन में ग्रामीणों ने इसकी सूचना थाना पुलिस को दी। मौके पर पहुंची थाना पुलिस ने बस को कब्जे में लेकर थाने ले आई और बच्ची के शव को कब्जे में लेकर पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
अनफिट वाहनों में भूसे की तरह ढोये जा रहे मासूम
अनफिट वाहनों में भरकर बच्चे ढोए जा रहे हैं। स्कूली वैन रसोई गैस से चल रही है। वाहनों में क्षमता से अधिक बच्चे होने के कारण बच्चों का दम घुटता है। अनफिट वाहनों का इतना धुआं उगलते हैं कि बच्चों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। आटो रिक्शा खटारा हो चुका है, लेकिन फिर भी बच्चों को ले जा रहे हैं और हम सब यूं ही सब देख रहे हैं। स्कूल प्रबंधन आये दिन होने वाले हादसों से भी कई सबब लेने को तैयार नहीं ये सब कुछ देखकर जिम्मेदार अधिकारियों भी कुंभकर्णी नींद से जागते नजर नहीं आ रहे।
महाभारतकालीन तीर्थ नगरी के अधिकांश स्कूलों के पास बच्चों को लाने-ले जाने के लिए निजी वाहन नहींं हैं। ऐसे में अभिभावक के पास एक ही विकल्प है कि या तो वह खुद बच्चे को स्कूल तक छोड़े या फिर जैसे वाहन हैं, उनसे भिजवाए। शहर में स्कूली समय के दौरान तमाम धुआं उगलते कानफोडू आवाज करते वाहन देखे जा सकते हैं। कई छोटे स्कूल ऐसे हैं, जिनमें बच्चे आसपास के गांवों से आते हैं और अनफिट वाहन या टेम्पो ही उन्हें लाने ले जाने का साधन है। कोई यह चेक नहींं करता कि वाहन फिट है या अथवा अनफिट। उ
सके साइलेंसर से अगर अधिक धुआं निकल रहा है तो यह सोचने वाला कोई नहींं कि आखिर ऐसा क्यों है, यहां तक कि गाड़ी मालिक को भी इसकी परवाह नहींं होती। कई टाटा मैजिक और स्कूल बसें ऐसी हैं। जो खटारा हो चुकी हैं, फिर भी बच्चे इनमें लाए और ले जाए जा रहे हैं। स्कूली बसें भी कई ऐसी हैं, जो जिनकी अवधि पूरी हो चुकी है। फिर भी उन पर रंग-रोगन कर उन्हें चमकाकर सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है। हालांकि बड़े स्कूलों के वाहनों कुछ हद तक ठीक हैं। पिछले वर्ष परिवहन विभाग द्वारा चलाए अभियान के दौरान कुछ स्कूलों की खटारा बसों को हटा दिया था, उनकी जगह अच्छी बसें लगाई गई, लेकिन छोटे स्कूलों में ऐसा नहींं हो रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में हालत बदतर
आसपास तमाम गांव ऐसे हैं, जहां पब्लिक स्कूल चल रहे हैं। कई दफा तो बच्चों को ही टेम्पो में धक्का लगाना पड़ता है। ऐसे नजारे अक्सर देखे जा सकते हैं। अक्सर दुर्घटनाएं भी होती रहती हैं। खादर क्षेत्र में स्कूली बसों की लापरवाही के चलते कई बार हादसा भी हो जाते हैं और कई बार तो इन अनफिट वाहनों से बडेÞ हादसे भी हो जाते हैं, लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों नींद से नहीं जागते।
ये हैं नियम
- वाहनों की फिटनेस वर्ष में कम से कम दो बार चेक करानी चाहिए।
- वाहनों के धुएं की चेकिंग हर तीसरे महीने करानी चाहिए।
- वाहन चालकों को फिटनेस प्रमाण पत्र अपने साथ रखना जरूरी है।
- स्कूली वाहन चालकों को फिटनेस सर्टिफिकेट शीशे पर लगाना आवश्यक है।
स्कूलों के लिए नियम
- प्रबंधतंत्र को हर महीने फिटनेस प्रमाण पत्र चेक करना जरूरी।
- वाहनों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का लोगो चेक करना आवश्यक।
- अगर फिटनेस प्रमाण पत्र नहींं है तो वाहन को तत्काल हटाना जरूरी।
- अनफिट वाहन से दुर्घटना पर प्रबंधतंत्र के खिलाफ एफआइआर के निर्देश।