- आए दिन ब्रेकडाउन, क्षतिग्रस्त सीटें, आवाज करती बॉडी और बरसात में टपकती छतें बयान करती हैं बसों की बदहाली
- मेरठ परिक्षेत्र के पांच डिपो से होता है 393 परिवहन निगम और 257 अनुबंधित बसों का संचालन
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: रीजन के पांच डिपो से संचालित होने वाली उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम और अनुबंधित बसों का सफर यात्रियों को सुविधा देने में नाकाम साबित हो रहा है। इन बसों में अधिकतर जर्जर हालत में पहुंच चुकी हैं। जिन का रखरखाव करना भी निगम को भारी पड़ रहा है। हालांकि नई बसों को बेड़े में शामिल करने की बातें यदा-कदा चलती रहती हैं, लेकिन इनको अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है।
मेरठ परिक्षेत्र के पांचों डिपो में चलने वाली कुल बसों की अगर बात की जाए तो इनकी संख्या 650 है। इनमें 393 बसें निगम की हैं, जबकि 257 बसें अनुबंधित हैं। निगम की 393 बसों में 122 मेरठ डिपो 126 सोहराब गेट 82 गढ़ मुक्तेश्वर 63 बड़ौत डिपो से संचालित होती हैं। अनुबंधित 257 बसों में 46 सोहराब गेट, 54 बड़ौत और 157 भैंसाली डिपो के माध्यम से चलाई जा रही हैं।
जिन बसों को लेकर परिवहन निगम सबसे ज्यादा उत्तरदायी है, उनमें उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम की अपनी 393 बसें शामिल हैं। इन बसों में आज की तारीख में 70 प्रतिशत बीएस-3 मॉडल की बसें ऐसी हो चली हैं, जिनके रखरखाव पर बहुत ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। इन बसों की खराब स्थिति का अनुमान सहज रूप से लगाया जा सकता है।
अधिकांश बसों के बॉडी, इंजन, सीटें आदि सभी कुछ ऐसी स्थिति में आ चुके हैं, कि इनका संचालन न यात्रियों के लिए सुरक्षित और सुविधा जनक रह गया है और न ही विभाग के लिए कोई लाभ का सौदा ही साबित हो पा रहा है। खुद अधिकारी यह मानते हैं कि परिक्षेत्र के चारों डिपो की एक-दो बसें किसी न किसी खराबी के कारण हर दिन ब्रेकडाउन का शिकार होती हैं।
वहीं, दूसरी ओर 257 अनुबंधित बसों की अगर बात की जाए तो इनकी दशा भी कोई बहुत अच्छी नहीं है। इनमें पेंट और शीशों से लेकर पायदान और सीट आदि को लेकर यात्री आए दिन शिकायत करते रहते हैं। लेकिन शिकायतों से इतर इन बसों के संचालन में एक नियम यह है कि 10 वर्ष से अधिक पुरानी कोई भी बस निगम के साथ अनुबंध से स्वयं बाहर हो जाती है। वैसे भी अनुबंधित बसों के रखरखाव की जिम्मेदारी बस के मालिक की होती है। यही कहकर निगम के अधिकारी कन्नी काट लेते हैं।
रखरखाव पर हर महीने 80 लाख खर्च
परिक्षेत्र के जिन डिपो से निगम की बसें संचालित होती हैं, वहीं पर उनके वर्कशॉप भी बने हुए हैं। इन वर्कशॉप के माध्यम से स्पेयर पार्ट और टायर पर औसतन हर महीने 80 लाख रुपये का खर्च होता है। यानी एक वर्ष में नौ करोड़ 60 लाख रुपये केवल स्पेयर पार्ट्स और टायरों की भेंट चढ़ जाते हैं।
इसका अनुमान लगाने के लिए मार्च माह के खर्च पर नजर डालना काफी होगा, जिसमें स्पेयर पार्ट्स पर मेरठ डिपो में 15.24 लाख, सोहराब गेट डिपो में 16.24 लाख, गढ़ मुक्तेश्वर डिपो में 12.72 लाख, और बड़ौत डिपो में 7.91 लाख रुपये खर्च हुए हैं। इसके अलावा इन डिपो की चारों वर्कशॉप में 24.8 लाख रुपये टायरों पर खर्च किए गए हैं।
10 वर्ष की अवधि या 12 लाख किमी का सफर पूरा करने वाली बसों को विभाग की ओर से नीलाम किए जाने का प्रावधान है। वर्तमान में सात बसें नीलामी के लिए निकाली गई हैं। इस समय 140 बीएस-4 और 20 बसें बीएस-6 मॉडल की बेड़े में आ चुकी हैं। अन्य बसों को भी चरणबद्ध तरीके से बदलने की प्रक्रिया मुख्यालय की ओर से चल रही है। -लोकेश राजपूत, सेवा प्रबंधक मेरठ परिक्षेत्र
25 प्रतिशत किराया वृद्धि बनी वरदान, रोडवेज को सात करोड़ के घाटे से उबारा
फरवरी से की गई 25 प्रतिशत किराया वृद्धि ने उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम के मेरठ परिक्षेत्र को भारी घाटे से उबार लिया है। चालू वित्त वर्ष में मेरठ परिक्षेत्र से संचालित होने वाली बसों के जरिये एक करोड़ रुपये प्रतिमाह से अधिक की लाभ मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान कई बार डीजल के दामों में वृद्धि हुई, इसी के अनुपात में मेरठ के पांचों डिपो से संचालित होने वाली बसों का घाटा भी बढ़ता चला गया।
अप्रैल 2022 में मेरठ परिक्षेत्र तीन करोड़ 22 लाख 15 हजार 435 रुपये के घाटे में रहा। मई माह में दो करोड़ 51 लाख एक हजार 109 रुपये के लाभ के चलते घाटा लगभग 71 लाख 14 हजार और जून में महज छह लाख 12 हजार तक सीमित हो गया। लेकिन इसके बाद जैसे-जैसे डीजल के दामों में वृद्धि हुई, घाटे का अनुपात बढ़ता चला गया। सितंबर तक यह घाटा सात करोड़ 52 लाख 36 हजार से अधिक हो गया।
इस बीच केवल अक्टूबर माह में एक करोड़ 30 लाख 82 हजार के करीब लाभ हो पाया। बाद में उतार-चढ़ाव के बीच जनवरी 2023 में यह घाटा बढ़कर नौ करोड़ 32 लाख 50 हजार रुपये तक पहुंच गया। इसके बाद छह फरवरी से 25 प्रतिशत किराये में हुई वृद्धि रोडवेज के लिए वरदान साबित हुई। फरवरी महीने में तीन करोड़ पांच लाख के लाभ के साथ घाटा छह करोड़ 27 लाख रह गया।
वहीं मार्च-23 में चार करोड़ 23 लाख 7271 रुपये के लाभ के साथ घाटा महज दो करोड़ तीन लाख 92 हजार 980 रुपये तक सीमित हो गया है। मेरठ परिक्षेत्र के आरएम केके शर्मा का कहना है कि अगर किराया वृद्धि न की जाती, तो अब तक निगम के समक्ष काफी संकट पैदा हो जाता। उन्होंने आशा जताई कि चालू वित्त वर्ष में मेरठ परिक्षेत्र का लाभ 15 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। इसी के साथ परिवहन निगम की ओर से यात्रियों को बेहतर सुविधा देने का प्रयास किया जाएगा।
बसों में लगाए गए अधिकारियों के सीयूजी नंबर
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारियों को नए सीयूजी नंबर आवंटित किए गए हैं। अधिकारियों के नए सीयूजी नंबरों की प्लेट डिपोवार बसों में लगाने का काम किया जा रहा है। इनके मेरठ परिक्षेत्र के अधिकारियों के नंबर इस प्रकार रहेंगे-
आरएम 8726005047
एसएम 8726005048
एआरएम वित्त 8726005049
एआरएम गढ़मुक्तेश्वर 8726005051,
एआरएम बड़ौत 8726005052,
एआरएम मेरठ 8726005053,
एआरएम सोहराब गेट 8726005054
एआरएम भैंसाली 8726005055