Tuesday, July 9, 2024
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मूर्ख और चंदन

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Amritvani


एक राजा वन भ्रमण के लिए गया। रास्ता भूल जाने पर भूख प्यास से पीड़ित वह एक जंगल में रहने वाले एक मूर्ख व्यक्ति की झोपड़ी पर जा पहुंचा। व्यक्ति ने आदर सत्कार किया , राजा को भोजन करवाया तब जाकर राजा के प्राण बचे। चलते समय राजा ने उस व्यक्ति से कहा, हम इस राज्य के शासक हैं। तुम्हारी सज्जनता से प्रभावित होकर नगर का चंदन बाग तुम्हें प्रदान करते हैं। उसके द्वारा जीवन आनंदमय बीतेगा। मूर्ख व्यक्ति को बहुमूल्य चंदन का उपवन प्राप्त हो गया।

अब व्यक्ति क्या जाने चंदन का उपयोग और मोल? उसकी जानकारी न होने से मूर्ख व्यक्ति चंदन के वृक्ष काटकर उनका कोयला बनाकर शहर में बेचने लगा। इस प्रकार किसी तरह उसके गुजारे की व्यवस्था चलने लगी। धीरे-धीरे सभी वृक्ष समाप्त हो गए। एक अंतिम पेड़ बचा। वर्षा के कारण कोयला न बन सका तो उसने लकड़ी बेचने का निश्चय किया। लकड़ी का गठ्ठा जब बाजार में पहुँचा तो सुगंध से प्रभावित लोगों ने उसका भारी मूल्य चुकाया। आश्चर्यचकित मूर्ख व्यक्ति ने इसका कारण पूछा तो लोगों ने कहा, यह चंदन काष्ठ है। बहुत मूल्यवान है। यदि तुम्हारे पास ऐसी ही और लकड़ी हो तो उसका प्रचुर मूल्य प्राप्त कर सकते हो।

व्यक्ति को अपनी मूर्खता पर पश्चाताप होने लगा कि उसने इतना बड़ा बहुमूल्य चंदन वन कौड़ी मोल कोयले बनाकर बेच दिया। पछताते हुए नासमझ को सांत्वना देते हुए एक विचारशील व्यक्ति ने कहा, मित्र, पछताओ मत, यह सारी दुनिया, तुम्हारी ही तरह नासमझ और मूर्ख है। जीवन का एक-एक क्षण बहुमूल्य है पर लोग उसे वासना और तृष्णाओं के बदले कौड़ी मोल में गंवाते रहते हैं। तुम्हारे पास जो एक वृक्ष बचा है उसी का सदुपयोग कर लो तो कम नहीं। बहुत गंवाकर भी कोई मनुष्य अंत में संभल जाता है तो वह भी बुद्धिमान ही माना जाता है।
                                                                                                     प्रस्तुति: राजेंद्र कुमार शर्मा


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