- आरोपियों को 61 हजार रुपये के जुर्माने से भी किया दंडित
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: न्यायालय अपर जिला जज कोर्ट संख्या-12 विकास गोस्वामी ने दहेज मांगने पर दांतों के डा. जावेद मलिक पुत्र सलामत अली, जमशेद मलिक पुत्र सलामत अली, ससुर सलामत अली पुत्र अब्दुल सलाम व सास नसरीन बेगम पत्नी सलामत अली को दोषी पाते हुए तीन साल के कारावास और 61 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया।
एडीसीसी क्रिमिनल वीरेश त्यागी बताया कि वादी मुकदमा महनाज ने थाना लालकुर्ती में रिपोर्ट दर्ज कराई थी उसका विवाह वर्ष 2018 में आरोपी जावेद मलिक के साथ हुआ था। जावेद मलिक दिल्ली में दांतों का डॉक्टर है। शादी के समय वादी के माता-पिता ने शादी में करीब 32 लाखों रुपये खर्च किए थे, परंतु उसके ससुराल वाले इसके बावजूद संतुष्ट नहीं थे तथा क्लीनिक खोलने के लिए 20 लाख रुपये की मांग दहेज के रूप में शुरू कर दी।
जब वादी के माता-पिता ने दहेज देने में असमर्थता जताई तो उन्होंने वादी मुकदमा के साथ मारपीट शुरू कर दी। जिसके बाद वादनी ने आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी। न्यायालय में आरोपी ने कहा कि उन्हें झूठा फंसाया गया है। जिसका सरकारी अधिवक्ता ने कड़ा विरोध किया। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनकर व पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों को देखते हुए आरोपियों को दोषी पाते हुए तीन साल के कारावास व 61 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया।
दुष्कर्म के आरोपियों को 14 वर्ष का कारावास
मेरठ: न्यायालय अपर जिला जज एफटीसी प्रथम अंकित मित्तल ने थाना दौराला क्षेत्र में हुई दुष्कर्म की घटना में तीन आरोपियों को 14 वर्ष के सश्रम कारावास व प्रत्येक को 40 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। थाना दौराला में पीड़िता के पिता ने रिपोर्ट दर्ज करायी कि उसकी दो युवतियों को आरोपी तमंचे के बल पर उठाकर ले गये थे।
घटना की विवेचना में उनके साथ दुष्कर्म होने की पुष्टि हुई थी। न्यायालय के समक्ष अभियोजन पक्ष की ओर से कृष्ण कुमार चौबे ने वादी सहित कुल आठ गवाह पेश किये। आरोपियों ने अपने को एक पुरानी घटना के चलते झूठा फंसाए जाने की बात कही।
न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद तीनों आरोपियों संतराम पुत्र ज्ञानचंद निवासी बागपत, आजाद पुत्र प्रताप निवासी दौराला, मेरठ व जोगेंद्र पुत्र महेन्द्र निवासी मवाना को दोषी मानते हुए 14 वर्ष के सश्रम कारावास व प्रत्येक को 40 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। कुल अर्थदंड की आधी धनराशि पीड़िता को दिये जाने के आदेश दिये हैं।