सुधांशु गुप्त |
क्या कहानी का कोई चेहरा हो सकता है? दुख का, हिंसा का, बोरियत का, एडवेंचर का, स्त्री विमर्श का, स्वतंत्रता का, अस्तित्व का, यथार्थ का, जादुई यथार्थ का, युद्ध और शान्ति का, जाहिर है किसी एक कहानी में ये सभी चेहरे मिलने मुश्किल हैं। लेकिन एक किताब में ये सारे चेहरे अवश्य दिखाई दे सकते हैं। विश्व साहित्य की श्रेष्ठ कहानियां-चेहरा दर चेहरा (परिंदे प्रकाशन, अनुवाद: श्रीविलास सिंह) की कहानिया ऐसे ही किसी चेहरे की तलाश में लगती हैं। पुस्तक में जिन कहानियों को संग्रह में शामिल किया गया है, वे अलग-अलग कालखण्ड, अलग भाषा, अलग-अलग मुल्कों की कहानियां हैं। यही नहीं, इसमें अपनी सादगी और सरलता के लिए जाने जाने वाले चेखव हैं, अस्तित्वादी अल्बेयर कामू है, स्वप्न और फैंटेसी के चित्तेरे काफ़्का हैं, हिंसा और युद्ध से जूझ रहे इराक और अफगानिस्तान हैं, अमेरिकी कहानीकार रेच शोपिन, रिचर्ड कॉनेल और रेमंड कारवर हैं। इसके अलावा जादुई यथार्थवाद के दिग्गज कथाकार मुराकामी, मार्खेज और हूलियो कोरतासर भी अपनी अपनी कहानियों के साथ मौजूद हैं। संग्रह में सबसे पुरानी कहानी अमेरिकी कहानीकार केट शोपिन (1894 में प्रकाशित) की ‘एक घंटे की कहानी’ है।
कहानी में, एक समर्पित पत्नी को दुर्घटना में पति की मृत्यु की खबर मिलती है। यह ऐसी पत्नी रही है, जिसकी अपने जीवन के निर्णयों में कोई स्वतंत्र भूमिका नहीं रही। पति की मृत्यु पर उसे दुखी होना चाहिए, लेकिन यह सोचकर वह प्रसन्न होती है कि अब उसका अपने जीवन के निर्णयों पर स्वयं उसका अधिकार होगा। कहानी यह दिखाती है कि रिश्तों में प्रगाढ़ता होने के बावजूद व्यक्ति को अपनी स्वतंत्रता कितनी प्रिय होती है। अमेरिकी की ही एक अन्य कहानी है-सबसे खतरनाक खेल। रिचर्ड कॉनेल की इस कहानी पर 20 से अधिक फिल्में और बहुत से धारावाहिक बन चुके हैं। अगर ये न भी बनते तब भी कहानी बेहद दिलचस्प और चर्चित होती। कहानी में रेंसफर्ड नामक एक व्यक्ति ‘शिप ट्रैप द्वीप’ पहुंचता है, जहां उसकी मुलाकात जनरल जारॉफ से होती है। दोनों के बीच जिन्दगी और मौत का खेल चलता है। यह खेल इतना दिलचस्प है कि आप एक पल के लिए भी इसे ‘इग्नोर’ नहीं कर पाएंगे। किसके हिस्से मौत आती है और किसे जिन्दगी मिलती है, यह कहानी को सस्पेंस है।
काफ्का की अपनी शैली की कहानी है ‘भ्रातृहत्या’ छोटी सी इस कहानी में जो कहा गया है, उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण है अनकहा। कहानी में काफ्का ने तीन तत्वों-इदं, अहम् और पराअहम का मानवीकरण दिखाया है। अपने सघन रूप के चलते बहुत कुछ पाठकों को ही सोचना होगा। फ्रेन्च भाषी महान कहानीकार कामू की कहानी ‘अतिथि’ एकाकीपन, स्वतंत्रता, मानव जीवन का मूल्य, उत्तरदायित्व और नैतिक चुनावों की समस्या अपनी समग्रता में पाठकों के सामने रखती है। चेखव की कहानी ‘बाजी’ लगभग चार दशक पहले ‘बैट’ शीर्षक से अंग्रेजी में पढ़ी थी। सालों बाद इसे हिन्दी में पढ़ने का सुख, निर्मल सुख रहा। कहानी में एक पात्र बहुत बड़ी राशि के एवज में अपनी स्वतंत्रता को गिरवी रख देता है। लम्बी अवधि तक कैद में रहने के बाद कहानी में ‘ट्विस्ट’ आता है और पाठक यह देखकर चकित रह जाता है कि उसके लिए प्राथमिकताएं पूर्ववत बनी हुई है। चेखव ने इस कहानी में मानव मन को बखूबी चित्रित किया है। संग्रह की दो कहानियाँ हिंसा, युद्ध, शान्ति और जीवन्तता की कहानियां हैं। ‘खुर्शीद खानम, उठो और जगमगाओ’ अफगानी लेखक बतूल हैदरी की कहानी है। युद्ध में लापता एक पिता वर्षों बाद वापस लौटता है। वह अपनी पत्नी और बेटी को देखने की इच्छा लेकर आया है। लेकिन वह देखता है कि कितना कुछ बदल गया है, उसे न पत्नी पहचानती है और न उसकी बेटी। अशांति और हिंसा का यह क्रूरतम रूप है। युद्ध और बमबारी के इर्दगिर्द ही घूमती है इराक के कहानीकार महमूद सईद की कहानी ‘आकाश में एक द्वार’। कहानी में एक ऐसे दिन का वर्णन है जिसमें एक परिवार बमबारी से पैदा हुए तनाव, दुख और आतंक के बीच अपनी जीवंतता बनाए रखता है। वास्तव में पूरा परिवार एक सुरक्षित कोना तलाश रहा है। लगभग उसी अन्दाज में जैसे नोबेल पुरस्कार विजेता ओल्गा तोकार्चुक अपनी एक कहानी-अलमारी- में दिखाती हैं कि किरदार अलमारी में सुरक्षा देखते हैं। महमूद सईद की कहानी में किरदार अपनी सुरक्षा के लिए आकाश में एक द्वार खोजते हैं।
संग्रह में और भी कई दिलचस्प और चर्चित व सार्थक कहानियां हैं, लेकिन जादुई यथार्थ को चित्रित करने वाली कुछ कहानियों पर बात जरूरी है। अर्जेन्टीना के कहानीकार हूलियो कोरतारस की एक कहानी है ‘कब्जा कर लिया गया मकान’। इसमें दिखाया गया है कि जब हम बाहरी दुनिया से कट कर अपने भीतर ही जीने लगते हैं, तब भी हम अपने भयों, पूर्वाग्रहों और असुरक्षा से मुक्ति नहीं पा पाते। एक दिन हमारी यह असुरक्षा, हमारा भय और हमारा एकाकीपन हम पर हमारे मन-मस्तिष्क पर कब्जा कर लेता है। यह व्यक्ति के अंतर्मन की शानदार कहानी है। मार्खेज बीसवीं सदी के बड़े साहित्यकारों थे। नोबेल पुरस्कार विजेता मार्खेज ने अपनी कहानी ‘एक नीले कुत्ते की आँखें’ में स्वप्न में स्वप्न की तकनीक का बेहतरीन इस्तेमाल किया है। किस तरह उन्होंने विभाजक रेखाओं को क्षीण बना दिया है, यह देखने लायक है। इस कहानी में फैंटेसी और वास्तविकता आपस में इतना घुलमिल गई हैं कि उनमें अंतर करना मुश्किल हो जाता है। इस संग्रह की मुझे सर्वश्रेष्ठ कहानी लगी हारुकी मुराकामी की ‘बिल्लियों का कस्बा’। यह किसी के लिए भी आश्चर्य की बात हो सकती है कि जापानी कहानी ने बेहद अनुशासन के बावजूद बेहतरीन कहानियाँ और कहानीकार दुनिया को दिए हैं। मुराकामी ने जापान की प्राचीन समृद्ध साहित्य परंपरा को ही आगे बढ़ाया है। किस्सागोई के लिए भी मुराकामी को जाना जाता है। किस खूबसूरती से वह कहानी को बयान करते हैं, वह इस कहानी से पता चलता है। एक पिता हैं-मिस्टर कवाना। उनका पुत्र है टेंगो। टेंगो की मां की निधन हो चुका है। टेंगो के मन में मां की छवि का दस मिनट का एक दृश्य दर्ज है। मां की एकमात्र स्मृति। उस समय उसकी उम्र डेढ़ वर्ष थी। मां एक आदमी, जो उसका पिता नहीं था, की बांहों में लिपटी पड़ी थी। मां ने अपना ब्लाउज खोल दिया था, स्लिप के स्ट्रैप खोल दिए थे। एक बार टेंगो अपने पिता से मिलने सेनीटोरिम जाता है। बीच में वह बिल्लियों की बस्ती में पहुंच जाता है। यहां जब लोग चले जाते हैं यानी रिक्त स्थान बचता है, तब बिल्लायां उस रिक्त स्थान को भरती हैं। मुराकामी ने दिखाया है कि हम सबके भीतर बिल्लयों का कस्बा होता है। यानी हमारे डर, हमारी जिज्ञासाएं, हमारी दुविधाएँ, हमारी शंकाएं। बेशक ये हमें जीवन भर सहज नहीं होने देते। लेकिन मुराकामी ने अपनी इस कहानी में इन सबसे पर्दा हटाया है और यही वजह है कि यह कहानी एक यादगार कालजयी कहानी बन जाती है।
संग्रह में और भी कई कहानियां हैं, जो अपनी प्रभाव छोड़ती हैं। और वाकई आप इन कहानियों को पढ़कर कहानी का एक चेहरा बना सकते हैं।