गिरीश पांडेय |
भारतीय सभ्यता और संस्कृति जितनी ही प्राचीन है अपने देश में नारियों को सम्मान देने की परंपरा। डबल इंजन (मोदी और योगी) की सरकार इसी परंपरा को लगातार आगे बढ़ा रही है। मंगलवार (21 दिसंबर 2021) को तीरथ राज प्रयाग की धरती पर आयोजित ,नारी “शक्ति-देश की शक्ति” कार्यक्रम इसी की एक कड़ी है। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं सहायता समूह की 16 लाख महिलाओं के बैंक खातों में एक हजार करोड़ रुपये का ऑन लाइन ट्रांसफर किया। संबधित ग्रामीण महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनाने में यह आयोजन मील का पत्थर साबित होगा। यही नहीं इस दौरान 43 जिलों के 202 ब्लाकों में टेक होम राशन वितरण का भी प्रधानमंत्री ने शिलान्यास किया। साथ ही बेटियों के हित में योगी सरकार द्वारा शुरू की गई बेहद महत्वाकांक्षी योजना “मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला” के तहत 1.01 लाख बेटियों (नए लाभार्थियों) के खातों में 20 करोड़ रुपए का ऑनलाइन ट्रांसफर भी प्रधानमंत्री ने किया।
अबला को सबला बनाने की यह कोशिश डबल इंजन की सरकार लगातार कर रही है। वह भी पूरी शिद्दत से। प्रधानमंत्री द्वारा “बेटी बढ़ाओ, बेटी बचाओ” का नारा तो हर किसीकी जुबान पर है।
अपने मन की बात में अक्सर वह किसी महिला या महिला स्वयं सहायता समूह की ओर से किये जा रहे उल्लेखनीय कार्यो का जिक्र कर उनकी हौसलाअफजाई भी करते हैं।
केंद्र सरकार की ही तर्ज पर ही मुख्यमंत्री बनने के साथ ही योगी आदित्यनाथ सरकार भी बहू-बेटियों में सुरक्षा का भाव लाने , उनको शसक्त और स्वावलंबी बनाने के लिए लगातार कदम उठा रही है। सरकार बनते ही बेटियों में सुरक्षा का भाव लाने के लिए मुख्यमंत्री ने “एंटी रोमियो स्क्वाड” का गठन किया।
उसके बाद से ये सिलसिला लगातार जारी है। मिशन शक्ति, स्वयं सहायता समूहों का शसक्तीकरण,निराश्रित महिला पेंशन की पात्रता के लिए उम्र की सीमा खत्म करने के साथ इसमें वृद्धि, कन्या सुमंगला, मुख्यमंत्री सक्षम सुपोषण योजना, महिला सामर्थ्य योजना, किशोरी बालिका योजना, शबरी संकल्प अभियान, मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना तथा जैसी योजनाएं इसका प्रमाण हैं।
“मिशन शक्ति” सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। पिछले साल शारदीय नवरात्रि के दिन मुख्यमंत्री ने इसकी शुरुआत की थी। अब तो इसका तीसरा चरण चल रहा है। मिशन शक्ति के प्रथम चरण की शुरुआत (नवरात्रि) और इसके लिए चयनित स्थान (देवीपाटन, देश किवशक्तिपीठों में से एक ) खुद में एक संदेश था।
दरअसल योगी आदित्यनाथ गोरखपुर की जिस गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर हैं उसमें नारियों का बेहद सम्मान रहा है। लिहाजा उनके लिए मुख्यमंत्री बनने के बहुत पहले से ही अबला को सबला बनाना महज नारा नहीं, संकल्प रहा है।
हर साल दोनों नवरात्रि में पीठ में इसका जीवंत स्वरूप भी दिखता है। रोज की खास पूजा के बाद नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन से इसका समापन होता है। खुद पीठाधीश्वर के रूप में मुख्यमंत्री कन्यायों का पांव पखारते हैं। उनको भोजन कराते हैं और दक्षिणा देकर विदा करते हैं। यह खुद में नारियों के प्रति सम्मान का एक बहुत बड़ा संदेश है।
इसके अलावा महिलाओं की शिक्षा और स्वालंबन पर भी पीठ का खासा फोकस रहा है। पीठ की ओर से संचालित शैक्षिक प्रकल्प महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद कई दशकों से आधी आबादी के शैक्षिक पुनर्जागरण और आर्थिक स्वावलंबन का अलग-अलग तरीकों से पूरे पूर्वांचल में अलख जगा रहा है।
इन शिक्षण संस्थाओं में से कई में बालिकाओं के लिए सह शिक्षा (कोएजूकेशन) की व्यवस्था है। आठ ऐसे शिक्षण संस्थान हैं जो विशेष तौर पर बालिकाओं की शिक्षा और उनके स्वावलंबन के लिए ही समर्पित हैं।
महाराणा प्रताप बालिका इंटर कॉलेज, महाराणा प्रताप महिला पीजी कॉलेज, महाराणा प्रताप टेलरिंग कॉलेज, दिग्विजयनाथ बालिका पूर्व माध्यमिक विद्यालय, महाराणा प्रताप मीराबाई महिला छात्रावास, दिग्विजयनाथ महिला छात्रावास, गुरु श्रीगोरक्षनाथ स्कूल ऑफ नर्सिंग, योगिराज बाबा गम्भीरनाथ निशुल्क सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण केंद्र जैसे संस्थानों से प्रतिवर्ष हजारों बालिकाएं अपने जीवन पथ पर ससम्मान आगे बढ़ रही हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी पीठ की परंपरा के अनुसार विभिन्न योजनाओं के जरिए अबला कही जाने वाली नारी को वह सबला बनाने की पूरी शिद्दत और संजीदगी से प्रयासरत हैं।