नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन है। आश्विन माह का आज यानि 27 अक्टूबर 2023 गुरूवार को आखिरी प्रदोष व्रत पड़ रहा है। इस व्रत को गुरू प्रदोष व्रत भी कहते हैं। सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि दोषों से मुक्ति पाने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर माह में दो प्रदोष व्रत पड़ते है। पहला प्रदोष व्रत चांदनी रात यानि शुक्ल पक्ष को रखा जाता है।
वहीं, दूसरा व्रत कृष्ण पक्ष में रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव की अराधना की जाती है। यह व्रत रखने से सभी कष्टों का निवारण होता है। वहीं, अक्टूबर महीने का आखिरी व्रत आज पड़ रहा है। मान्यता है कि गुरू प्रदोष व्रत को करने से रोग, ग्रह दोष, कष्ट, पाप आदि से मुक्ति मिलती है। ऐसे में चलिए जानते हैं गुरु प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व और विधि
जाने गुरू प्रदोष व्रत तिथि
आश्विन माह की त्रयोदशी तिथि 26 अक्तूबर की सुबह 08 बजकर 49 मिनट से शुरू हो रही है। इसका समापन अगले दिन 27 अक्तूबर की सुबह 06 बजकर 57 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत के दिन शिव जी की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए यह व्रत 26 अक्तूबर को ही रखा जाएगा।
गुरू प्रदोष पूजा विधि
- गुरू प्रदोष के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर प्रात:काल स्नान करें।
- इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान का स्मरण कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें।
- सायंकाल में पूजा के दौरान भोलेनाथ को बेलपत्र, भांग, फूल, धतूरा, गंगाजल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें।
- अब प्रदोष की कथा पढ़ें और शिव जी की आरती करें।
- पूजा के दौरान शिवलिंग को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान करांए।
- अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करके व्रत का समापन करें।