नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। सनातन धर्म में आज महिलाएं हरियाली तीज का त्योहार मना रही हैं। यह पर्व सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। ऐसे में आज हरियाली तीज व्रत रखा जाएगा। ये दिन सभी सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास है। वह वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और पति की लंबी उम्र के लिए ये उपवास रखती हैं। वहीं कुंवारी कन्याएं भी योग्य वर की प्राप्ति के लिए ये व्रत करती हैं।
वहीं, इस वर्ष हरियाली तीज के खास मौके पर तीन शुभ योग बन रहे हैं। इनमें परिघ योग, शिव योग और रवि योग का नाम शामिल है। इस योग में बाबा भोलेनाथ और देवी पार्वती की पूजा करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती हैं। साथ ही सौभाग्यवती भव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं पूजा के दौरान व्रत कथा सुनने का भी विधान है। तो चलिए ऐसे में आइए हरियाली तीज व्रत की कथा को जान लेते हैं।
हरियाली तीज व्रत कथा
हरियाली तीज का व्रत सभी सुहागिनों के लिए शुभ होता है। पति की तरक्की और जीवन में खुशहाली के लिए भी ये उपवास किया जाता है। ऐसे में आइए इस व्रत की कथा के बारे में जान लेते हैं। कथा को लेकर ऐसी पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव माता पार्वती को पूर्व जन्म की बात सुना रहे थे। कहानी को सुनाते हुए शंकर जी पार्वती माता से कहते हैं कि, हे पार्वती ! तुमने पति के रूप में मुझे पाने के लिए कई सालों तक तपस्या की है। तुम्हारी कठोर तपस्या के दौरान तुमने अन्न और जल का भी त्याग करा। उसके बाद मैं तुम्हें वर के रूप में प्राप्त हुआ।
मां पार्वती को बात बताते हुए भोलेनाथ कहते हैं कि पार्वती एक बार नारद मुनि तुम्हारे घर गए थे। घर जाने के बाद नारद मुनि ने आपके पिता से कहा कि, मैं विष्णु जी के भेजने पर यहां आया हूं। विष्णु जी स्वयं आपकी तेजस्वी कन्या पार्वती से विवाह करना चाहते हैं। नारद मुनि की ये बात सुनकर पर्वतराज प्रसन्न हो गए। इसके बाद नारद मुनि की ये बात आपके पिता जी ने आपको बताई, तुम इस प्रस्ताव से दुखी हुई।
फिर इस बात का जिक्र तुमने अपनी सखी से किया था। तुम्हारी सखी ने तुम्हें कठोर तप करने की सलाह दी। इसके बाद तुम मुझे पति के रूप में प्राप्त करने के लिए एक जंगल की गुफा में चली गई। वहां तुमने रेत की शिवलिंग बनाकर तप किया। फिर तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न होकर सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मैंने तुम्हें दर्शन दिए। इसके बाद तुम्हारी मनोकामना पूरी करने का वचन देते हुए मैंने तुम्हें पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।
इस दौरान तुम्हारे पिता भी गुफा में तुम्हें ढूंढते हुए आ गए। फिर आपने पिता जी से कहा कि, मैं आपके साथ चलूंगी, लेकिन जब आप मेरा विवाह महादेव से करवाएंगे। तुम्हारी बात सुनकर उन्होंने ये विवाह करवाने के लिए हां कर दी। इस दौरान भगवान शिव पार्वती से कहते हैं कि श्रावण तीज के दिन तुम्हारी इच्छा पूरी हुई और तुम्हारे कठोर तप की वजह से हमारा विवाह भी हुआ है। तभी से लेकर ऐसी मान्यता है कि जो भी महिला सावन तीज पर व्रत करती है, उसके वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती है।