- फिर से बढ़ने लगा महानगर का प्रदूषण, गेहूं की कटाई से भी बढ़ रहा है प्रदूषण
- दमा और सांस के रोगियों की हालत चिंताजनक
जनवाणी संवाददाता |
मोदीपुरम: सावधान! इस बार गर्मी के सीजन में बेहद सतर्क रहना होगा। क्योकि इस बार गर्मी और प्रदूषण लोगों को बीमार करेगा। खासकर बच्चे और बुजुर्ग और महिलाएं भी इसकी चपेट में आएगी। प्रदूषण विभाग के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो जैसे-जैसे गर्मी का प्रकोप बढ़ रहा है। वैसे-वैसे प्रदूषण में भी इजाफा हो रहा है। इसलिए मई और जून के महीने में इस बार अन्य वर्षो के मुकाबले अत्यधिक गर्मी पड़ेगी
और प्रदूषण की भी रफ्तार बढ़ेगी। ऐसे में हमें सावधानी बरतनी होगी और खासकर बच्चों को बढ़ते प्रकोप से दूर रखना होगा। उधर, गेहूं की कटाई होने के कारण प्रदूषण में भी इजाफा हो रहा है। अगर पिछले कई दिनों का प्रदूषण विभाग का आंकड़ा देखा जाए तो उससे साफ नजर आ रहा है कि प्रदूषण में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। यह बढ़ता प्रदूषण लोगों के लिए हानिकारक होगा।
सांस और दमा के रोगियों के लिए गेहंू की कटाई का सीजन खासकर बेहद खराब माना जाता है। चिकित्सक भी इस मौसम में इन बीमारियों से पीड़ित रोगियों को घर से निकलने से परहेज करने की सलाह देते है। क्योंकि वेस्ट यूपी और खासकर मेरठ में गेहूं की पैदावार इस बार रिकार्ड तोड़ के रूप में हुई है। इसलिए इस बार विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। इसी के अनुरूप प्रदूषण विभाग द्वारा लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के आंकड़ों का बढ़ा हुआ ही जारी कर रहा है। अगर देखा जाए तो महानगर का प्रदूषण ही इस समय सामान्य से अधिक चल रहा है।
यहां का प्रदूषण सामान्य रुप से 100 रहना चाहिए, लेकिन इस समय 193 चल रहा है। मेरठ के जिन तीन स्थानों पर प्रदूषण विभाग द्वारा मॉनिटीरिंग की जाती है। उनमें अकेले पल्लवपुरम में सर्वाधिक 233 प्रदूषण दर्ज किया गया है। इसके बाद जयभीमनगर का नंबर आता है। जहां 186 दर्ज किया गया है। गंगानगर में भी हालात ठीक नहीं है। यहां भी 168 प्रदूषण दर्ज किया गया है। क्योंकि प्रदूषण बढ़ने के कारण लोगों को सांस लेने में दिक्कते होने लगती है। ऐसे में बचाव करना ही एक मात्र उपाय है।
मई और जून माह में लगातार बढ़ता है प्रदूषण
अगर हम प्रदूषण विभाग के अधिकारियों की बात करे तो उनका साफ कहना है कि प्रदूषण गर्मी के महीनों में सबसे अधिक बढ़ता है। क्योंकि गर्मी के साथ-साथ प्रदूषण का प्रकोप बढ़ना निश्चित है। हालांकि तेज हवाएं चलने के कारण आसमान में जमा प्रदूषण के कण नीचे गिर जाते हैं अथवा बारिश होने स भी यह कण दूर हो जाते हैं। जिसके चलते प्राकृतिक रूप से ही प्रदूषण में कमी हो जाती है अन्यथा प्रदूषण का ग्राफ बढ़ता ही रहता है।
हॉट मिक्स प्लांट से भी बढ़ता है प्रदूषण
हॉट मिक्स प्लांट और औद्योगिक फैक्ट्रियां भी प्रदूषण को बढ़ाने में सहायक होती है। महानगर में अवैध रुप से चल रहे खटारा वाहन और जगह-जगह बैट्रियों की छोटी-छोटी फैक्ट्री भी प्रदूषण में बढ़ोतरी करती है। महानगर में कंस्ट्रक्शन का कार्य जगह-जगह होने के कारण भी प्रदूषण में बढ़ोतरी का एक कारण सामने आया है। इस प्रदूषण को सिर्फ अकेला प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी ही रोक सकते हैं। अन्यथा यह प्रदूषण बढ़ता ही रहेगा और लोगों को सांस लेने में दिक्कतें होती रहेगी। खासकर मई और जून के महीने में इसे रोकने के लिए विभाग को कठोर एवं आवश्यक कदम उठाने पड़ेंगे।
आसपास के जनपदों में भी बढ़ा प्रदूषण
मेरठ के साथ-साथ वेस्ट यूपी के अन्य जनपदों का हाल भी प्रदूषण में खराब है। अगर देखा जाए तो बागपत में 190, मुजफ्फरनगर में 197 और गाजियाबाद में 186 प्रदूषण दर्ज किया गया है। क्योंकि शहर के साथ-साथ इन जनपदों का भी प्रदूषण निरंतर बढ़ता रहता है और प्रदूषण के बढ़ने के कारण लोगों को जीने में दुश्वारियां झेलनी पड़ती है।
- गेहूं की कटाई और उड़ती डस्ट बढ़ा रही प्रदूषण
इस समय खेतों में गेहूं की कटाई चल रही है और तेज डस्ट उड़ने के कारण प्रदूषण में बढ़ोतरी हुई है। इसे कम करने के लिए लगातार छिड़काव सड़कों पर कराया जा रहा है। प्रदूषण की रोकथाम के लिए विभाग की टीम लगातार मॉनिटीरिंग कर रही है। -भुवन प्रकाश यादव, क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी