Friday, March 29, 2024
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यहां उड़ जाती है नियमों की धज्जियां

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  • कब होगी मकड़जाल की तरह फैल रहे बगैर मान्यता प्राप्त स्कूलों पर कार्रवाई?
  • मानक पर खरे नहीं, फिर भी नहीं होती सख्त कार्रवाई

जनवाणी संवाददाता |

हस्तिनापुर: सब पढ़े-सब बढ़े योजना के तहत सरकार भले ही घरों में शिक्षा की अलख जगाने के लिए प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये पानी की तरह बहती हो, लेकिन नतीजा हर वर्ष शून्य ही रहा जाता है। जिसका उदाहरण क्षेत्र में मकड़जालों की तरह बगैर मान्यता के चल रहे स्कूलों की बढ़ती जा रही संख्या से अंदाजा लगाया जा सकता है।

ये स्कूल शिक्षण सत्र शुरू होने से पूर्व ही छात्रों और अभिभावकों को गुमराह करने का कार्य शुरू कर देते हैं। जिससे बच्चों के भविष्य पर प्रश्न चिह्न लगाता नजर आ रहा है। शासन के तमाम आदेशों के बाद भी विभागीय अधिकारी स्कूल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने के कतराते नजर आ रहे हैं। जिसके बाद खानापूर्ति के लिए महज नोटिस देकर इतिश्री कर रहे हैं।

लगभग दो सप्ताह पूर्व प्रदेश की डबल इंजन योगी सरकार ने बिना मान्यता से चल रहे स्कूल और उनके संचालकों पर कार्रवाई करने के निर्देश जारी किये थे, लेकिन शिक्षा विभाग के आलाधिकारी प्रदेश सरकार के आदेशों के प्रति सजग नजर नहीं आये। विभाग की मिलीभगत के चलते क्षेत्र में उत्पीड़न का प्राय: बन चुकी शिक्षा की दुुकानों ने अपना कार्य शिक्षण सत्र शुरू होने से पूर्व ही कर दिया है।

इन स्कूलों के पास न तो शिक्षा विभाग द्वारा तय मानक है और न ही प्रर्याप्त भवन, खेल के मैदान की बात तो बहुत दूर है। फिर भी शिक्षा की ये दुकाने कक्षा एक से लेकर कक्षा 12वीं तक के छात्रों को शिक्षा देने का दवा करती नजर आ रही है। कई स्कूलों में टीन शेड व छप्पर में ही शिक्षा के नाम पर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। किराये के भवनों में ये स्कूल हर गली-मोहल्ले में खुलेआम चल रहे हैं।

विभाग अधिकारियों को जानकारी होने के बाद और अभिभावकों की प्रतिवर्ष दर्जनों शिकायतों के बाद भी अधिकारी इन स्कूलों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई करने को तैयार नहीं है। ऐसे में इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य का क्या होगा? कह पाना मुश्किल है।

ठेगे पर सरकारी आदेश

शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते हस्तिनापुर ब्लॉक में चल रहे बगैर मान्यता के स्कूल संचालकों के लिए सरकार के तमाम आदेश ठेगे पर नजर आते हैं। विभागीय अधिकारियों की लीपापोती कार्रवाई स्कूल संचालकों के हौसलों को बुलंद कर देती है। जिसके चलते द्वारा बिना मान्यता के स्कूल संचालकों में कोई भय नहीं है। स्कूलों में कोई मानक न होने के बाद भी स्कूलों का संचालन खुलेआम होता है और विभागीय अधिकारी मूकदर्शक बने रहते हैं।

एजेंट कर रहे अभिभावकों को गुमराह

स्कूल मालिकों द्वारा छोड़े गये एजेंट घर-घर जाकर बच्चों के अभिभावकों को स्कूल में शिक्षा के स्तर पर जन सुविधाओं के बारे में जानकारी देते हैं तथा उनके बच्चों को स्वार्थ के लिए गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों में दाखिला करा देते हैं।

इंटरमीडिएट पास छात्र दे रहे इंटरमीडिएट के छात्रों को शिक्षा

इन स्कूलों में न तो प्रर्याप्त संसाधन है और न ही शिक्षक है। इन स्कलो के शिक्षण कार्य का आंकलन इससे हो सकता है कि स्कूलों में शिक्षा दे रहे अधिकांश शिक्षकों की योग्यता इंटरमीडिएट होने के बाद वे इंटरमीडिएट के ही बच्चों को पढ़ा रहा है। कुछ स्कूल मालिकों ने तो अपनी शाखाएं तक खोल रखी है। जो नियम विरुद्ध है, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर उनके स्कूल धड़ल्ले से चल रहे हैं।

मान्यता न होने के बाद भी वसूल रहे मोटी रकम

एक तो चोरी उस पर सीना जोरी वाली कहावत इन स्कूलों पर एकदम सटीक बैठती है। मान्यता न होने के बाद भी ये स्कूल छात्रों से हाईस्कूल के नाम पर छह से 20 हजार रुपये तो इंटरमीडिएट के नाम पर 10 से 20 हजार रुपये तक की वसूली करते हैं और पास कराये जाने का भी पूर्ण आश्वासन इन स्कूलों के पास होता है।

नियमों का घोर उल्लंघन

क्षेत्र में ऐसे कई विद्यालय है जो बिना मान्यता से संचालित हो रहे हैं। अभिभावकों से मोटी फीस वसूलकर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। सरकार के नियमों के खिलाफ स्कूल संचालित करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सजा का प्रावधान है, लेकिन यहां पर तो शिक्षा विभाग मेहरबान है।

मापदंड अधूरे, पर फीस ले रहे पूरी

नियमों को कैसे दरकिनार किया जाता है। इसकी बानगी स्कूल शिक्षा विभाग में देखी जा सकती है। इसके बाद भी ऐसे स्कूलों को बंद करने की बजाय शिक्षा विभाग की कार्रवाई सिर्फ नोटिस तक ही सिमट कर रह गई है। ये स्कूल मानक भले पूरे नहीं कर रहे, लेकिन अभिभावकों से मंथली फीस के साथ ही सुविधा शुल्क और खेल के नाम पर मनचाही फीस वसूल रहे हैं। जिन स्कूलों को मान्यता नहीं दी गई है। उन स्कूलों को मानक पूरे कराने के तरीके बताए जा रहे हैं।

क्या कहता है विभाग

क्षेत्र में चल रहे सैकड़ों बिना मान्यता के स्कूलों के बाद शिक्षा विभाग द्वारा महज सात स्कूलों को नोटिस दिये जाने के बाद एबीएसए हस्तिनापुर राहुल धामा की कार्रवाई लापरवाही से कम नहीं है। उनका कहना है कि बिना मान्यता के क्षेत्र में चल रहे सात स्कूलों को नोटिस जारी किये गये हैं।

जबकि सरकार के साफ आदेश है कि ऐसे स्कूलों को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाये और उनमें शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजा जाये। साथ ही क्षेत्र में महज सात नहीं सैकड़ों स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं।

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