- एनएच-34 स्थित भैंसा गांव का सरकारी रास्ता किया अवरुद्ध, वाहन चालक परेशान
जनवाणी संवाददाता |
मवाना: एनएच-34 स्थित भैंसा टोल प्लाजा शुरू होने के साथ ही विवादों में घिरा होने के चलते बड़े बवाल को न्योता देता नजर आ रहा है। शुक्रवार को टोल कर्मियों ने नेशनल हाइवे से भैंसा गांव को जाने वाले मुख्य मार्ग को लोहे के ड्रम रखकर अवरुद्ध कर दिया। रास्ता अवरुद्ध होने से ग्रामीण गुस्से में आ गए और हंगामा खड़ा कर दिया। घंटों चले हंगामे के बाद टोलकर्मियों ने ग्रामीणों को जाने दिया और बाद में फिर से ड्रम लगा दिए। इस मामले में एसडीएम ने कार्रवाई करने की बात कही है।
बता दे कि एनएच-34 शुरू होने के साथ ही लगातार विवादों में गिरा है। टोल प्लाजा पर वसूली को लेकर चार दिन में पांच बार विवाद हो गया। नेशनल हाइवे का निर्माण कार्य पूरा न होने के चलते टोलकर्मियों की वसूली को लेकर आसपास गांव के लोगों में आक्रोश है। शुक्रवार को तो उस समय अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई, जब भैंसा गांव के करीब 100 साल पुराने मुख्य रास्ते को टोलकर्मियों ने ड्रम लगाकर अवरुद्ध कर दिया। ग्रामीण मौके पर पहुंचे और जमकर हंगामा किया। इस दौरान उनकी टोलकर्मियों से नोकझोंक भी हुई। उस समय वहां मौजूद लोगों को बाहर निकालकर मामला शांत कर दिया और बाद में फिर से ड्रम लगाकर रास्ता रोक दिया गया।
ये बोले-भैंसा टोल मैनेजर
टोल मैनेजर और स्टॉफ की गुंडई इस कदर चल रही है कि मैनेजर के बयान ने एसडीएम के बयानों को ही चुनौती दे डाली। दरअसल, जब इस बारे में एसडीएम अंकित कुमार से जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि किसी को भी सरकारी रास्ता रोकने का अधिकार नहीं है। वह इस मामले को स्वयं दिखवाएंगे। उधर, एसडीएम के बयानों के उलट टोल मैनेजर ने विवाद उपजाने वाला बयान दिया। टोल मैनेजर ने कहा कि वह गांव के रास्ते पर गांव के युवक तैनात करेंगे,
जो सिर्फ वहीं के रहने वाले लोगों की पहचान कर उन्हें निकलने देंगे। उसके बाद कहा कि वह रास्ते पर बैरियर भी लगवाएंगे। टोल मैनेजर के बयान निश्चित तौर पर क्षेत्र में कोई नया बवाल पैदा करने की चिंगारी भड़का रहा है। यदि पुलिस-प्रशासन ने टोलकर्मियों की गुंडई पर रोक नहीं लगाई तो निश्चित तौर पर यह गुंडई क्षेत्र की शांति व्यवस्था भंग करने वाली साबित होगी।
मेरठ के वीआईपी इलाके के विकास की खुली पोल
मेरठ: वीआईपी इलाके शास्त्रीनगर में जहां सूबे की योगी सरकार के ऊर्जा राज्यमंत्री का आवास है। इनके अलावा पूर्व सांसद समेत भाजपा के कई बडेÞ नेताओं के आवास हैं, मेरठ के विकास का दम भरने वाले अफसरों ने उस इलाके का कैसा विकास किया है। शुक्रवार को इसकी भी पोल खुल गयी। जब वीआईपी इलाके में कराए गए कार्यों का यह हाल है तो अंदाजा लगा लीजिए कि मेरठ का किस प्रकार का विकास किया जा रहा है या फिर शास्त्रीनगर के अचानक भरभराकर बैठ गयी सड़क की दुर्दशा को देखकर खुद ही स्वीकार कर लीजिए कि विकास के नाम पर चिराग तले अंधेरा है। हालांकि विकास का दावा करने वाले अफसर और बडेÞ नेता कुछ भी क्यों कहते हों।
फर्क बस इतना है कि वीआईपी इलाका है, चर्चा में तुरंत आ गया, वर्ना विकास के दावों की पोल तो पूरे शहर में जगह-जगह खुलती रहती है। सड़क का बनते ही उखड़ जाना, पहली ही बारिश में रोड के छिट कर रोड़ियां रास्ते में फैल जाना, बनते ही नाली का टूट जाना या फिर बागपत रोड पर भारी भरकम रकम खर्च कर बनाए गए नाले में पानी का उल्टा बहना, करोड़ों का खर्चा करने के बाद भी शहर के नालों में पेड़ों का उग आना और निरीक्षण पर निकले प्रभारी मंत्री का अपनी ही सरकार के अफसरों को फटकार लगाना। बारिश के दौरान यदि शहर में किसी अन्य स्थान पर सडक इसी तर्ज पर टूट जाए तो हैरान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि यदि वीआईपी इलाके में सडक टूट सकती है तो फिर पूरे मेरठ में कहीं भी ऐसा हो सकता है।