Saturday, July 27, 2024
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भारत में कैसे होता है चुनाव

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भारत में जब भी चुनावों की बात आती है तो निर्वाचन आयोग का नाम सहज रूप से मस्तिष्क में उभर आता है। यही कारण है कि देश में निर्वाचन आयोग चुनावों का पर्याय बन गया है। देश में 18 वीं लोक सभा के चुनाव में 543 सांसदों को चुनने के लिए निर्वाचन आयोग के द्वारा तिथियों की घोषणा कर दी गई है। लोक सभा के चुनाव पहले चरण में 19 अप्रैल से प्रारंभ होकर 1 जून तक आयोजित किए जाएंगे जो कुल 7 चरणों में संपादित होंगे और इनके परिणाम 4 जून को घोषित किए जाएंगे। भारत का निर्वाचन आयोग एक स्वायत्त संवैधानिक संस्थान है और इसकी स्थापना चुनावों को आयोजित कराने के लिए की गयी थी। भारत के संविधान के आर्टिकल 324 के अनुसार संसद अर्थात देश में लोक सभा और राज्य सभा, राज्यों के विधान सभाओं और विधान परिषदों, भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को आयोजित कराने और उन्हें नियंत्रित करने की जिम्मेदारी भारत के निर्वाचन आयोग को सौंपी गई है। यह एक स्थायी संवैधानिक निकाय के रूप में कार्य करती है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।

भारत के निर्वाचन आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को की गयी थी। प्रारंभ में यह आयोग केवल एक मुख्य चुनाव आयुक्त के द्वारा नियंत्रित की जाती थी। इस आयोग में दो अतिरिक्त आयुक्तों की नियुक्ति पहली बार 16 अकतूबर 1989 को तब की गयी थी जब देश में 1989 में लोक सभा के चुनाव आयोजित होनेवाले थे। पहली जनवरी 1990 को चुनाव आयुक्त सुधार अधिनियम, 1989 के फलस्वरूप भारत के निर्वाचन आयोग को तीन सदस्यीय आयोग के रूप में स्थापित किया गया।

1991 के निर्वाचन आयोग अधिनियम के अनुसार निर्वाचन आयुक्तों के कार्यकाल उनके पद ग्रहण करने के 6 वर्ष या अधिकतम 65 वर्ष के उम्र तक का होता है। भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को अपने पद से संसद के महाभियोग के द्वारा ही हटाया जा सकता है। मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है। भारत में अब तक किसी भी मुख्य चुनाव आयुक्त को उनके पद से महाभियोग के द्वारा नहीं हटाया गया है।

भारत के निर्वाचन आयोग के द्वारा चुनाव की घोषणा के साथ आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है जो सभी पार्टियों के उम्मीदवारों के द्वारा सख्ती से पालन किया जाना अनिवार्य होता है। यह आदर्श आचार संहिता पहली बार 1971 में पाँचवीं लोक सभा के चुनाव के समय लागू की गई थी।

चुनाव आयोग राजनीतिक पार्टियों का रेजिस्ट्रैशन करती है और यह उन्हें चुनावों में भाग लेने के लिए चुनाव चिह्न भी प्रदान करती है। इसके साथ निर्वाचन आयोग के द्वारा ही विभिन्न राजनीतिक दलों को क्षेत्रीय, राज्य और राष्ट्रीय दलों का दर्जा प्रदान किया जाता है। यह आयोग विभिन्न चुनावों में राजनीतिक दलों के द्वारा खर्च की जानेवाली राशियों का भी निर्धारण करती है। आयोग के द्वारा इलेक्टरल रोल्स तैयार किए जाते हैं और मतदाताओं की सूची को अपडेट किया जाता है। चुनाव आयोजित कराने की तिथियों और नोमिनैशन दाखिल करने से संबंधित कार्यक्रमों की भी घोषणा की जाती है। इसके अतिरिक्त चुनाव आयोग ओपिनियन पॉल्स और एग्जिट पॉल्स के प्रचार और प्रकाशन को भी नियंत्रित करती है। चुनावों में खर्च को लिमिटेड रखने के लिए प्रचार की अवधि को 14 दिन रखा गया है। चुनावों में धोखाधड़ी को रोकने के लिए इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड्स (एपिक्स) की शुरुआत 1993 से शुरू की गयी थी।

भारत में वोटिंग इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (इवीएम) से की जाती है जिसकी शुरुआत पहली बार 1982 में केरल के विधान सभा चुनाव में प्रयोग के तौर पर की गई थी। पोस्टल वोटिंग के द्वारा भी मतदान किया जाता है। इवीएम के साथ वोटर वेरिफाइड पेपर आॅडिट ट्रैल (वीवीपीएटी) की शुरूआत सबसे पहले सितंबर 2013 में नागालैंड के नोकसेन विधान सभा क्षेत्र के उप चुनाव के लिए किया गया था। वर्ष 2014 में नोटा को भी लागू किया गया।

क्या आप भारत में चुनाव और निर्वाचन आयोग से संबंधित इन महत्वपूर्ण तथ्यों को जानते हैं?
* किसी राजनीतिक दल को राष्ट्रीय दल का दर्जा प्राप्त करने के लिए कम से कम 4 राज्यों में उसकी उपस्थिति अनिवार्य है। (चार राज्यों मे आयोजित विधान सभा के चुनावों में प्रत्येक में 1.6 प्रतिशत मत की हिस्सेदारी और लोक सभा चुनाव में 4 एमपी की जीत या फिर पूर्व के लोकसभा चुनाव में कुल मतों का 2.2 प्रतिशत और तीन राज्यों से एमपी का विजयी होना जरूरी होता है।)
* देश में पहली लोक सभा चुनाव 25 अकतूबर 1951 को प्रारंभ हुई थी जो 21 फरवरी 1952 तक चली थी।
* राजनीतिक दलों को चुनाव चिह्न निर्वाचन आयोग के द्वारा प्रदान किया जाता है।
* चुनाव प्रचार के लिए दो सप्ताह का समय दिया जाता है।
* वीएस रामादेवी भारत के निर्वाचन आयोग की पहली महिला मुख्य चुनाव आयुक्त थी।
* सुकुमार सेन भारत के निर्वाचन आयोग के प्रथम मुख्य चुनाव आयुक्त थे।
* राष्ट्रपति के चुनाव में किसी तरह के विवाद का निपटारा सुप्रीम कोर्ट के द्वारा किया जाता है।
* निर्वाचन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है।
* मतदाता सूची में रेजिस्ट्रेशन की कोई ऊपरी सीमा नहीं है।
* मतदाताओं को अपने चुनाव बूथ तक पहुँचने के लिए अधिकतम दूरी 2 किलोमीटर है।
* एक बैलट यूनिट में अधिकतम 16 उम्मीदवारों को शामिल किया जाता है।
* 2004 के आम चुनाव से इवीएम का प्रयोग शुरू हुआ।
* वर्ष 1988 के 61 वें संविधान संसोधन के फलस्वरूप मतदान की न्यूनतम आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष की गयी।
* नोटा को वर्ष 2013 में लागू किया गया।
* पोस्टल वोट को सर्विस वोटर भी कहा जाता है।
* कैदी वोट नहीं डाल सकते हैं।
* यदि कोई उम्मीदवार किसी चुनाव में डाले गए कुल वैध मतों का 1/6 हिस्सा पाने में असफल रहता है तो उसकी सिक्यूरिटी डिपॉजिट अर्थात जमानत राशि निर्वाचन आयोग के द्वारा जब्त कर ली जाती है।
* सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को संसदीय चुनाव के लिए 25000 रुपये और राज्यों के विधान सभा के चुनावों के लिए रुपये 10000 रुपये जमानत के रूप में जमा करनी होती है।
* नोटा का सिम्बल नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ डिजाइन अहमदाबाद के द्वारा तैयार किया गया है।
* पहली लोक सभा चुनाव 489 सदस्यों के लिए हुई थी।
* इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पहली बार वर्ष 1982 में केरल के उत्तर पारावुर विधान सभा के उप चुनाव में इस्तेमाल किया गया था।
* एक इवीएम में अधिक से अधिक 2000 मतों को रिकार्ड किया जा सकता है।
* इवीएम के साथ वोटर वेरिफाइड पेपर आॅडिट ट्रैल (वीवीपीएटी) की शुरुआत सबसे पहले सितंबर 2013 में नागालैंड के नोकसेन विधान सभा क्षेत्र के उप चुनाव के लिए किया गया था।
* चुनावों में अमिट स्याही का पहली बार इस्तेमाल 1962 में आयोजित लोक सभा के तीसरे आम चुनाव में किया गया था। यह अमिट स्याही सिल्वर नाइट्रैट का बना होता है। यह नैशनल फिजिकल लैब्रटोरिज, नई दिल्ली के द्वारा 1962 में विकसित किया गया था। यह स्याही कर्नाटक में मैसूर पैंट्स एण्ड वार्निश लिमिटेड के द्वारा उत्पादित किया जाता है।
श्रीप्रकाश शर्मा


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