- करोड़ों की व्हिकल एंट्री फीस, सड़कें कर रही कीमती वाहनों का कत्ल
- कैसे बूझाए प्यास, अभी तो खुद प्यासे हैं वाटर एटीएम, लाखों किए थे खर्च
- ये कैसी स्मार्टनेसआबूलेन सरीखे इलाकों में लेडीज टॉयलेट तक पर हैं लटके ताले
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: अफसरों द्वारा रखरखाव न किए जाने की वजह से मेकअप उतरने की वजह से स्मार्ट कैंट अब बदसूरत नजर आने लगा है। इसके लिए केवल अफसर ही नहीं बल्कि कैंट बोर्ड के निर्वाचित सदस्य भी कम कसूरवार नहीं। सदस्यों की बात करें तो जिन ठेकेदारों से कमिश्नर मिलता है उनके लिए तो बोर्ड बैठकों में कैंट अफसरों से खूब उलझते हैं, लेकिन जहां पब्लिक की बात आती है तो सदस्यों को सांप सूंघ जाता है।
पब्लिक हितों से जुडे मुददों पर मुंह बंद हो जाता है। देश की 62 छावनियों में से सबसे अव्वल की सूची में कभी शुमार होने वाला मेरठ कैंट रखरखाव को लेकर अफसरों की लापरवाही और निर्वाचित सदस्यों की उदासीनता पर आंसू बहाता नजर आ रहा है।
उतर रहा है मेकअप
कैंट एरिया में जिन इलाकों को खासतौर से पब्लिक और देश भर से आने वाले फौजी अफसरों को मेरठ कैंट की शान ओ शौकत और रखरखाव दिखाने के लिए खासतौर से बनवाया व सजाया गया था वो अब कुरूप नजर आने लगे हैं। कैंट प्रशासन के अफसरों के पास इनके रखरखाव के लिए अब वक्त नहीं रह गया है। तमाम खुबसूरत चीजें मुंह चिढ़ाती नजर आ रही हैं।
खुद अपाहिज, क्या देंगी सहारा
माल रोड से डेरी फार्म रोड की ओर जाने वाले सड़क के किनारे पर थके मांदे मुसाफिरों को सहारा देने के लिए पत्थर की बैंच लगवाई गई थीं। ये बैंच इन दिनों बदहाल हैं। अफसरों की लापरवाही की पोल खोल रही हैं। मुसाफिरों को सहार देने वाली पत्थर की ये बैंच अपाहिज हो गई हैं।
मानों कह रही हों कि अभी तो उन्हें खुद सहारे की जरूरत है वो किसी को भला क्या सहारा देंगी। टूट बैंच को संभालने के लिए वहां से गुजरने वाले कुछ फौजियों ने उसको पत्थरों से रोका हुआ है। इन पर बैठना किसी भी प्रकार खतरे से खाली नहीं।
शेर चीते हो गए चोरी
इसी चौराहे पर एक कौने पर कैंट बोर्ड ने सौर्न्यीकरण के नाम पर पत्थर के शेर आदि पशुओं को लगाया था। इससे यहां अद्भुत छटा नजर आती थी। लेकिन कैंट बोर्ड के ये शेर चीते चोरी हो गए हैं। इनकी चोरी की रिपोर्ट तक नहीं दर्ज कराई गई है। जिस पेड़ पर ये पत्थर के शेर फिट कराए गए थे वो भी अंतिम सांसें ले रहा है।
साल भर भी नहीं चला सीईओ का गिफ्ट
कैंट बोर्ड की बैठक में कई सदस्यों ने बदलाल सड़कों का मुददा प्रमुखता से उठाया था। उसके बाद सीईओ ने संज्ञान लेते हुए कुछ सड़कों की मरम्मत के निर्देश दिए थे। इन्हीं में से एक डेयरी फार्म की लिंक रोड भी शामिल थी। उस दौरान इस सड़क का शानदार निर्माण कराया गया था।
हालांकि यह बात अलग है कि बनने के कुछ दिन बाद जब यह उधड़ने लगी तो दोबारा इसको बनाया गया। तब बोर्ड सदस्यों ने इसको सीईओ की ओर से कैंट की पब्लिक के लिए दीपावली गिफ्ट प्रचारित किया था। लेकिन सीईओ का दीपावली गिफ्ट होली आने से पहले ही दम तोड़ गया।
कीमती गाड़ियों की जान ले रही सड़कें
कैंट की सड़कों से गुजरने वाले वाहनों में बड़ी संख्या लग्जरी गाड़ियों की होती है। लेकिन बदहाल सड़कें कैंट से खासतौर से माल रोड से वाया डेयरी फार्म मवाना रोड जाने वाली गाड़ियों की जान लेने का काम कर रही है।
ऐसा लगता है ही नहीं कि गाड़ियां किसी फौजी इलाके से होकर गुजर रही हैं। क्योंकि आम तौर जिन सड़कों से फौजी अफसरों की गाड़ियां गुजरती हैं वो तो पूरी दमखम ही नहीं बल्कि चमक दमक वाली होती हैं। या फिर यह मान लिया जाए कि कैंट की बदहाल सड़को को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।
स्मार्ट कैंट में टॉयलेट पर ताले
दावा मेरठ कैंट के स्मार्ट होने का किय जाता है। लेकिन इस दावे की हकीकत आबूलेन व सदर सरीखे इलाकों में टॉयलेट पर पडेÞ ताले खोल रहे हैं। कैंट प्रशासन यदि अपने टॉयलेट तक का रखरखाव नहीं कर सकता तो फिर कैसे स्मार्ट कैंट की कल्पना की जा रही है इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। जबकि टॉयलेट तो ऐसी चीज है तो दूर दराज के गांव के इलाकों के बस स्टेंड पर भी यदि हो तो वहां भी ताला नहीं डाला जाता है।