- भाजपा पूर्व विधायक संगीत सोम ने की कमिश्नर से शिकायत
- ऊर्जा निगम के विद्युतीकरण पर उठाये सवाल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: भाजपा के पूर्व विधायक संगीत सोम ने कंकरखेड़ा में विकसित की जा रही एक दर्जन अवैध कालोनियों का मुद्दा उठाते हुए कमिश्नर सुरेंद्र सिंह से शिकायत की है। पूर्व विधायक ने ऊर्जा निगम के एमडी को भी अवैध कालोनियों में विद्युतीकरण को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उनका आरोप है कि ड्रीम सिटी से सटकर डीसी एनक्लेव कॉलोनी है।
यह नंगलाताशी और ग्राम जेवरी के खसरा नंबर 77 से 84 तक, खसरा संख्या 743 अवैध रूप से विकसित की जा रही है। शिकायती पत्र में विधायक ने इस जमीन का रकबा करीब 290 बीघा से अधिक बताया है, जिसमें विद्युत विभाग ने 100 केवी के सात ट्रांसफार्मर कैसे लगा दिए? आम आदमी बार-बार ट्रांसफार्मर की मांग करता है, फिर भी उसको ट्रांसफार्मर तक नहीं दिया जाता हैं।
इसको लेकर सवाल उठाते हुए कमिश्नर और ऊर्जा निगम के एमडी से जांच कराने की मांग की है, ताकि इस पूरे रैकेट का खुलासा हो सके। उन्होंने कहा कि ग्राम जेवरी खिर्वा रोड मेरठ खसरा संख्या 14 03 से 1409 तक अवैध रूप से विकसित की गई की जा रही है। इन अवैध कालोनियों को मेरठ विकास प्राधिकरण के इंजीनियर कैसे विकसित होने दे रहे हैं? यह बड़ा सवाल है।
पूर्व विधायक ने स्पष्ट किया है कि शहर में 300 बीघा जमीन में एक भी स्वीकृत कॉलोनी शहर में नहीं विकसित की गई, जबकि अनधिकृत कॉलोनी 300 बीघा में विकसित कर दी गई। इस पर कोई कार्रवाई मेरठ विकास प्राधिकरण ने नहीं की। इतनी बड़ी जगह में कॉलोनी एक दिन में विकसित तो हो नहीं सकती। इसका निर्माण कार्य दो वर्ष से ज्यादा से चल रहा है।
फिर भी मेरठ विकास प्राधिकरण के इंजीनियर दोषी नहीं है। यह मामला अब पूर्व विधायक संगीत सोम ने उठाया है तो सुर्खियों में आ गया है। अब देखना यह है कि कमिश्नर सुरेंद्र सिंह और मेरठ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष का काम देख रहे डीएम दीपक मीणा क्या कार्रवाई करते हैं या फिर इसी तरह से सैकड़ों बीघा में अवैध कालोनियां विकसित होती रहेगी।
सरकारी नाली पर कब्जा?
विधायक संगीत सोम ने ये भी शिकायत की है कि कंकरखेड़ा की कई कॉलोनी ऐसी हैं, जिसमें सरकारी नाली थी, वो अब मौके पर नहीं हैं। एक तरह से सरकारी नाली को भी बिल्डर ने बेच दिया। सरकारी जमीन की जांच पड़ताल करने की मांग भी विधायक ने की हैं। विधायक ने दिये शिकायती पत्र में बाकायदा सरकारी जमीन के खसरा नंबर तक का उल्लेख किया गया है।
पत्र में दावा किया है कि नंगलाताशी और जेवरी की सरकारी नालियों पर भी कब्जा कर जमीन पर प्लाटिंग कर दी गई हैं। इन तमाम मामलों की जांच कराकर बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन अपने स्तर से सरकारी जमीन की निष्पक्ष जांच करता भी है या फिर नहीं।