- शोभापुर संस्कृति मंडप से सटकर विकसित की जा रही अवैध कॉलोनी
- सड़क और जमीन की चारदिवारी निर्माण करने में जुटे श्रमिक
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: हल्दी लगे ना फिटकरी और रंग भी आवे चौखा…। वर्तमान में कुछ बिल्डर अवैध कॉलोनी विकसित कर खूब धन कमा रहे हैं, लेकिन एमडीए को राजस्व की भारी क्षति हो रही हैं। एमडीए का खजाना खाली हो गया हैं। भविष्य में एमडीए के सामने आर्थिंग तंगी पैदा हो सकती हैं। क्योंकि कॉलोनियों से ही एमडीए को डवलपमेंट चार्ज मिलता था, जो अवैध कॉलोनियों से नहीं मिल रहा हैं।
मेरठ विकास प्राधिकरण(एमडीए) का सबसे बड़ा नुकसान प्राधिकरण के इंजीनियर कर रहे हैं। इंजीनियरों की सेटिंग से अवैध कॉलोनियों का पूरा खेल चल रहा हैं। इसको लेकर अवैध कालोनियों को रोकने के लिए कमिश्नर सुरेंद्र सिंह और डीएम दीपक मीणा तमाम प्रयत्न कर रहे हैं, लेकिन प्राधिकरण के इंजीनियर किस तरह से अवैध कॉलोनी विकसित करा रहे हैं।
शोभापुर हाइवे पर ठीक सामने और संस्कृति विवाह मंडप के बराबर में करीब 200 बीघा जमीन में अवैध कॉलोनी विकसित की जा रही है। पिछले 15 दिन से अवैध कॉलोनी की मिट्टी डालकर सड़कें बनाई जा रही हैं और उसकी चारदीवारी की जा रही है। व्यापक स्तर पर इस अवैध कॉलोनी में काम चल रहा है। साइट आॅफिस तक बिल्डरों ने बनाकर हाईवे पर प्लाटिंग शुरू कर दी है।
यह सब हाईवे पर किया जा रहा है, लेकिन मेरठ विकास प्राधिकरण के इंजीनियरों को यह सब नहीं दिख रहा। जब यहां बिल्डिंग बन जाएगी, तब उसको गिराने के लिए प्राधिकरण के इंजीनियर पहुंचेंगे। आखिर शुरूआत में ही अवैध कॉलोनी पर अंकुश क्यों नहीं लगाया जा रहा है ? थाने में इंजीनियर बिल्डर के खिलाफ तहरीर क्यों नहीं दे रहे हैं? इसमें प्राधिकरण इंजीनियर की तरफ से तमाम ढील दी जाती है, जिसकी वजह से दिन-रात अवैध कॉलोनी में काम चल रहा है।
यह काम बिना सेटिंग के संभव नहीं हो सकता। क्योंकि हाइवे पर 200 बीघा जमीन में दीवार की चिनाई करके घेराबंदी और फिर मिट्टी का भराव, सड़कों के लिए मिट्टी भरना, यह सब मेरठ विकास प्राधिकरण के इंजीनियरों कि बिना सेटिंग के संभव नहीं हो सकता। ऐसा तब है जब कमिश्नर सुरेंद्र सिंह और डीएम दीपक मीणा अवैध निर्माण को लेकर हर रोज इंजीनियरों की क्लास लगा रहे हैं।
रिपोर्ट भी ले रहे हैं और इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी जा रही है, मगर इसका फर्क लगता दिखाई नहीं दे रहा। इंजीनियरों में कतई खौफ नहीं दिख रहा हैं, तभी तो 200 बीघा में अवैध कॉलोनी विकसित की जा रही है और वो भी हाइवे पर सटकर। यही वजह है कि हाइवे से सटकर संस्कृति मंडप के पास व्यापक स्तर पर प्लॉटिंग का काम शुरू कर दिया गया है। इ
समें बिल्डर के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कराई जा सकती है, मगर मेरठ विकास प्राधिकरण के इंजीनियर ऐसा नहीं कर रहे हैं। बिल्डर को अवैध कॉलोनी विकसित करने की खुली छूट दी जा रही हैं। इतना अवश्य है कि इंजीनियर नोटिस भेजने की सिर्फ खानापूर्ति करते हैं, बाकी मौके पर काम चलता रहता है।
यह सब कुछ शोभापुर के सामने स्थित इस अवैध कॉलोनी में चल रहा है। इसके लिए आखिर किस की जवाबदेही है? क्या कमिश्नर और डीएम के स्तर से संबंधित इंजीनियरों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाएगी? अब यह देखना बाकी है।