Saturday, September 21, 2024
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कैंट अफसरों की कारगुजारी का नमूना है अवैध एसजीएम गार्डन

  • कैंट ऐक्ट की अनदेखी के चलते की गयी चूक का है नतीजा
  • डीईओ धनपत राम ने दिखाई थी हिम्मत पहुंच गए थे जेसीबी लेकर
  • सब एरिया कमांडर केटीजी नांबियार ने किया था सख्त रूख

शेखर शर्मा |

मेरठ: कैंट के बु्रक स्ट्रीट स्थित बंगला नंबर 302 इकबाल बॉस का बेयरिंग एंड गेस्ट हाउस में बनाया गया एसजीएम गार्डन कैंट के कुछ भ्रष्ट अफसरों के कारनामों का नमूना बनकर रह गया है। वहीं, दूसरी ओर रक्षा संपदा कार्यालय के जिन अफसरों को इसके अवैध निर्माण के खिलाफ कोर्ट में पैरवी व ध्वस्तीकरण सरीखी कार्रवाई करनी चाहिए वो जिम्मेदारी से मुंह मोडे बैठे हैं।

इस भारी भरकम अवैध निर्माण के लिए केवल कैंट अफसर ही जिम्मेदार नहीं बल्कि व्यापार संघ और भाजपा के कुछ बडेÞ नेताओं के अलावा सेना के कुछ रिटायर्ड अफसर भी जिम्मेदार हैं। बताया जाता है कि सेना के कुछ रिटायर्ड अफसरों ने अवैध निर्माण के इस मुजस्मे को तैयार कराने में अहम् भूमिका निभाई।

ओल्ड ग्रांट के इस बंगले के यदि मालिकानों की बात की जाए तो डीईओ के जीएलआर में करीब आधा दर्जन से ज्यादा नाम दर्ज हैं। जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं। अमरजीत नाम के शख्स के पक्ष में एक मुख्तार नामा तैयार कराय गया। इस मुख्तार नाम के आधार पर दावपेंच खेलकर अवैध निर्माण का पूरा साम्राज्य खड़ा कर लिया गया। इतना ही नहीं अवैध कब्जे तक के आरोप हैं।

एसजीएम गार्डन के लिए तत्कालीन सीईओ एके श्रीवास्तव की कारगुजारियों को जिम्मेदार माना जाता है। जानकारों के अनुसार कैंट ऐक्ट में कहीं भी जीएलआर में मुख्तारनामा दर्ज किए जाने का प्रावधान नहीं है, लेकिन सिक्कों की खनक ने डीईओ कार्यालय के जीएलआर में मुख्तारनामा भी दर्ज करा दिया। एके श्रीवास्तव की इस गलती की कीमत बाद में आए तमाम डीईओ अफसरों को चुकानी पड़ी।

एसजीएम गार्डन कोई एक दिन में निर्माण नहीं कर लिया गया। इसकी शुरूआत टॉयलेट और रूम से की गयी। साल 1993 के आसपास यहां अवैध रूप से निर्माण शुरू कर दिया। इसके बाद यहां जैनरेटर का काम शुरू किया गया। जैनरेटर का काम शुरू करने के लिए पीछे के साइड की सरकारी जगह को भी घेर लिया गया। जिससे ध्वनी प्रदूषण होने लगा।

इन अफसरों ने की कार्रवाई

इस बंगले में किए गए अवैध निर्माण की यदि बात की जाए तो ऐसा नहीं कि सभी अफसर बिक गए थे। कुछ अफसर ऐसे भी थे जिन्होंने इस अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की हिम्मत जुटाई। इनमें बड़ा नाम रक्षा संपदा अधिकारी धनपत राम का लिया जाता है। अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के लिए वह जेसीबी लेकर पहुंच गए थे।

बवाल और एफआईआर

  • ध्वस्तीकरण को लेकर जमकर बवाल हुआ था। अवैध निर्माण करने वालों ने हथियार निकाल लिए थे। परिवार की महिलाओं को आगे कर अवैध निर्माण को बचाने का प्रयास किया गया। परिवार की महिलाओं के अलावा व्यापार संघ और भाजपा के नेताओं का यूज भी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के खिलाफ किया गया। हालांकि कुछ हिस्सा ध्वस्त कर दिया गया था। इस मामले में धनपत राम की ओर से थाना लालकुर्ती में अमरजीत के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा लिखाया गया था।
  • कैंट के दूसरे अधिकारी डीएन यादव थे जिन्होंने अमरजीत के अवैध निर्माण व कब्जों को हटाने का बीड़ा उठाया। पर्यावरण मंत्रालय में शिकायत भेज दी गयी। जिसके बाद अमरजीत को अपना जनरेटर का धंधा समेटना तक पड़ गया था। तमाम प्रकार के दबाव डीएन यादव पर डाले गए, लेकिन उन्होंने झुकने से साफ इनकार कर दिया। विधायक व व्यापार संघ को उनके सामने अड़ा दिया गया, लेकिन इनकी भी डीएन यादव के सामने एक न चली।
  • सब एरिया कमांडर व कैंट बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष केटीजी नांबियार भी ऐसे अफसर थे जिन्होंने अमरजीत को दिन में तारे दिखाने का काम किया। उन्होंने भी अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की ठान ली थी। हालांकि इसको लेकर कुछ पूर्व सैन्य अधिकारियों की मदद लेकर नांबियार के खिलाफ झूठी शिकायतें मंत्रालय को भेजी गयीं। हालांकि यह बात अलग है कि तमाम आरोप निराधार निकले।

फाइलों पर जमी धूल

एसजीएम के अवैध निर्माण को लेकर डीईओ कार्यालय में पड़ी फाइलों पर अब धूल की मोटी परत जम गयी है। धनपत राम के बाद करीब आधा दर्जन से ज्यादा डीईओ आए लेकिन उन्होंने मुंह चिढ़ा रहे इस अवैध निर्माण की सुध तक नहीं ली। इतना ही नहीं हाईकोर्ट में चल रहे मामलों को लेकर भी कोई गंभीरता नहीं बरती गयी। जिसका नतीजा यह हुआ कि टॉयलेट से शुरू हुआ अवैध निर्माण अब भारी भरकम विवाह मंडप एसजीएम गार्डन में परिवर्तित हो गया है।

भाजपा नेता कर रहे बुकिंग

बनने के बाद एसजीएम गार्डन को चलाने के लिए कई पार्टियां आयी और गयीं, लेकिन वर्तमान में कैंट विधायक के करीबी माने जाने वाले एक भाजपा व व्यापारी नेता फेसबुक के जरिये एसजीएम गार्डन की बुकिंग कर रहे हैं। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं भाजपा के इस नेता ने एसजीएम को खरीद लिया है या फिर ठेके पर चलाने के लिए ही लिया है।

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