- मनुष्य को जीवन में करना होगा बहुत कुछ बदलाव, तभी स्वस्थ रहना संभव
- जैसे एलोपैथिक की जगह आयुर्वेद जरूरी, ठीक उसी तरह बाजार के जंक फास्ट फूड की जगह, घर की रसोई का भोजन जरूरी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय आयुर्वेद महासम्मेलन में प्रदेश के साथ देशभर से आयुर्वेदाचार्य शामिल हो रहे हैं। सम्मेलन के दूसरे दिन भी आयुर्वेदाचार्य कार्यक्रम में शामिल हुये। उन्होने तमाम उन बातों पर चर्चा की जिसमें व्यक्ति असाध्य बीमारी से ग्रसित होने से कैसे बचे और उसके लिये उसे जीवन में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, यदि वह बीमार होता जाता है तो उसे किस तरह की चिकित्सा पद्वत्ति अपनानी चाहिए। उस पर वैद्यों एवं हकीमों ने अपने विचार साझा किये। उन्होने बताया कि व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिये जीवन में बहुत कुछ बदलाव करना होगा।
दिल्ली के रोहिणी से आये डा. सुनील आर्य ने बताया कि वह लगातार करीब 15 वर्षो से आयर्वेद पद्वत्ति से मरीजों का बेहतर ढंग से इलाज कर रहे हैं,लगातार असाध्य रोग जो बढ़ रहे हैं। उनका मानना है कि उसके लिये दवाईयों से पहले मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिये अपने खानपान पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। जैसा व्यक्ति बाजार का भोजन करेगा जिसमें फाट फूड,या घर का साधारण खानपान करेगा। ठीक उसका उसके स्वास्थ्य पर वैसा ही प्रभाव पडेगा,इसी तरह एलोपैथिक दवाई के सेवन का जो स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पडता है,
वह आयुवैदिक दवाई का सेवन करने वालों के स्वास्थ्य पर दिखाई नहीं देता। व्यक्ति को खानपान एवं दवाईयों के सेवन पर विशेष ध्यान देना चाहिए,तभी वह स्वस्थ रह सकता है। कंकरखेड़ा के सैनिक विहार से वैद्य राजकुमार ने बताया कि मनुष्य को खाद्य पदार्थो के साथ रहन सहन एवं बीमार होने पर दवाईयों के सेवन पर भी ध्यान देना चाहिए,वह आयुर्वेद को जीवन में अपनाये और असाध्य रोगों से ग्रसित होने ताकि वह बच सके। बागपत के असोरा से आये एहसान उल्ला खान हकीम ने बताया कि वह करीब 30 वर्षो से आयुर्वेद चिकित्सा से मरीजों का इजाज कर रहे हैं,
जिसमें एलोपैथिक दवाईयों से ज्यादा करागर आयुर्वेद में असाध्य रोगों से उपचार किया जा सकता है। उन्होने बताया कि बाजार के जंक फूड से ज्यादा घर में तैयार भोजन ही खाना चाहिए,ताकि शरीर को स्वस्थ रखा जा सके। इसी तरह से अन्य चिकित्सकों ने भी अपने अपने विचारों में दवाईयों के साथ ही जिस तरह एलोपैथिक की जगह आयुर्वेद पर जोर दिया,ठीक उसी तरह बाजार के फास्ट फूड छोड़कर घर की रसोई में बना भोजन खाने पर जोर दिया।
आयुर्वेद के अधिकतर हकीम एवं वैद्यों ने जिस तरह जीवन में स्वस्थ रहने के लिये एलोपैथिक की जगह आयुर्वेदिक दवाईयों का सेवन बीमारी से स्वस्थ होने के लिये करना चाहिए,ठीक वैसे ही बाजार के जंक एवं फास्ट फूड छोड़कर घर की रसोई में तैयार भोजन ही करना चाहिए,तभी स्वस्थ रहा जा सकता है। वहीं उन्होने बताया कि मनुष्य को सबसे पहले अपनी दिनचर्या में बदलाव करना होगा,कि उसे किस समय प्रात:जागना है और किस समय रात्रि में सोना है,इन सब बातों का ध्यान रखना है,
वहीं किसानों को चाहिए की वह खेतीबाडी में ज्यादा कीटनाशक दवाईयां एवं रसायनिक दवाईयों का प्रयोग कम से कम करें। वहीं जल एवं वायु प्रदूषण की जो समस्या लगातार बढती जा रही है,उस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए,तभी मनुष्य जीवन में स्वस्थ रह सकता है,केवल एलेपैथिक की जगह आयुर्वेद दवाईयों के सेवन से ही मनुष्य स्वस्थ नहीं रह सकता,उसके लिये उसे जीवन में बहुत कुछ बदलाव करना होगा।