- किताबों के दाम में बीस फीसद तक की बढ़ोतरी
- फीस और ड्रेस भी हुआ महंगा, अभिभावाक हलकान
वरिष्ठ संवाददाता |
सहारनपुर: अंग्रेजी स्कूलों में आम आदमी को अपने पाल्यों को पढ़ाना मुश्किल हो गया है। फीस, ड्रेस और किताबों के दाम हर साल बढ़ाए जा रहे हैं। निजी स्कूल हर साल सिलेबस भी बदल देते हैं। अब किताबों के दाम भी 10 से बीस फीसद तक की बढ़त की गई है।
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इससे अभिभावक परेशान हैं। हाल ये है कि किताबों की दुकानों पर अभिभावकों और बच्चों की लाइन लगी है। अभिभावक महंगाई पर कुछ बोलने से भी कतरा रहे हैं। उनका मानना है कि बोलेंगे तो कहीं स्कूल से बच्चों का नाम न कट जाए।
बता दें कि एक अप्रैल से सीबीएसई का नया सत्र शुरू चुका है। नए सेशन के सिलेबस की लिस्ट भी अभिभावकों के हाथों में थमा दी है। स्टेशनरी बाजार में नर्सरी से लेकर 12वीं तक की कापी-किताबों के दामों में करीब 10 से लेकर 20 फीसद तक की वृद्धि की गई है। निजी प्रकाशनों से नर्सरी का कोर्स 1200 से 1500 रुपए तक मिल रहा है।
जबकि कक्षा एक से पांचवी तक का कोर्स 2000 से 3500 रुपए में मिल रहा है। छठी से आठवीं तक का कोर्स 3300 से 3800 रुपए तक मिल रहा है। वहीं, इंटरमीडिएट की किताबों के दाम 4000 से 4500 रुपए तक हो गए है। जबकि नेशनल काउंसिल आॅफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (ठउएफळ) की यही किताबें सिर्फ 400 से 500 रुपए तक में मिल जाती है।
एनसीईआरटी की किताबों की किल्लत
स्टेशनरी बाजार में नेशनल कॉउंसिल आॅफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) की किताबों के दाम अभी भी कम हैं। लेकिन बुक सेलर्स के पास एनसीईआरटी की किताबों को स्टॉक कम है। शहर के प्रमुख पुस्तक विक्रेता का कहना है कि डिपो से ही एनसीईआरटी की पुस्तकें नहीं आ रही है।
जबकि निजी संस्थाओं यानी प्राइवेट स्कूलों की तादाद बढ़ती जा रही है। खास बात यह है कि सस्ती मिलने वाली एनसीईआरटी की किताबों को सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के स्कूल लागू नहीं करते हैं।
सभी स्कूलों की चिन्हित दुकानें हैं। अभिभावकों को लिस्ट थमा कर दुकान का पता भी बताया जा रहा है। सहारनपुर में सीबीएसई बोर्ड के 135 और आईसीएसई बोर्ड के मात्र दो ही स्कूल है।