Saturday, July 27, 2024
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बच्चों में अनिद्रा सीखने के प्रक्रिया को करती है प्रभावित

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BALWANI


बच्चे के स्वस्थ और सेहतमंद जीवन की शुरुआत बचपन से ही होती है। बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बच्चे को पर्याप्त नींद की आवश्यकता होती है। समय के साथ साथ नींद की गुणवत्ता भी बहुत जरूरी है। उदाहरण के लिए, तंत्रिका तंत्र की वृद्धि और विकास के लिए बिना रुकावट वाली अच्छी और गहरी नींद बहुत जरूरी है। दिन में थोड़ी थोड़ी देर के लिए सोने से भी एकाग्रता विकसित होगी। इसलिए अगर बच्चा दिन में थोड़ी देर के लिए सोता है, तो वो नींद भी उसके नींद के समय में गिनी जाएगी।

मानव शरीर एक ऐसी मशीन की तरह है जिसे सही ढंग से काम से करने के लिए रोजाना पर्याप्त आराम की जरूरत होती है। और नींद ही वो समय या तरीका है जिससे शरीर को आराम मिलता है। बच्चों को मानसिक और शारीरिक स्तर पर स्वस्थ रहने के लिए रोज पर्याप्त नींद की जरूरत होती है। सही वजन, बेहतर एकाग्रता और खुशहाल व्यवहार के लिए पर्याप्त नींद बहुत फायदेमंद होती है। नींद की कमी के कारण बच्चों को भविष्य में अवसाद, मोटापा यहाँ तक कि हाई ब्लड प्रेशर की भी समस्या हो सकती है। एक समाचार के अनुसार, शोधकर्ताओं का कहना है कि नींद पूरी नहीं होने से स्कूल में छात्रों का प्रदर्शन प्रभावित होता है। खासकर धनी देशों में ये समस्या ज्यादा है। विशेषज्ञों का कहना है कि देर रात तक मोबाइल और कम्प्यूटर का इस्तेमाल इसका मुख्य कारण है। अध्ययन से पता चला है कि नींद पूरी नहीं होना एक गंभीर समस्या है। कक्षा में ऊंघ रहे छात्रों के कारण दूसरे छात्रों को भी परेशानी होती है और पढ़ाई भी प्रभावित होती है। बॉस्टन कॉलेज ने इस संबंध में दुनियाभर से आंकड़े जुटाए और उनका तुलात्माक अध्ययन किया। इसमें पाया गया कि नींद से वंचित छात्रों की सबसे ज्यादा संख्या अमरीका में है।

नींद की आवश्यकता
एक सर्वेक्षेण के अनुसार ,शिक्षकों के मुताबिक नौ और दस साल के 73 प्रतिशत तथा 13 और 14 साल के 80 प्रतिशत छात्र कम नींद की समस्या से जूझ रहे हैं।ये अंतरराष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक है।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 47 प्रतिशत प्राथमिक छात्रों को और 57 प्रतिशत माध्यमिक छात्रों को और अधिक नींद की जरूरत है। न्यूजीलैंड, सऊदी अरब, आॅस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, आयरलैंड और फ्रांस जैसे देशों में भी नींद से वंचित छात्रों का आंकड़ा अंतरराष्ट्रीय औसत से अधिक है। फिनलैंड भी उन देशों में भी शामिल है जहां बच्चे अपनी नींद पूरी नहीं कर पाते। दूसरी तरफ पुर्तगाल, चेक गणराज्य, जापान और माल्टा ऐसे देश हैं जिनका रिकॉर्ड इस मामले में बहुत अच्छा है। यानी इन देशों में बच्चे भरपूर नींद लेते हैं।

मस्तिष्क की कार्यप्रणाली और नींद
वैश्विक शैक्षणिक रैंकिंग के आंकड़ों के अनुसार जिन्हे 50 से भी अधिक देशों में नौ लाख से अधिक प्राथमिक और माध्यमिक छात्रों पर किए गए परीक्षण से एकत्रित किया गया है , बताते हैं कि नींद नहीं आने से बच्चों की सीखने की प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हो सकती हैं। एक समाचार के अनुसार, सर्रे विश्वविद्यालय के निद्रा शोध केंद्र के निदेशक डर्क जान डिज्क ने कहा, नींद पूरी नहीं होने से सीखने, याद रखने और पढ़ने-लिखने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। नींद नहीं आने और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को लेकर हुए शोध से ये बात साबित हुई है कि याददाश्त के लिए नींद बेहद जरूरी है। नींद नहीं आने की स्थिति में दिमाग को चीजों को ग्रहण करने और याद रखने में परेशानी होती है। परीक्षा के दिनों में बच्चे गहरी और पूरी नींद नहीं ले पाते हैं जिसके कारण परीक्षाओं में उनके प्रदर्शन पर इसका प्रभाव देखने को मिलता है। अत: अभिभावकों को ऐसे समय में बच्चों को निश्चिंतता देनी चाहिए , उन्हें बुरे परीक्षा परिणामों के भय से बाहर निकालना चाहिए ताकि वे निश्चिंत हो , पूरी नींद ले सकें।

नींद की गुणवाता और तरीके
बच्चे के स्वस्थ और सेहतमंद जीवन की शुरुआत बचपन से ही होती है। बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बच्चे को पर्याप्त नींद की आवश्यकता होती है। समय के साथ साथ नींद की गुणवत्ता भी बहुत जरूरी है। उदाहरण के लिए, तंत्रिका तंत्र की वृद्धि और विकास के लिए बिना रुकावट वाली अच्छी और गहरी नींद बहुत जरूरी है। दिन में थोड़ी थोड़ी देर के लिए सोने से भी एकाग्रता विकसित होगी। इसलिए अगर बच्चा दिन में थोड़ी देर के लिए सोता है, तो वो नींद भी उसके नींद के समय में गिनी जाएगी। अक्सर, बच्चे के सोने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं-बच्चे वीकेंड या छुट्टियों में ज्यादा देर तक सोते हैं, जिससे चिंतित होने की बात नहीं है, क्योंकि यह सामान्य है। हालांकि, अगर आपका बच्चा पर्याप्त नींद लेने के बाद भी जरूरत से ज्यादा सुस्त लगता है, तो बाल चिकित्सक से सलाह लेने की जरूरत है, क्योंकि ऐसी सुस्ती और थकान किसी गंभीर बीमारी का कारण हो सकती है। अपने बच्चे को नियमित व्यायाम देना महत्वपूर्ण है, लेकिन रात में बेहतर नींद दिलाने के लिए अपने बच्चे को थकाने के चक्कर में न पड़ें। अक्सर, इससे वे अत्यधिक थक जाएंगे और वास्तव में सोना मुश्किल हो जाएगा।

योग और नींद
योग सीधे तौर पर हमारी नींद को प्रभावित नहीं करता है। योग हमारे दिमाग और शरीर को स्थिर और आराम करने में मदद करता है, और जब हमारा शरीर आराम करता है और हमारा दिमाग तनाव और चिंता से मुक्त होता है, तो हम शांति से सोते हैं। जब हम तनावग्रस्त या चिंतित होते हैं तो हमारी नींद का चक्र गड़बड़ा जाता है। बच्चों और किशोरों कुछ सामान्य योग आसन के नियमित अभ्यास द्वारा , अच्छी नींद के साथ एकाग्रता भी प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे में अभिभावकों और विद्यालय के संयुक्त प्रयासों द्वारा बच्चों और किशोरों में अनिद्रा की समस्या का समाधान कर , सीखने की प्रक्रिया को सुगम बनाया जा सकता है।                                                             -राजेंद्र कुमार शर्मा


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