बच्चों को खिलौने बेहद पसंद होते हैं, उन्हें देखते ही उनके चेहरे के भाव उनकी खुशी को साफ तौर पर दशार्ने लग जाते हैं। इन खिलौनों से ही बच्&चे काफी कुछ सीखते हैं मसलन कलर्स की पहचान, काउंटिंग, टेबल और भी ना जानें क्या क्या । लेकिन अक्सर माता-पिता बिना सोचे समझे बच्चों के लिए खिलौने खरीदने लगते हैं, जिनका असर उनके मानसिक विकास पर पड़ता है। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्&चा एक्टिव हो और उसमें सीखने की क्षमता का निरंतर विकास हो, तो बच्चों के लिए खिलौनों का चयन सोच-समझ कर करें।
सोचने और समझने की ओर प्रेरित करने वाले
अधिकतर एजुकेशनल टॉय ऐसे होते हैं जो बच्चों को बिना किसी बड़े व्यक्ति की सहायता और कंडीशन के घुलना-मिलना सिखाते हैं। यह जरूरी है कि आप ऐसे खिलौनों का चयन करें, जो बच्चों को सोचने और समझने की ओर प्रेरित करें। ध्यान रहे इस तरह के खिलौने बहुत अधिक महंगे या ट्रेंडी नहीं होते। माता-पिता का ध्यान खींचने के लिए खिलौने विकल्प नहीं होने चाहिए। बच्चों को ऐसे सुरक्षित, सस्ते खिलौने उपल्बध कराएं, जिनका विकासात्मक उपयोग हो। बच्चों के खिलौने ऐसे होने चाहिएं, जो उन्हें विकास और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने वाले क्षेत्रों में सीखने और विकास को बढ़ावा देने वाले हों। उन खिलौनों से बचना चाहिए, जो कल्पनाशक्ति का उपयोग करने से बच्चों को हतोत्साहित करते हैं। बच्चों को ऐसे खिलौने दें, जो उन्हें हमेशा कुछ अच्छा सीखने के लिए प्रेरित करें, उनके ज्ञान में वृद्धि करे और उन्हें मानसिक रूप से समृद्ध बनाए, जिससे बड़े होने पर उन्हें जीवन की समस्याओं से उबारने में सामाजिक, भावनात्मक और संज्ञानात्मक कौशल विकसित हो। खिलौने जो अच्छा सामाजिक, स्वस्थ प्रतिस्पर्धात्मक भाव भी विकसित करें
अकेलापन दूर करने वाले
खिलौने ऐसे होने चाहिए जो न सिर्फ बच्चे का अकेलापन दूर करें, बल्कि उनमें एक अच्छा सामाजिक, स्वस्थ प्रतिस्पर्धात्मक भाव भी विकसित करें। दोस्तों या परिवारजनों के साथ खेलने से बच्चों में सहयोग, सद्भाव की भावना विकसित होती है एवं खेल-भावना को समझने में सरलता होती है। छोटे बच्चों को बिल्डिंग ब्लॉक जैसे खेलों से अपनी रचनात्मक शक्ति बढ़ाने में मदद मिलती है। खेल- खेल में अपनी चीजें साझा करना सीखते हैं, हार- जीत से दबाव में न आना और सबसे मिलकर रहना सीखते हैं।
हिंसा वाले खिलौनों से रखें दूर
अपने बच्चों के साथ ऐसी किताबें और मैगजीन शेयर करें, जिन्हें आप भी उनके साथ पढ़ सकें। कुछ खिलौने हिंसा या जातीय या लिंग भेद को बढ़ावा देने वाले होते हैं। ऐसे खिलौनों से अपने बच्चों को दूर रखें। जैसे कि वीडियो गेम और कंप्यूटर गेम का इस्तेमाल सीमित होना चाहिए। प्रतिदिन बच्चों का कुल स्क्रीन टाइम (जिसमें टीवी और कम्प्यूटर देखना भी शामिल है), प्रतिदिन 1 से 2 घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए। 5 साल से छोटे बच्चों को टीवी और वीडियो गेम्स का इस्तेमाल तभी करने दें जब वह उनके लिए विकासात्मक रूप से उपयुक्त हों।
खिलौन न हों नुकीले
बच्चों को दिए गए खिलौने ऐसे होने चाहिए जो नुकीले न हो और बच्चों को नुकसान न पहुंचा सकें-खासतौर पर अगर आपका बच्चा छोटा है तो उन्हें ऐसे खिलौने न दें जिनके छोटे-छोटे अथवा नुकीले पार्ट्स हों, इन खिलौनों को बच्चा मुँह में डाल सकता है अथवा हाथ- पैर में चोट लगा सकता है, जिससे उसकी जान को खतरा हो सकता है। यह भी ध्यान रहे कि बच्चे को खिलौना देकर यूं ही निश्चिंत न हो जाएँ, बल्कि ख्याल रखें कि बच्चा वो खिलौना कैसे खेल रहा है और कितना समय दे रहा है।
शारीरिक और मानसिक सक्रियता बढ़ाने वाले खिलौने
बच्चे के सही विकास के लिए ये याद रखना भी आवश्यक है कि उसके पास ऐसे खिलौने भी हों जो उसकी मानसिक गतिविधि के साथ- साथ उसकी शारीरिक सक्रियता को बढ़ाने में सहयोगी हों। क्योंकि अगर बच्चे को बैठे- बैठे खेलने की आदत पड़ जाएगी तो उसके सम्पूर्ण स्वास्थ्य व शारीरिक विकास पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ना अवश्यंभावी है। इसलिए अपने बच्चे के लिए खिलौने खरीदते समय पूरा ध्यान रखें कि उस खिलौने से आपका बच्चा क्या सीखेगा, उसके मानसिक व शारीरिक विकास पर इसका क्या असर पड़ेगा और सुरक्षा की दृष्टि से भी खिलौना पूरी तरह जांचा- परखा गया है। साथ ही इस बात का ख्याल रखें कि खिलौना देने से ज्यादा महत्वपूर्ण है आपका अपने बच्चे के साथ अच्छा समय बिताना, उसे समझना और उसे एक अच्छा इंसान बनने में सहायता करना।