Friday, December 27, 2024
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कुछ तो है जिसकी पर्देदारी है?

Samvad


Nirmala Raniराजधानी दिल्ली ने पिछले दिनों 18वें जी-20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन में मेजबान की भूमिका निभाई। 1999 में गठित इस ग्रुप आजी-फ ट्वेंटी के नाम से अपनी पहचान बनाने वाले संगठन में अर्जेंटीना, आजी-स्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रस , जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रका, तुर्कि, यू-के, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा यूरोपीय संघ जैसे 20 देश शामिल हैं। जी-20 को बीस वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नर्स के समूह के रूप में भी जाना जाता है जो कि विश्व की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नर्स का एक संगठन है। इससे पूर्व 17वां जी-20 शिखर सम्मेलन इंडोनेशिया के बाली में 15-16 नवंबर 2022 को आयोजित किया गया था और अब 18वां जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन 9-10 सितंबर 2023 को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ है। जबकि 2024 में 19वें जी-20 सम्मलेन अध्यक्षता ब्राजील के पास होगी। इस सम्मलेन का मुख्य मकसद वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रणालीबद्ध महत्वपूर्ण औद्योगिक और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाने के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करना है। 9-10 सितंबर 2023 को दिल्ली में आयोजित हुये जी-20 शिखर सम्मेलन से पूर्व इसी वर्ष भारत ने अपने सभी 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों के 60 प्रमुख शहरों में भी जी-20 की 220 बैठकें सफलतापूर्वक संपन्न कराकर अपनी सामर्थ्य व मेजबानी से पूरे विश्व को परिचित कराया है।

पश्चिमी देशों के कई प्रमुख अखबारों ने जहां जी-20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन का जिक्र किया है वहीं इस आयोजन के मद्देनजर दिल्ली के सौंदर्यीकरण के नाम पर कई इलाकों में झुग्गियों को गिराने के विषय को भी प्रमुखता से उठाया है। अखबारों ने लिखा है कि किस तरह भारतीय अधिकारियों ने जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले गरीब बस्तियों को हटा कर दिल्ली के सौंदर्यीकरण का अभियान चलाया। इतना ही नहीं, बल्कि वाशिंगटन पोस्ट ने तो अपने एक लेख में यह भी लिखा कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वैश्विक कार्यक्रम को अपने रिब्रांडिंग के लिए इस्तेमाल किया है।

लेख में कहा गया- ‘देश भर में बिलबोर्ड पर प्रधानमंत्री का चेहरा चिपका दिया गया है। इसका संदेश सरल है-दुनिया के शीर्ष नेताओं की मेजबानी करके, भारत एक विश्व शक्ति के रूप में उभरा है, और मोदी ही वो व्यक्ति हैं जो देश को वहां तक ले गए।’ लेकिन सच्चाई थोड़ी अलग है। जी 20 की अध्यक्षता हर सदस्य देश को मिलती है। जैसे इंडोनेशिया को पिछले साल मिली थी।

बाइडेन और पीएम मोदी की द्विपक्षीय वार्ता के बाद तो एक अमेरिकी पत्रकार ने व्हाइट हाउस प्रवक्ता से अपना पहला ही सवाल दिल्ली में झुग्गियों को हटाए जाने पर पूछ लिया। अमेरिकी पत्रकार ने पूछा,बाइडेन-मोदी के बीच मुलाकात के संबंध में सबसे पहले मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या बातचीत में झुग्गियों पर बुलडोजर चलाए जाने को लेकर बात हुई? क्या राष्ट्रपति बाइडेन ने पूछा कि सुनिए…लोकतांत्रिक सरकारें ऐसा बर्ताव नहीं करती हैं?

दरअसल जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले दिल्ली के पूर्वी जिला प्रशासन का मयूर विहार फेज -एक में झुग्गियों पर बुलडोजर चला। खादर में तीन अलग-अलग स्थानों पर कार्रवाई करके 30 से अधिक झुग्गियों को तोड़ दिया गया। यहां कथित तौर पर अवैध रूप से रह रहे करीब पांच हजार लोगों को हटाया गया था। दोबारा से कब्जा करने पर झुग्गीवासियों से कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहने को कहा गया था।

इस कार्रवाई से पहले प्रशासन ने झुग्गियों में रहने वाले लोगों को स्वयं झुग्गी हटाने की चेतावनी दी थी। परन्तु इसके बाद भी लोग हटने को तैयार नहीं थे। फिर भी प्रशासन द्वारा डीएनडी व नर्सरी पुश्ते के पास से झुग्गियां हटाई गई। क्योंकि इन्हीं मार्गों से सम्मेलन के दौरान विदेशी मेहमानों का आवागमन हुआ था। प्रशासन द्वारा प्रगति मैदान व इसके आस पास में बसीं झुग्गियों को भी खाली कराया गया था। झुग्गियों में रहने वाले लोगों ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन अदालत ने बस्तियों को अवैध करार दे दिया।

मेहमानों को चमक दमक दिखाने के लिए गरीबों व झुग्गीवासियों पर गाज गिरना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले दिल्ली में हुये कॉमन वेल्थ खेलों के दौरान भी सरकार ने अपने ‘बदनुमा दाग’ छुपाने के लिए आधी दिल्ली को बड़े बड़े बोर्ड्स से ढक दिया था। याद कीजिये जब 24 फरवरी 2020 को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने गुजरात में अहमदाबाद का दौरा किया था और प्रधानमंत्री ने उनके साथ रोड शो किया था उस समय भी सड़कों के किनारे रहने वाले झुग्गी वासियों को छुपाने के लिये मार्ग में कई जगह पक्की दीवारें खड़ी कर दी गर्इं थीं।

झुग्गी से नफरत को लेकर इसी सम्बन्ध में एक विरोधाभास भी नजर आया। जिस समय राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अतिथि विदेशी मेहमानों का स्वागत कर रहे थे, उस समय स्वागत स्थल की पृष्ठभूमि में झोपड़ी नुमा साबरमती आश्रम का विशाल बैनर लगा हुआ था।

मेहमानों के स्वागत में अपने घर को चमकाना निश्चित रूप से जरूरी है परंतु गरीबों की चीख पुकार और बुलडोजर की गड़गड़ाहट की शर्त पर इसे कोई भी मानवतावादी अच्छा नहीं कह सकता। गरीबों को उजाड़ने व उन्हें पर्दों के पीछे छुपाने के क्या मायने हैं? मिर्जा गालिब ने यूंही नहीं कहा था, बे-खुदी बे-सबब नहीं गालिब। कुछ तो है जिस की पर्दा-दारी है।


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