Saturday, June 28, 2025
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क्या आपकी अंग्रेजी कमजोर है?

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किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के क्रम में असफल हो जाने पर निराश होकर प्रयास करना छोड़ देने की बजाय असफलता के कारणों को खोजने और उन्हें दूर करने जैसा सफलता का कोई गोल्डन सीक्रिट नहीं हो सकता है। इंग्लिश सीखने के क्रम में यदि कभी लगे कि आप सफल नही हो पा रहे हैं तो खुद से एक प्रश्न पूछें कि आखिर वो कौन-सी बेड़ियां हैं जो आपके पैरों को आपकी मंजिल पर पहुंचने से रोक रही हैं। इन बेड़ियों को जान लेने और उनका समाधान ढूंढ लेने पर इंग्लिश पर मास्टरी हासिल करने की राहें अपने आप आसान होती जाती हैं।

भारत जैसे विकसित देश में विदेशी भाषा के रूप में इंग्लिश की अहमियत को नकार पाना आसान नहीं है। जॉब से लेकर इंटरव्यू और सोशल लाइफ से प्रोफेशनल लाइफ, जीवन के हर क्षेत्र में कामयाबी के लिए इंग्लिश लिखने और बोलने की कला को अनिवार्य शर्त के रूप में शुमार किया जाता है। लेकिन इंग्लिश का ज्ञान हासिल करने का सफर आसान नहीं है। यह एक कठिन कार्य है। इंग्लिश में शुद्ध लिखने और धाराप्रवाह बोलने के लिए कठिन परिश्रम के साथ निरंतर प्रैक्टिस की नितांत आवश्यकता होती है। यदि आपको भी ऐसा लगता है कि आप इंग्लिश में कमजोर हैं और आप शुद्ध रूप से इंग्लिश न तो लिख पाते हैं और और न ही बिना रुके बोल पाते हैं तो निम्न महत्वपूर्ण बातों को अवश्य सीखें।

पहले बेसिक्स पर मास्टरी करना सीखें
किसी भी भाषा का बेसिक्स उसका व्याकरण होता है। व्याकरण के ज्ञान के अभाव में भाषा का शुद्ध ज्ञान संभव नहीं है क्योंकि व्याकरण के ज्ञान के आधार पर ही भाषा का शुद्ध ज्ञान निर्भर करता है। वैसे शुरू में संपूर्ण इंग्लिश ग्रैमर पढ़ने की जरूरत नहीं है। मुख्य रूप से वर्डस आॅफ स्पीच, टेन्स, सिन्टैक्स और प्रिपोजिशन किसी बिगिनर के लिए अनिवार्य होते हैं। इनमें भी टेन्स का ज्ञान सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है। फिर इंग्लिश सीखने के स्पीड के साथ ग्रैमर के और भी हिस्सों को सीखना अच्छा माना जाता है।

शब्दों को सीखना भी है जरूरी
इंग्लिश सीखने में शब्दों की अहम भूमिका होती है। शब्दों के अभाव में यह पंगु होता है क्योंकि इन शब्दों से ही भाषा का संसार बनता है। शब्द महज कम्यूनिकेशन का माध्यम नहीं होता है बल्कि यह विचार होता है, भाव होता है, दर्शन होता है। जिसके पास जितने शब्द होते हैं उनके पास उतने ही विचार होते हैं, उतने ही भाव होते हैं। इसके अतिरिक्त शब्द सामर्थ्य पर लिखने की शुद्धता और बोलने का प्रवाह निर्भर करता है। लिहाजा इंग्लिश को मजबूत बनाने के लिए हमें वकैब्यलेरी को काफी मजबूत बनाने की जरूरत है।

इंग्लिश में वर्ड पावर को इम्प्रूव करने के लिए अपने पास एक उत्कृष्ट क्वालिटी की डिक्शनरी अवश्य होनी चाहिए। प्रारंभ में इंग्लिश से हिन्दी डिक्शनरी बेहतर हो सकती है लेकिन बाद में इंग्लिश से इंग्लिश डिक्शनरी का यूज करना अच्छा माना जाता है। पूरी दुनिया में आॅक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी एक स्टैन्डर्ड डिक्शनरी माना जाता है लेकिन वर्तमान में इसके साथ ही कॉलिन्स, लॉन्गमैन की डिक्शनरी भी काफी प्रैक्टिकल साबित हो रही हैं।

इंग्लिश को मजबूत करने के लिए महज अच्छी क्वालिटी की डिक्शनरी रखना ही पर्याप्त नहीं होता है। डिक्शनरी का यूज करना एक कला है और इसीलिए इसके यूज से संबंधित महत्वपूर्ण बातों को जरूर सीखना चाहिए :

-डिक्शनेरी के सभी शब्द काम के नहीं होते हैं। केवल प्रैक्टिकल और दैनिक जीवन प्रयुक्त होनेवाले शब्दों को ही याद रखें।
-जब वर्ड पावर का प्रश्न उठता है तो सबसे पहले एक्शन वर्ब्स पर कमांड जरूरी होता है। एक्शन वर्ब्स वे क्रियाएं होती हैं जिससे कोई कार्य या एक्शन का पता लगता है। इन एक्शन वर्ब्स से सेन्टेन्स फॉर्मैशन में काफी मदद मिलती है। उदाहरण के लिए खाना, पीना, गाना, उठना, बैठना इत्यादि एक्शन वर्ब्स हैं।
-शब्दों के पर्यायवाची और विपरीतार्थक शब्दों का ज्ञान भी हासिल करना चाहिए।
-किसी शब्द विशेष से संबंधित फ्रेजल वर्ब्स और इडियम्स को जानने से वर्ड पावर में काफी वृद्धि होती है।
-कठिन शब्दों को डिक्शनरी में देख कर उनके अर्थ जानने के साथ उस शब्द से संबंधित और शब्दों को भी जाना जा सकता है।
इंग्लिश में पेपर और पत्र-पत्रिकाएं पढ़ने से मिल सकती है मदद
अखबारों में न्यूज के साथ भाषा को सीखने में भी काफी हेल्प मिलती है। इंग्लिश के पेपर और पत्र झ्रपत्रिकाओं को को यदि नियमित रूप से और गहराई से पढ़ा जाए तो इंग्लिश सीखने की राहें आसान होती जाती हैं। बहुत हद तक संभव है कि शुरू में जब आप इंग्लिश के पेपर पढ़ें तो आपको कुछ भी समझ में नहीं आए। लेकिन यहाँ पर हिम्मत हारने से इंग्लिश मजबूत करने का कार्य और भी डिफकल्ट हो सकता है। इसलिए यदि कुछ भी समझ में नहीं भी आए तो भी पेपर को पढ़ने के कार्य को नियमित रूप से करने की जरूरत है।

इंग्लिश के पेपर पढ़ने के समय निम्न बातों पर बड़ी गंभीरता से गौर करें झ्र

-सेन्टेन्स कैसे बनाए जाते हैं।
-किसी शब्द को वाक्यों में किस तरह से सटीक ढंग से प्रयोग किया जाता है।
-जटिल वाक्यों को भी इंग्लिश में किस तरह से आसानी से लिखा जाता है।
-मीडिया में प्रयुक्त होनेवाले शब्दों का संग्रह करने पर वर्ड पावर और भी अधिक मजबूत होता है।
-इंग्लिश लिखने की स्टाइल को भी सीखने में मदद मिलती है।
-पेपर के एडिटोरिअल पेज के आर्टिकल पढ़ कर रचनात्मक लेखन को सीखने में भी मदद मिलती है।

घबराएं नहीं, हिम्मत से काम लें
इंग्लिश लैंग्वेज पर मास्टरी के लिए शुद्ध इंग्लिश लिखने और धाराप्रवाह बोलने की कला पर कमांड होना आवश्यक समझा जाता है। इंग्लिश जानने वाले लोगों से प्राय: यही एक्सपेक्टेशन किया जाता है। लेकिन इंग्लिश लर्निंग में ये दोनों आर्ट बिना आत्मविश्वास के संभव नहीं है। इसे ऐसा भी कह सकते हैं कि इस दिशा में सफलता के लिए लंबी अवधि तक के लिए खुद के मनोबल को ऊंचा करके रखना है। कॉन्फिडन्स के अभाव में आप इस विधा में आसानी से कामयाबी हासिल नहीं कर सकते हैं। लिहाजा हमेशा कॉन्फिडेंट रहें और हिम्मत नहीं हारें।

इंग्लिश को मजबूत करने के लिए निम्न बिंदुओं को गौर से अपने जीवन में अपनाएं –

-शब्दों में जादुई ताकत होती है। शब्दों के भंडार को समृद्ध करते रहें।
-इंग्लिश के बेसिक्स के रूप में इसके ग्रैमर को सीखना नींव के पत्थर जैसा होता है। इसलिए ग्रैमर को सीखते रहें और इसे समय के साथ ब्रश अप करते रहें।
-जब भी इंग्लिश बोलनी हो तो शुरूआत छोटे वाक्यों से करें। छोटे वाक्यों से अपनी बात कहने से गलतियाँ कम होने की संभावना होती हैं।
-बोलने के क्रम में यदि गलतियाँ हो ही जाएँ तो घबराने की जरूरत नहीं है। बल्कि उन गलतियों से आगे बढ़कर उतने ही कॉन्फिडन्स से बोलना जारी रखें।
-बहुत अधिक धाराप्रवाह बोलने का कार्य किसी टेक्स्ट को देखकर बोलने या रट कर बोलने से ही संभव है। न्यूज पढ़नेवाले ऐसा ही करते हैं। इसीलिए जब आप फ्लूअन्टली नहीं बोल पाते हैं तो शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है। एक बार निश्चित रूप से जान लीजिए कि इंग्लिश बोलने के क्रम में हिचकिचाहट या रुक कर बोलना एक सहज प्रक्रिया है। इसमें कुछ भी विचित्र नहीं है और ऐसा सभी के साथ होता है।
-इंग्लिश के न्यूजपेपर्स को पढ़कर इंग्लिश लिखने की स्टाइल को बड़ी आसानी से सीखा जा सकता है। इसलिए इंग्लिश के पेपर को नियमित रूप से पढ़ने की आदत का विकास करें।
-इंग्लिश में लिखने की विधा सबसे कठिन विधा मानी जाती है। क्योंकि लिखने में सबसे अधिक भाषा के व्याकरण का ध्यान रखना होता है। इसके साथ ही भावों को कन्सौलिडैट करके उन्हें वाक्यों के रूप में प्रस्तुत करना आसान कार्य नहीं होता है। इसके लिए मन का अनुशासन जरूरी है। विख्यात लेखकों का मानना है कि लेखन कार्य में दक्षता हासिल करने के लिए नियमित रूप से लिखना और वो भी एक निश्चित समय पर लिखने के लिए बैठ जाना जरूरी होता है। ऐसा करने से भाव सहज रूप से पेपर पर उकेरना आसान हो जाता है। इसलिए लिखने के कार्य के लिए एक निश्चित समय का कठोरता से पालन करना सीखें।
-टेलीविजन पर इंग्लिश में न्यूज और टॉक शो को नियमित रूप से देखने से इंग्लिश बोलने की कला में वृद्धि की जा सकती है। इससे शब्दों के सही उच्चारण को सीखने में भी मदद मिलती है।
-किसी भी विधा में कामयाबी के लिए निरंतर अभ्यास के महत्व को नकारा नहीं जा सकता है। प्रैक्टिस से ही हम परफेक्ट बनते हैं। ठीक ढंग से इंग्लिश बोलने और लिखने की कला पर महारथ हासिल करने के लिए भी निरंतर प्रैक्टिस की नितांत आवश्यकता है। गलती पर गलती करने के बावजूद बिना हिम्मत हारे आगे बढ़ते रहने में ही सफलता का रहस्य छुपा होता है।


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