- मेरठ से किया गिरफ्तार, रुस के मास्को स्थित भारतीय दूतावास में काम करता है सत्येंद्र, हापुड़ का रहने वाला है सत्येंद्र सिवाच
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: रूस स्थित भारतीय दूतावास में तैनात हापुड़ निवासी भारतीय अफसर सत्येंद्र्र सिवाच को रविवार को मेरठ एटीएस की फील्ड यूनिट ने मेरठ से गिरफ्तार किया है। सत्येंद्र पुत्र जयबीर सिंह निवासी ग्राम शहमहीउद्दीन थाना हापुड़ देहात जिला हापुड़ ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इन खुलासों ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी हैं। सूत्रों ने यह भी जानकारी दी है कि गिरफ्तार किए गए सत्येंद्र ने स्वीकार किया है कि वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के हैंडलर के रूप में काम कर रहा था।
उसने कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी पाक भेजी हैं। इसकी एवज में उसको काफी पैसा भी मिला है। गौरतलब है कि विगत 11 जनवरी को एसटीएफ की मेरठ फील्ड यूनिट ने पाकिस्तान के लिए बतौर हैंडलर काम करने वाले आईएसआई के एक ऐसे ही गुर्गे तहसीम ऊर्फ मोटा पुत्र नफीस निवासी शामली को दबोचा था। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो सकता है कि क्या रूसी दूतावस में तैनात अफसर सत्येंद्र और शामली के तहसीम की गिरफ्तारी का आपस में कोई कनेक्शन है।
यह भी जानकारी मिली है कि काफी समय से दूतावास के इस अफसर पर सुरक्षा एजेंसियां नजर रखे हुए थीं। आज उसको पूछताछ के लिए तलब किया गया था। शुरुआत में तो वह तमाम सवालों से भागता रहा, लेकिन बताया जाता है कि बाद में एटीएस के अफसरों के सामने मुल्क से गद्दारी के नाम पर अब तक जितनी भी कारगुजारियां की थीं, वो सब की सब खोलकर रख दीं।
सत्येंद्र सिवाच पर आरोप
आरोप है कि उसने आईएसआई के हैंडलर्स को भारतीय दूतावास,रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों की महत्वपूर्ण गोपनीय सूचना दी है, इतना ही नहीं आईएसआई के निर्देश पर वो विदेश मंत्रालय के कर्मचारियों को हनी ट्रैप में फंसवाकर या फिर पैसे का लालच देकर गोपनीय सूचना लीक करवाता था। इंटेलिजेंस इनपुट मिलने के बाद यूपी एटीएस ने इलेक्ट्रॉनिक और फिजिकल सर्विलांस के बाद पाया कि आरोपी आईएसआई हैंडलर्स के नेटवर्क के साथ भारत विरोधी गतविधियों में शामिल है। उसके खिलाफ यूपी पुलिस आईपीसी धारा 121 ए (देश के खिलाफ जंग) और आधिकारिक गोपनीय अधिनियम, 1923 के तहत केस दर्ज किया है। उसे गिरफ्तार करके लखनऊ लाया जा रहा है, जहां एटीएस हेडक्वार्टर में उससे आगे की पूछताछ की जाएगी। इसमें बाद में केंद्रीय जांच एजेंसी भी शामिल हो सकती है।