Sunday, September 8, 2024
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सड़कों पर मौत के दूत बन दौड़ रहे जुगाड़नुमा वाहन

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  • यातामाह का खुलेआम उड़ाया जा रहा मखौल
  • नाबालिगों के हाथों में मौत का स्टेयरिंग, ट्रैफिक पुलिस अनजान

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: भले ही एक नवम्बर से यातायात माह शुरू हो गया है और पुलिस लोगों को यातायात के नियमों के पालन के लिए जागरूक कर रही है। मगर लोग हैं कि अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे। यातायात माह में भी ट्रैफिक नियमों की धज्जियां खूब उड़ रहीं है। चाहे बिना हेलमेट दुपहिया वाहन चालक हों या फिर ओवरलोडिंग करते सीएनजी आॅटो चालक या फिर बिना हेड लाइट के ई-रिक्शा दौड़ाने वाले चालक। ऐसा नहीं कि यातायात माह में केवल आम जनता ही ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ा रही है। पुलिस वाले भी इसमें शामिल है। पुलिसकर्मियों को भी बिना हेलमेट के दुपहिया वाहन चलाते देखा जा सकता है।

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कुल मिलाकर यातायात माह की शुरुआत में ही ट्रैफिक नियमों की धज्जियां खूब उड़ रही है। क्रांतिधरा के प्रत्येक चौराहे और अन्य स्थानों से ओवरलोड आॅटो गुजर रहे हैं। जबकि यहां पुलिस पिकेट की तैनाती होती है। इसके बावजूद पुलिसकर्मी ओवरलोड सीएनजी आॅटो चालकों के खिलाफ किसी भी तरह की कोई कार्रवाई करने में असफल है। वहीं ई-रिक्शा चालक भी सारे नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए ई-रिक्शा दौड़ा रहे हैं। शहर की अतिव्यस्त सड़कों पर बिना हेड लाइट के रात में भी ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं और पुलिस चुपचाप इन्हें देखती रहती है।

आने वाले दिनों में कोहरे भरी रातों में इस असावधानी के चलते कोई भी दुर्घटना हो सकती है। इस बात को सभी समझते हैं कि यातायात नियमों की अनदेखी जानलेवा है। इसमें जान भी जा सकती है। फिर भी लोग नियमों को तोड़ते हैं और बेहद कीमती जिंदगी को खो देते हैं। करीब-करीब हर सड़क दुर्घटना के पीछे यातायात नियमों का उल्लंघन बड़ी वजह के रूप में सामने आती है। सड़कों पर वाहन चलाते समय चालक न तो दाएं देखते हैं और नहीं बाएं। जल्दबाजी में अधिकांशत: गलत दिशा में टर्न लेते हैं और हादसों को दावत देते हैं। सबसे खतरनाक स्थिति नाबालिग वाहन चालकों ने पैदा कर रखी है।

जुगाड़नुमा वाहनों का न पंजीकरण और न ही बीमा

पंजीकरण, बीमा, साइलेंसर नहीं है। प्रदूषण का प्रमाण भी नहीं। सड़क पर न तो कोई इन्हें रोकता है और न ही चेक करता है। सिस्टम पर भारी जुगाड़ वाहन शहर में फर्राटा भर नियम कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं। हर चौराहे पर मुस्तैद होने का दावा करने वाली यातायात पुलिस व थाना पुलिस इन वाहनों को देखकर मुंह फेर लेती है। आए दिन यह वाहन कहीं न कहीं कभी खराब होने पर पलटते हैं जिससे दुर्घटना होती है। वाहन को जुगाड़नुमा कराकर दूसरी शक्ल देना गलत है। इसके बाद भी जनपद में यह कार्य तेजी से फल-फूल रहा है।

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कोई बाइक में साइकिल का चक्का लगाकर वाहन ढ़ोने का काम कर रहा है तो कोई मैजिक को चलती फिरती दुकान बनाकर घूम रहा है। इतना ही नहीं कुछ लोग तो इंजन लगाकर ठेले को दूसरे रूप में तैयार कर उस पर दुकान चलाते हैं। कोई गन्ने का जूस निकाल रहा है तो कोई उस पर सामान ढो रहा है। यह कार्य यातायात पुलिस और परिवहन विभाग की आंखों के सामने हो रहा है। सबकुछ जानते हुए भी जिम्मेदार मौन साधे बैठे हैं। जबकि अक्सर ऐसे वाहनों से दुर्घटनाएं होती रहती हैं।

डग्गामार वाहनों पर भी नहीं लग रहा अंकुश

डग्गामार वाहनों के संचालन पर भी अंकुश नहीं लग पा रहा है। डग्गामार वाहनों में बैठकर यात्री जोखिम भरा सफर तय करते हैं। वाहनों से कई हादसे भी हो चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी वाहनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जो पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करने के लिए काफी है। तेज रफ्तार व ओवरलोड वाहन डंपर, ट्रक व ट्रॉलियां सड़कों पर यमदूत बनकर दौड़ रहे हैं। जो हादसे का कारण भी बन रहे। इनमें से अधिकतर हादसे ओवरलोडिंग, तेज रफ्तार के कारण ही होते हैं।

ओवरलोड वाहन लील रहे जिंदगी

ओवरलोड वाहन न केवल लोगों की जिदंगी लील रहे हैं, बल्कि सड़क की लाइफ को भी कम करते हैं। शहर में ज्यादातर हादसे का कारण ओवरलोड गन्ने, लकड़ी, प्लाईगत्ता से लदी ट्रॉलियां बन रही हैं। जिनमें निर्धारित सीमा से अधिक माल लदा होता है। कई बार तो इतना सामान भरा होता है वाहन तो दूर पैदल जा रहा व्यक्ति भी साइड से नहीं निकल पाता है। ओवरलोड वाहन के अलावा बाइक को रिक्शा जैसा रुप देकर जुगाड़ वाहन बनाने का चलन भी काफी बढ़ गया है। इस प्रकार के वाहन हादसों को न्योता दे रहे हैं, लेकिन जुगाड़ वाहनों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। वहीं ट्रॉली में पराली या भूसा इतना ज्यादा भर लिया जाता है कि सड़क पर दूसरे वाहनों को निकलने के लिए भी रास्ता नहीं बचता।

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