- मशीन नहीं मिली, रेलवे कर्मियों ने सैट कर दिए पत्थर
- ट्रेनों की रेलमपेल और बारिश से काम में आई बाधा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मेरठ-खुर्जा टैÑक पर लगातार तीसरे दिन भी शनिवार को जुर्रानपुर फाटक पर स्लीपरों के नीचे पत्थरों की पैकिंग मशीन नहीं मिली, लेकिन 40 रेलवे कर्मियों की टीम ने स्लीपरों के नीचे पत्थर सैट कर रात काम निपटाकर रेलवे फाटक को वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया। हालांकि उक्त ट्रैक पर दूसरे रूट की 12 ट्रेनों को डायवर्ट होकर संचालित करने से आज काम में बाधा आई, वहीं बारिश ने भी व्यवधान उत्पन्न किया। रात 10 बजे रेलवे फाटक खोल दिए जाने से बिजली बंबा बाईपास पर एक दिन पहले ही वाहनों की आवाजाही शुरू कर दी गई।
जुर्रानपुर रेलवे फाटक नंबर 52 सी. पर ट्रैक धंसने के कारण गुरुवार को स्लीपरों के नीचे पत्थर सैट करने के लिए कार्य शुरू किया गया। पहले दिन रेलवे ट्रैक के बीच में वाहनों को पास करने के लिए लगाए गए रबर पैड को हटा दिया गया था। ट्रैक से मिट्टी को भी हटा दिया गया था। पत्थरों को सैट करने के लिए पैकिंग मशीन की मांग सीनियर सेक्टशन इंजीनियर रेलवे पथ ने की थी, ताकि एक ही दिन में उक्त कार्य निपट सके। इसके लिए उक्त ट्रैक पर ब्लॉक लेकर यानी ट्रेनों की आवाजाही बंद करके ही कार्य किया जा सकता है।
पहले दिन मशीन नहीं मिली। शुक्रवार को मुरादाबाद मंडल मुख्यालय से पैकिंग मशीन को भेजा गया, लेकिन इसी दिन से उक्त ट्रैक पर दिल्ली मथुरा ट्रैक की 12 ट्रेनों के रूट का डायवर्ट करके संचालित करने से ब्लॉक नहीं मिल पाया। इस वजह से पैकिंग मशीन को खरखौदा स्टेशन से वापस भेज दिया गया। शनिवार को पुन: उक्त मशीन की मांग की गई, लेकिन मशीन नहीं मिली। आखिरकार 40 कर्मचारियों की टीम लगाकर स्लीपरों के नीचे पत्थरों को सैट कर काम को 24 घंटे पहले ही निपटा दिया।
हालांकि उक्त ट्रैक पर ट्रेनों की आवाजाही के दौरान कार्य को रोकना पड़ा। इसके अलावा बारिश ने उक्त कार्य में कई घंटे बाधा उत्पन्न रखी। पीडब्लूआई विपिन शर्मा ने बताया कि उक्त ट्रैक का कार्य पूरा कर दिया गया है। रात 10 बजे जुर्रानपुर रेलवे फाटक को वाहनों के आवागमन के लिए खोल दिया गया। इसके साथ ही फाटक से वाहन आने जाने शुरू हो गए।