Thursday, July 3, 2025
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Kamal Hasan: कमल हासन के बयान से मचा बवाल, “कन्नड़ तमिल से जन्मी है”-सियासी तूफान या रणनीतिक बयान?

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: दिग्गज अभिनेता और नेता कमल हासन के एक हालिया बयान-“कन्नड़ भाषा तमिल से जन्मी है”-ने ज़बरदस्त विवाद खड़ा कर दिया है। यह टिप्पणी अब एक राजनीतिक भूचाल में तब्दील हो चुकी है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस बयान को तथ्यहीन करार देते हुए कहा कि यह कन्नड़ भाषा और संस्कृति का अपमान है। भाषाई अस्मिता और सांस्कृतिक पहचान को लेकर छिड़े इस मुद्दे ने कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच सामाजिक रिश्तों को भी असहज बना दिया है।

कन्नड़ भाषा तमिल से पैदा हुई

दक्षिण भारत के सुपरस्टार और राजनेता कमल हासन ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि “कन्नड़ भाषा तमिल से पैदा हुई है।” यह कथन सामने आते ही सोशल मीडिया पर बवाल मच गया। ट्विटर से लेकर फेसबुक तक, कन्नड़ भाषी यूज़र्स ने इसे गहरी आपत्ति के साथ खारिज किया।लोगों ने इसे भाषा और संस्कृति का सीधा अपमान करार दिया।

 मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रतिक्रिया में कहा?

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रतिक्रिया में कहा – “कन्नड़ का इतिहास बहुत प्राचीन और समृद्ध है। यह कहना कि कन्नड़ तमिल से उत्पन्न हुई है, ऐतिहासिक सच्चाई को नकारना है। कमल हासन को भाषा विज्ञान और इतिहास की समुचित जानकारी नहीं है।”

उन्होंने आगे कहा कि “किसी भी अभिनेता को, चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो, ऐसी असंवेदनशील बात कहने से पहले सोच-समझकर बोलना चाहिए।”

क्या कहते हैं भाषाविद् और इतिहासकार?

कई भाषाविदों का मानना है कि तमिल और कन्नड़ दोनों भाषाएं द्रविड़ परिवार से संबंधित हैं, लेकिन दोनों की अलग-अलग विकास यात्रा रही है। कन्नड़ साहित्य की प्राचीनतम रचनाएं 9वीं शताब्दी की हैं, जबकि तमिल साहित्य उससे भी पहले की है। पर इसका मतलब यह नहीं कि एक भाषा दूसरी से “पैदा” हुई हो।

राजनीतिक हलकों में मचा हड़कंप

कांग्रेस नेता सिद्धारमैया के तीखे तेवर के बाद कन्नड़ समर्थक संगठनों ने भी कमल हासन से माफ़ी मांगने की मांग की है। वहीं, तमिलनाडु के कुछ राजनेता इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे सोशल मीडिया पर और आक्रोश है। भाषा को लेकर इस तरह के बयानों से दक्षिण भारत में भावनाएं अक्सर भड़कती रही हैं।

बाद में क्या बोले कमल हासन ?

अब तक कमल हासन ने अपने बयान को लेकर सफाई नहीं दी है। हालांकि उनके पार्टी सूत्रों का कहना है कि “बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है और उसका उद्देश्य किसी भाषा या संस्कृति को नीचा दिखाना नहीं था।”

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