- अवैध रूप से काटी जा रही जगह-जगह कालोनियां अधिकारी और कर्मचारी हुए बिल्डरों के सामने बौने साबित
जनवाणी संवाददाता |
लावड़: कस्बे में प्राइवेट बिल्डरों द्वारा अवैध रूप से जगह-जगह कच्ची कालोनी काटी जा रही है। कस्बे के चारों ओर इन कच्ची कालोनियों का जाल बिछाया जा रहा है। बिल्डरों की मनमानी का बोलबाला इस कदर है कि इन बिल्डरों के सामने सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भी बौने साबित हो रहे हैं।
आलम ये है कि अब कस्बे के मुख्य मार्ग पर भी बिल्डरों द्वारा अवैध तरीके से बिल्डिंग में कॉम्प्लेक्स भी बनाने शुरू कर दिए गए हैं। कई अवैध अस्पताल भी कस्बे में बना दिए गए हैं। हालांकि अभी वह सुचारु नहीं हुए हैं, लेकिन उनका संचालन के लिए बिल्डरों द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
कस्बे में बिल्डरों द्वारा 10 वर्ष पूर्व लावड़-मिठेपुर रोड पर गे्रटर लावड़ कालोनी बनाई गई थी। यह कालोनी पूरी तरह से अवैध और अनैतिक रूप से बनाई गई थी। इस कालोनी में लोग बस तो गए, लेकिन यह कालोनी आज भी विकास से कोसों दूर है। इसके बाद शमीम और जोया कालोनी अवैध रूप से काटी गई, लेकिन यह कालोनी में विकास से अछूती रह गई और यहां लोग आकर तो रहने लगे, लेकिन मूलभूत सुविधाओं से आज भी महरूम है।
अगर हम हाल ही की बात करे तो लावड़-समसपुर मार्ग पर कच्ची और अवैध कालोनियों को काटने का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। यहां अवैध रूप से कालोनी एक के बाद एक काटी जा रही है। अवैध रूप से काटी गई कालोनियों में अवैध दुकानें बनाकर बेच दी गई, लेकिन उन पर आज तक न तो नगर पंचायत के अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई की गई और न ही मेडा के अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई की गई।
2022 महायोजना में लावड़ मेडा में शामिल होने के कयास थे। जिसके बाद मेडा से बिना अनुमति के किसी भी कालोनी का निर्माण होना ठीक नहीं बताया गया, लेकिन यहां कस्बे के चारों ओर कच्ची कालोनियों का मकड़जाल बिछाया जा रहा है। इन बिल्डरों के लिए कोई भी कायदे कानून मायने नहीं है। जिसके चलते बाहर के बिल्डर यहां आकरकच्ची कालोनी विकसित करने में लगे हुए हैं।
10 से 15 हजार रुपये तक में बेच रहे जमीन
कस्बे में काटी जा रही कालोनियों में 10 हजार से लेकर 15 हजार रुपये तक प्रतिवर्ग गज के हिसाब से बिल्डर कालोनी काट रहे है। धड़ल्ले से बिल्डरों की कालोनियों में खरीदारी करने के लिए आसपास गांव में रहने वाले लोग आकर खरीदारी कर रहे हैं। बिल्डरों की लगातार चांदी कट रही है, लेकिन इन बिल्डरों के खिलाफ आजतक कोई कार्रवाई क्यों अमल में नहीं लाई जाती है? यह बड़ा प्रश्न है।
सील के बाद भी शुरू कर दिया प्लाट का काम
लावड़ की नई बस्ती के पास गांधी आश्रम की जमीन को लीज पर लेकर वहां बिल्डिंग बनाई गई, लेकिन इसकी शिकायत होने के बाद यहां एमडीए द्वारा सील लगा दी गई, लेकिन फिर से बिल्डर द्वारा इस जमीन पर बिल्डिंग बनाने का कार्य तो रोक दिया गया।
लेकिन अब यहां प्लाट बनाकर बेचने का काम शुरू कर दिया गया है। हालांकि इस बिल्डिंग की शिकायत स्थानीय नेताओं द्वारा की गई थी, लेकिन इन नेताओं को बिल्डर द्वारा मैनेज कर लिया गया। जिसके बाद फिर से यहां प्लाट बेचने का कार्य शुरू कर दिया गया।
कालोनियों के नाम पर हमेशा किया खिलवाड़
कस्बे की जनता के साथ कालोनी के नाम पर बिल्डरों द्वारा खिलवाड़ किया जा रहा है। बिल्डर कालोनी काटते समय बड़े-बड़े वायदे करते हैं, लेकिन यहां सुविधाएं कुछ नहीं दी जाती है। इन कच्ची कालोनियों में सड़क, सीवर पाइप लाइन, टंकी पाइन लाइन, बिजली व्यवस्था समेत तमाम तरह की सुविधाएं देने का बिल्डर वायदा करते हैं, लेकिन जब उनकी यह कालोनी पूरी हो जाती है तो वह सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं देते हैं। कस्बे में आठ से 10 कालोनी ऐसी है। जहां सिर्फ बिल्डरों द्वारा विकास का नाम तो दे दिया, लेकिन यहां विकास के नाम पर लोगों के साथ सिर्फ और सिर्फ खिलवाड़ किया गया।