Sunday, January 19, 2025
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लेखपाल बना आईएएस अधिकारी

  • 8 बहनों से छोटा भाई लेखपाल केदारनाथ शुक्ला बना अधिकारी
  • आईएएस बनने का श्रेय अपने माता-पिता भाई व ज्वाइंट मजिस्ट्रेट कुलदीप मीना व ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सुमित महाजन को दिया

जनवाणी ब्यूरो

गोरखपुर: जीवन में तरक्की करने की अगर परिभाषा दी जाए तो वो परिभाषा होगी आप जहां हैं वर्तमान में वहां से कम से कम एक कदम आगे बढ़ जाएं असल में सफलता भी इसी को कहते हैं। एक ऐसी ही तरक्की की मिसाल हैं सदर तहसील में तैनात 2016 बैच के लेखपाल केदारनाथ शुक्ला नवोदय विद्यालय पीपीगंज से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त कर बैचलर आॅफ आर्ट इग्नू से कर 2016 में लेखपाल की परीक्षा उत्तीर्ण कर सदर तहसील में अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए देश की सेवा करने की इच्छा रखते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखें ज्वाइंट मजिस्ट्रेट /एसडीएम सदर कुलदीप मीना से लेखपाल केदारनाथ शुक्ला इच्छा जाहिर किया।

ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने लेखपाल के इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए पूरे 1 वर्ष से केदारनाथ शुक्ला को छुट्टी दे रखा था कि अपनी आईएएस की तैयारी जारी रखें। आज केदारनाथ शुक्ला ने वह कर दिखाया। आईएएस बनकर जो गोरखपुर जनपद का मान सम्मान बढ़ाते हुए सदर तहसील का मान सम्मान बढ़ाकर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सहित तहसील कर्मचारियों का मान सम्मान बढ़ाकर सदर तहसील के सभी कर्मचारियों में एक उत्साह बढ़ा दिया है।

तहसील कर्मचारियों में एक उत्साह बड़ा है कि हमारे बीच का लेखपाल आईएएस अधिकारी होकर देश की सेवा करेगा और आगे चलकर हम लेखपालों की आवाज बुलंद करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा। केदारनाथ शुक्ला किसान ओमकार नाथ शुक्ला माता कालिंदी देवी के 9 बच्चों में इकलौते पुत्र और 8 पुत्रियां मीनू, ममता, मीनू, प्रीति, इंदु, बबीता, क्षमा, प्रिया में सबसे छोटे केदारनाथ शुक्ला अपने ग्राम सुगौना थाना हरपुर बुदहट गोरखपुर का नाम रोशन कर आईएएस अधिकारी होने का श्रेय अपने माता-पिता भाई के अलावा ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/ एसडीएम सदर कुलदीप मीना ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सुमित महाजन को दिया है।

केदारनाथ शुक्ला ने बताया कि अगर जॉइंट साहब हमें 1 वर्षों से पढ़ाई के लिए छुट्टी नहीं देते तो आज हम यह मुकाम हासिल नहीं कर पाते। उन्हीं की देन है कि आज हम आईएएस अधिकारी बनने में कामयाब हुए हैं। संघ लोक सेवा आयोग ने अपने परिणाम घोषित किए और इस परिणाम में वरीयता क्रम में 465 नंबर पर एक नाम था केदारनाथ शुक्ला का। रैंक मायने नहीं रखती वहां जहां केवल चुना जाना ही टॉप कर जाने के बराबर होता है।

यूपीएससी का रास्ता इतना कठिन है कि हर कोई इस रास्ते पर चल नहीं सकता लेकिन अपने परिश्रम , लगन , एकाग्रता और दृढ़ता के बलबूते केदार इन राह पर चले भी और लक्ष्य तक पहुँचे भी। केदारनाथ शुक्ला एक बड़े ही साधारण परिवार से हैं और इसपर मोहर इस बात से लग जाती है कि इनके पिता एक सामान्य किसान हैं।

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