- एनएचएआई की कार्रवाई न होने से निर्माणकर्ताओं के हौसले बुलंद
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: ग्रीन बेल्ट और रोड वाइडिंग में एनएच-58 पर दुकानों का निर्माण किया जा रहा हैं। एनएचएआई के अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं। इसमें कोई कार्रवाई नहीं की जा रही हैं, जिसके चलते निर्माणकर्ता का दुस्साहस तो देखिये कि किस तरह से रोडवाइडिंग और ग्रीन बेल्ट में दुकानों का निर्माण होने दिया जा रहा हैं। एनएचएआई के अधिकारी कैसे मौन हैं? लगता है अधिकारियों की मिलीभगत के चलते ही इन दुकानों का खड़ौली में निर्माण चल रहा हैं।
लिंटर डालने के लिए ढुला लगा दिया गया है। यह भी एनएचएआई को दिखाई नहीं दे रहा हैं। पहले अवैध निर्माण करने की छूट दी जाती हैं, फिर निर्माण को बुलडोजर लगाकर गिराया जाता हैं। इसमें विभाग का राजस्व का नुकसान होता हैं, मगर इसकी चिंता एनएचएआई के अधिकारियों को कतई नहीं हैं। हाइवे पर जाम लगता है तो लगे, इन अधिकारियों की सेहत पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं हैं।
जाम में जनता परेशान होती हैं। फिर रिश्वस्त लेकर अवैध निर्माण हाइवे के दायरे में करा दिया जाता हैं। एनएच-58 को लेकर कई दिनों से ‘जनवाणी’ मुहिम चला रखी हैं। इसके बाद भी एनएचएआई के अधिकारियों की नींद नहीं टूट रही हैं। अब तो अवैध निर्माणकर्ताओं का दुस्साहस इतना बढ़ गया है कि खुलेआम दुकानों का निर्माण किया जा रहा हैं। इसमें कोई नोटिस भी नहीं दिया गया।
खड़ौली वर्तमान में सुर्खियों में हैं। क्योंकि यहां पर सबसे ज्यादा जाम लग रहा हैं। फिर अवैध निर्माण भी खूब हो रहे हैं। इसके लिए जवाबदेही किसकी हैं? इसको लेकर कोई भी विभागीय अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। एनजीटी की तमाम सख्ती के बाद भी ग्रीन बेल्ट में भी निर्माण करने से लोग बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसे में बड़ी दिक्कत खड़ी होने वाली हैं।
एनएच-58 पर जिस तरह से टैÑफिक बढ़ रहा है, उसको देखकर अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि आने वाले दस वर्षों के भीतर हाइवे का क्या हाल होने वाला हैं? टैÑफिक बढ़ेगा तो जाम भी ज्यादा लगेगा। जो जगह ग्रीन बेल्ट और रोडवाइडिंग की हैं, वह खाली रहनी चाहिए, मगर उस पर भी अवैध निर्माण कर दिये गए। विभागीय अधिकारियों ने निर्माण होने भी दिये। इनको रोका-टोका नहीं जा रहा हैं।
भविष्य में हाइवे की सूरत बिगड़ने वाली हैं। परतापुर से लेकर मोदीपुरम तक पूरी ग्रीन बेल्ट में ही अवैध निर्माण की भरमार हैं। इन नये अवैध निर्माणों को रोका नहीं जा रहा हैं। पुराने तो अलग है कि पहले निर्माण हो गया, लेकिन जो वर्तमान में बन रहे हैं उन्हें तो रोका जा सकता हैं। पुराने निर्माण को भी नहीं रोका जा रहा हैं।