- भीषण अग्निकांड में 24 बसें और 40 से अधिक झोपड़ियां जलकर हुई थी राख
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: लोहिया नगर क्षेत्र हापुड़ रोड स्थित 44वीं पीएसी बटालियन के सामने रविवार दोपहर बाद बसो के कारखाने में लगी भीषण आग इतनी भयंकर थी कि वहां खाली जमीन पर खड़ी करीब 24 बसें चंद मिनटों में जलकर राख हो गई। बसों से निकली आग की लपटों ने थोड़ी देर बाद ही नजदीक ही झुग्गी झोपड़ियों को भी अपनी चपेट में ले लिया था। जिसके बाद सभी झोपड़ियां भी राख में तब्दील हो चुकी थी। अग्नि हादसे के बाद सोमवार को मंजर ए स्थल देखने लायक था। चारों ओर वीरानी और झोपड़ियों के स्थान पर राख के ढेर आग की हकीकत बयां कर रहे थे। अग्नि हादसे में करीब करोड़ों रुपये का नुकसान होने की संभावना है।
हापुड़ रोड 44वीं पीएसी के सामने आरिफ का बस बॉडी मेकर का कारखाना है। वहीं बराबर में असलम का बस रिपेयरिंग का कारखाना है। रविवार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे के आसपास शाहिद नाम का युवक बस में वैल्डिंग का काम कर रहा था,तभी वैल्डिंग की चिंगारी से बस में आग लग गई थी। जिसके उपरांत आग इतनी फै ली कि उसने पास ही खड़ी अन्य बसों को अपनी चपेट में ले लिया। आग ने चंद मिनटों में आसपास खड़ी 24 बसों को भी अपनी चपेट में ले लिया था। इसके बाद पास ही खाली जमीन पर बनी 40 से अधिक झुग्गी झोपड़ियां भी जलकर स्वाह हो गई थी।
लोकसभा चुनाव के चलते गये हुए थे आसाम
हापुड़ रोड पर पीएसी के सामने झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले अधिकांश परिवार आसाम में तीसरे चरण के चुनाव में मतदान करने गये हुए थे। कुल तीन चार परिवार के लोग ही यहां बचे थे। जो अग्नि हादसे के दौरान अपनी झोपड़ी में थे। जैसे ही आग की लपटे झुग्गी झोपड़ी की ओर बढ़ी तो आग चारों ओर फैलती चली गई। झोपड़ी में रह रहे तीन चार परिवार के लोग और उनके बच्चे बामुश्किल वहां से बचते हुए अपनी जान बचाते हुए बाहर की ओर निकले।
24 बसें और चार कार जली
आरिफ ने बताया कि उनके यहां छह सात नई बसों का काम चल रहा था। सभी आग में जल गई। उधर असलम ने भी बताया पांच छह बसें उनके यहां ठीक होने के लिए आई थी। वो भी पूरी जल गई। वहीं, 10 से 12 बसें खटारा स्थिति में खड़ी थी। वो भी पूरी तरह जल गई। करीब 24 बसें जो एमडीए की खाली जमीन पर खड़ी करके मरम्मत की जा रही थी। सभी जलकर बेकार हो गई। इसके अलावा अग्नि हादसे ने चार कारों को भी अपनी चपेट में ले लिया।
झुग्गी झोपड़ी के लोग आसाम नहीं गये होते तो होती बड़ी जनहानि
हापुड़ रोड पीएसी के सामने झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले अजीम पुत्र मूर्तिउरहमान ने बताया कि वे यहां करीब 20 वर्षों से रह रहे हैं। वे शहर में जगह-जगह जाकर कूड़ा बीनना और पॉलीथीन व कबाड़ चुगने का काम करते हैं। जब आग लगी तो वह अपनी झोपड़ी में थे। यहां केवल उस समय तीन चार परिवार और उनके बच्चे ही मौजूद थे। शेष अधिकांश परिवार और उनके बच्चे आसाम में लोकसभा चुनाव में मतदान करने के लिए गये हुए थे। अगर यहां सभी परिवार मौजूद होते तो कई लोगों और बच्चों की जान चली जाती।
जैसे-तैसे आसाम के रहने वाले ये लोग कई वर्षों से हापुड़ रोड पर आकर परिवार और बच्चों के पेट पालने के लिए सुबह से लेकर शाम तक बाहर रहकर कूड़ों के ढेर से कबाड़ एकत्र करना होता था। झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले आसाम निवासी अजीम ने बताया कि अधिकांश परिवार आसाम गये हुए हैं। अगर यहां झोपड़ियों में होते तो कई लोगों की जान चली जाती। अग्नि हादसे के दौरान अजीम अपने बच्चों के स्ांग जली झुग्गी झोपड़ियों की राख के बीच मरघट जैसे पसरे सन्नाटे के बीच बैठे हुए आग के उस भयावह दृश्य को सोचकर कांप जाता है।
झुग्गी झोपड़ियों की जगह सोमवार को वहां मरघट जैसा सन्नाटा पसरा था। अब झुग्गी झोपड़ी न होकर वहां जगह जगह राख फैली थी। तीन चार परिवार के लोग भरी दोपहरी में अपने बच्चों संग तपत खुले आसमान की छत के नीचे बैठे अपने आशियानों की राख को निहार रहे थे। उनके मुंह से यही निकल रहा था साहब कई लोग आज आये और नाम लिखकर पूछकर चलते बने। किसी ने उनसे नहीं पूछा कि कुछ खाया या नहीं।
कल से आज तक एक अन्न भी नहीं मिला। सारे रुपये आग में जलकर राख हो गये। अब उनके पास कुछ नहीं बचा। झोपड़ी में सारा सामान जलकर राख हो गया। अजबुल पुत्र स्व सलीम ने बताया कि वे चार भाई और तीन बहन हैं। मां जैसे तैस कूड़ा पन्नी बीनकर खर्च चलाती है। वहीं असाबुल और जाहिदुलरहमान का भी यही कहना था कि साहब आग में सब जलकर स्वाह हो गया।
मेडा की जमीन पर सालों से थी अवैध झुग्गी
लोहियानगर के जिस इलाके में रविवार की शाम को आग लगी थी, वहां मौजूद तमाम झुग्गियां अवैध थीं और जिस जमीन पर कब्जा कर झुग्गियों की नगरी बसपाई थी वो जमीन मेडा की है। वहीं, दूसरी ओर आग हादसे में करोड़ों रुपये के नुकसान का अनुमान है। वहीं, दूसरी ओर सोमवार को हादसे की जांच को पुलिस प्रशासन के अफसरों की टीम मौके पर मुआयना करने को पहुंची। एसडीएम के निर्देश पर वहां तहसीलदार व पुलिस क अधिकारी पहुंचे।
वहां लोगों से बातचीत की। एसडीएम कौशल किशोर ने बताया कि आग हादसे का शिकार हुई झुग्गियां मेडा की जमीन पर बनायी गयी थीं। लोगों ने बताया कि आग में करीब दर्जन भर ऐसी बसें थीं जो बिलकुल नयी थीं और आरटीजो के यहां रजिस्ट्रेशन व दूसरी कार्रवाई के लिए भेजी जानी थी। इतनी ही बसें ऐसी थीं जो बिलकुल अपडेट थीं और छोटे मोटे काम के लिए यहां लायी गयी थी। दरअसल, इस मामले में डीएम दीपक मीणा ने जांच के आदेश दिए हैं। सीएफओ, पुलिस, राजस्व विभाग को मिलकर रिपोर्ट तैयार करनी है।
यह भी जानकारी तलब की गयी है कि जिस जमीन पर ये झुग्गियां डाली गयी हैं वो जमीन प्राइवेट है या फिर सरकारी। राजस्व विभाग इसको लेकर रिपोर्ट देगा। उल्लेखनीय है कि यहां पर मजहर, रिजवान, आरिफ व एक अन्य का कारखाना है। कारखाने वालों का कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। नुकसान उनका हुआ है, जिनकी बसें यहां मौजूद थीं। बताया गया है कि एक बस की कीमत अलग-अलग श्रेणी में 30 से 50 लाख तक है। करीब 25 परिवार जो झुग्गियों में रहते थे वो भी पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं।