Sunday, January 19, 2025
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सेहत के लिए महादेव का वरदान है ‘लकड़ी का सेब’

Sehat 2


बेल देसी ड्रिंक, इम्यूनिटी बूस्टर भी है। इसे पीने से बैक्टीरिया और वायरस से होने वाले संक्रमण से बचने मे मदद मिलेगी। एंटीआॅक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होने के कारण यह गठिया के उपचार में सहायक होता है। इसका जूस जहां एक ओर शरीर से टॉक्सिन्स यानि विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करता है, वहीं दूसरी ओर ब्लड कोलेस्ट्रॉल को भी बखूबी नियंत्रित करता है। एंटी-बैक्टीरियल तथा एंटी-फंगल होने के कारण यह अल्सर को नियंत्रित करता है, पाचन के लिए तो बेल रामबाण है ही।

मूलतो ब्रह्म रूपाय, मध्यतो विष्णु रूपिणे
अग्रत: शिवरूपाय, बिल्व वृक्षाय नमो नम:

इस श्लोक द्वारा हम किसी देवता की स्तुति नहीं कर रहे। हां, देव समान वृक्ष की स्तुति जरूर कर रहे हैं, जिस पर त्रिदेवो का वास माना गया है और जिसका उपयोग धार्मिक कार्यों के साथ-साथ चिकित्सा व खाने-पीने में भी किया जाता है। जी हां! हम बात कर रहे हैं एक ऐसे फल की, जिसे बिल्व, श्री फल, सदाफल तथा अंग्रेजी में वुड एप्पल यानि लकड़ी के सेब के नाम से पुकारा जाता है, नहीं समझे! अरे हम बात कर रहे हैं बेल की, वही बेल जिसका शरबत आजकल गर्मियों में हम खूब पीते हैं।

लकड़ी का सेब कहे जाने वाले बेल का वृक्ष एक ऐसा वृक्ष है, जिसके हर हिस्से का इस्तेमाल सेहत बनाने और सौंदर्य निखारने के लिए किया जाता है। इसके फल यानि बेल का उपयोग तो सर्वविदित है ही। इसके पत्ते, जड़ और छाल भी उपयोगी है। इसमें अनेक फायदेमंद पौष्टिक तत्व तथा एंटीआॅक्सीडेंट होते हैं-जैसे प्रोटीन, बीटा कैरोटीन, थायमीन, विटामिन सी, विटामिन ई, राइबोफ्लोविन विटामिन बी1, पोटेशियम, फाइबर आदि।

धार्मिक रूप से पवित्र, कांटों से भरा यह पेड़ महादेव को यूं ही प्रिय नहीं। एक ओर तो इसकी पत्तियां शिवलिंग पर चढ़ा भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता है, वहीं दूसरी ओर ये पत्तियां अनेक रोगों के उपचार में प्रयुक्त होती हैं। पेड़ से टूटने के कई दिनों बाद तक ताजी रहने वाली इसकी पत्तियों का तेल स्किन फंगस से बचाव करता है। भारतीय प्रोफेसर विभूति नारायण के शोध के अनुसार ये पत्ते जनसंख्या नियंत्रण में भी कारगर हैं।

पड़ गए न आश्चर्य में! पर उनके अनुसार बेल के पत्ते का चूर्ण पुरुषों द्वारा एक निश्चित मात्रा में लेने के दौरान शुक्राणुओं की संख्या घट जाती है। इसके अलावा विभिन्न तरीकों से इसका सेवन खून को साफ करने में, ब्लड शुगर नियंत्रित करने में, बालों को झड़ने से रोकने में, सिर दर्द को दूर करने में, सूजन उतारने में, शरीर की दुर्गन्ध को दूर करने आदि में किया जाता है।

बेल की जड़ में भी औषधीय गुण होते हैं, इसे पानी में घिसकर या उबालकर औषधि के रूप में चिकित्सक के परामर्श से प्रयोग किया जाता है। बेल की जड़ को कैथ की जड़ के साथ पीसकर पिलाने से बिच्छू आदि के डंक में लाभ होता है। धार्मिक रूप में इसकी जड़ में मां लक्ष्मी का वास माना जाता है। इसका पूजन करने से व्यक्ति को समस्त पापों व दरिद्रता से मुक्ति मिलती है तथा भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है।

गर्मी के मौसम में तो भगवान शिव का वरदान है बेल का फल, जो पकने पर हरा-सुनहरा हो जाता है। बाहर से पत्थर की भांति कठोर व भीतर से मीठा, गूदेदार होने के कारण ऐसा लगता है कि प्रकृति ने इसमें अमृत भरकर सुरक्षित रखने के लिए इसका कवच बना दिया हो। क्या अनोखा फल है ये! जो पेड़ से टूटने के कई दिन बाद भी खराब नही होता है। बेल के फल का उपयोग अनेक तरह किया जा सकता है। कच्चे फल के गूदे को भूनकर, मुरब्बा बनाकर, सुखाकर चूर्ण बनाकर, पकने पर उसे फोड़कर गूदा खाकर या फिर उसके गूदे को पानी में मसल कर शर्बत बना लें। इस तरह इसे कई तरह उपयोग कर कई फायदे लिए जा सकते है। लू लगने पर या शरीर में गर्मी होने पर इसका शरबत पीने से तुरंत आराम मिलता है।

यह देसी ड्रिंक, इम्यूनिटी बूस्टर भी है। इसे पीने से बैक्टीरिया और वायरस से होने वाले संक्रमण से बचने मे मदद मिलेगी। एंटीआॅक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होने के कारण यह गठिया के उपचार में सहायक होता है। इसका जूस जहां एक ओर शरीर से टॉक्सिन्स यानि विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करता है, वहीं दूसरी ओर ब्लड कोलेस्ट्रॉल को भी बखूबी नियंत्रित करता है। एंटी-बैक्टीरियल तथा एंटी-फंगल होने के कारण यह अल्सर को नियंत्रित करता है, पाचन के लिए तो बेल रामबाण है ही।

अरे! बेल पन्ना तो छूट ही गया। जैसे आम पन्ना वैसे ही पुदीना, नींबू, अजवाइन और बेल से बने पन्ना को पीने से लीवर की समस्याओं में लाभ होता है। इन सब के साथ एक कमाल की बात तो रह ही गई। बेल फल का गूदा डिटर्जेंट का काम भी करता है साथ ही चित्रकार अपने रंगों में इसे मिलाकर जब अपने चित्रों पर घुमाते हैं तो चित्रों पर एक सुरक्षा झिल्ली बन जाती है।

हालांकि बेल एक अमृततुल्य फल है पर फिर भी अति व अज्ञानता से कोई भी चीज बुरी हो सकती है। इस तरह सामान्य रूप से बेल को कैसे भी खाओं लाभ ही होगा। यानि चाहे बेल का गूदा खाइए, चाहे जूस पीजिए पर विशेष रोगों के इलाज में वैद्यकीय परामर्श से ही खायें। क्योंकि गूदा, मुरब्बा, पत्ररस, चूर्ण तथा शर्बत सब अलग तरह फायदा देंगे। इसके विभिन्न योगों का प्रयोग सीमित मात्रा में तथा वैद्यकीय परामर्श से ही हो अन्यथा सूजन आदि कुछ समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
बाजार में बिक रहा बेल का शर्बत जरा सावधानी से पियें।

एक तो इसमें बर्फ का प्रयोग नुकसान देता है, साथ ही डायबिटीज वाले रोगी जरा चीनी का भी ध्यान रखें। गर्भवती महिलाएं व सर्जरी के बाद रोगी इससे बचें। इसके बीजों में पीले रंग का एक तेल होता है जो उत्तम विरेचक है अत: इनका ध्यान रखें। वैसे प्रकृति की देन प्रत्येक वस्तु अमूल्य है उसके लाभ व गुणों को शब्दों में नही समेटा जा सकता केवल दिशा दिखायी जा सकती है ऐसा ही कुछ बेल के साथ भी है।
                                                                                                        -प्रस्तुति : गुलशन गुप्ता


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