Tuesday, July 9, 2024
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8 मई मदर्स-डे ममता की मूरत, भगवान की सूरत मां !

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Ghanshayam Badalमरहूम शायर निदा फाजली मां का एहसास मिस्सी रोटी पर रखी खट्टी चटनी की तरह महसूस करते हैं, तो बहुत सारे कवियों व शायरों ने मां में ईश्वर के दर्शन किए हैं। मां की महिमा अनंत एवं अपरंपार है जिसका वर्णन असंभव है और न हीं कोई आज तक पूर्ण रूप से मां का बखान कर पाया है। सच कहें तो मां एक शरीर नहीं एहसास है, एक भावना है। मां ही समर्पण, ममता, वात्सल्य व बच्चे पर जान छिड़कने वाली जीवंत प्रतिमा है।

एक पुरानी फिल्म दीवार में अमिताभ बच्चन एक दृश्य में शशि कपूर से कहते हैं, ‘मेरे पास गाड़ी है, बंगला है, दौलत है। तुम्हारे पास क्या है?’ तब शशि कपूर बहुत शांत भाव से एक छोटा सा जवाब देते हैं, ‘मेरे पास मां है’ और पिक्चर हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठते हैं। भले ही बोला गया डायलॉग फिल्मी पर है, जीवन का अटूट सत्य। जिसके हिस्से में मां का साथ, मां का आशीर्वाद आ जाता है, दुनिया की कोई काली छाया उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाती यही है मां की महिमा।

बच्चो की ढाल मां

हर बच्चा मां में सबसे बड़ी सुरक्षा ढूंढता है। मां के आंचल के साए में वह खुद को सबसे महफूज महसूस करता है। हालांकि समय के साथ भौतिकता की अंधी दौड़ में मां का हिस्से में आना भी कई बार अजीब सा एहसास कराता है। शायर मुनव्वर राणा अपने एक शेर में जब कहते हैं-किसी के हिस्से मकां आया, किसी के हिस्से दुकां आई/ मैं सबसे छोटा था, मेरे हिस्से में मां आई… तो यह समय की विद्रूपता पर एक करारा तमाचा होता है ।

मां में ईश्वर के दर्शन

मरहूम शायर निदा फाजली मां का एहसास मिस्सी रोटी पर रखी खट्टी चटनी की तरह महसूस करते हैं, तो बहुत सारे कवियों व शायरों ने मां में ईश्वर के दर्शन किए हैं। मां की महिमा अनंत एवं अपरंपार है जिसका वर्णन असंभव है और न हीं कोई आज तक पूर्ण रूप से मां का बखान कर पाया है। सच कहें तो मां एक शरीर नहीं एहसास है, एक भावना है। मां ही समर्पण, ममता, वात्सल्य व बच्चे पर जान छिड़कने वाली जीवंत प्रतिमा है।

देती है अमृतरस

मां जन्म देने की साथ ही बच्चे को सीने से चिपकाकर उसकी हिफाजत करती है , उसके लिए मौत से भी टक्कर ले सकती है, अपने हिस्से में भूख रखकर भी अपना खाना उसे दे देती है, खुद गीले में लेट कर भी बच्चे को सूखे में सुलाती है, उसके सोने पर सोती है उसके खा लेने पर खाती है और अपनी छातियों के अमृतरस से उसे जीवन दे पालती पोषती है। स्नेह धार से सींचती ही नहीं अपितु और भी जाने क्या-क्या करती है ।

बच्चों पर सब लुटा दे

वह मां ही है जो अपने जीवन को संकट में डाल, मौत से भी लड़कर बच्चे को जन्म देती है। अपने सारे सुख-चैन ताक पर रखकर उसका पालन पोषण व शिक्षा के लिए भी वह कैसे न कैसे समय निकाल ही लेती है। दफ्तर या घर के थकान भरे काम के बाद भी अपने बच्चे की हर जिद को पूरा करने को सदैव तैयार, अपने जतन से बचाकर रखे पैसों को भी संतान पर खर्च करने में जरा भी संकोच अगर किसी को नहीं होता है तो वह मां ही है।

दुनिया का सबसे प्यारा शब्द मां

बेशक, दुनिया का सबसे प्यारा शब्द अगर कोई है तो वह है ‘मां’ ही है। न केवल मनुष्य अपितु दुनिया के हर जीव को समान रूप से लुभाता है ‘मां’ शब्द। आई, माई, मां, मदर , मम्मी, मॉम, अम्मा, भाबो, ताई ौर कुछ कहें, भले ही अलग अलग देशों व प्रदेशों में उच्चारण व भाषा की दृष्टि से अलग हों पर, दुनिया के किसी भी कोने में जाइए, हर जगह मां ही है, जो बच्चे की सबसे प्रिय लगती है। दुनिया का हर शिशु अपनी भाषा में सबसे पहला जो शब्द बोलना सीखता है वह भी ‘मां’ या उसका पर्याय ही है।

निर्विवाद रूप से मां से ही सृष्टि का निर्माण हुआ है। मानव समाज में ‘मां’ ने ही इंसान को सभ्य बनाया। जीजाबाई, पन्नाधाय, ध्रुव की मां सुनीति, लक्ष्मीबाई, कुंती, माद्री न जाने कितने ही चमकदार नाम हैं भारतीय मां के गौरवशाली इतिहास को चमक देते हुए।

बदली भी है मां

हालांकि यह सच है कि समय के साथ मां में भी बदलाव आए हैं। उसके सोचने-समझने, पहनने-ओढ़ने, कार्य करने व जिम्मेदारियों के साथ उसके आचार विचार बदले हैं। उसने भी समय के साथ करवटें बदली हैं। उसके हावों-भावों में भी बदलाव देखे गए हैं, पर जहां तक उसके अपने बच्चों प्रति नजरिए की बात आती है तो आज भी वह उसी असीमित प्यार और स्नेह के साथ अपने बच्चों के लिए कुछ भी करने को तत्पर नजर आती है।

दीजिए उपहार

जब मां के रूप में कोई हमारे लिए इतना कुछ करता है तो हमारा भी दायित्व बनता कि हम भी उसके लिए कुछ न कुछ तो करें ही। खास तौर मदर्स डे या मातृदिवस पर तो कुछ खास करना बनता ही है। तो साचें क्या कर सकते हैं हम जन्मदात्री मां के लिए? तो इस मदर्स-डे पर अपनी प्यारी सी मां के लिए एक प्यारा सा उपहार देना तो बनता ही है न।

कैसा हो उपहार?

अब उपहार कैसा हो, इसके लिए पहले जान लीजिए कि इस वक्त उनकी जरूरत क्या है और अपनी तरफ से वही चीज उन्हें दे दीजिए। देखना, मां खिल उठेंगी। जरूरत न भी जान पाएं तो भी उनका स्वभाव तो जानते ही हैं, उसके अनुरूप उन्हे भेंट दें। मां अगर पूजा-पाठी है तो उनके आराध्य की मूर्ति ला सकते हैं, उनका खुद का फोटो फ्रेम करवा के भेंट दे सकते हैं। सुबह-सुबह उन्हे फोन पर एक मीठा सा मैसेज भी काफी है मां को खुश करने के लिए। कहीं बाहर हैं तो वीडियो चैट करके मां को हैप्पी मदर्स डे कहना न भूलें।

डॉ. घनश्याम बादल


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