- चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कक्षाओं में छात्र छात्राएं पढ़ सकेंगे दुष्यंत की गज़ल
जनवाणी संवाददाता |
नजीबाबाद: नजीबाबाद तहसील क्षेत्र मंडावली थाना क्षेत्र के ग्राम राजपुर नवादा में जन्मे हिंदी ग़ज़ल सम्राट स्वर्गीय दुष्यंत त्यागी की गज़लें अब स्नातक के छात्र छात्राएं भी पढ़ सकेंगे। दुष्यंत की गज़लों को चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने पर नजीबाबाद के कवियों, लेखकों व बुद्धिजीवियों ने इसे नजीबाबाद के लिए ही नहीं बल्कि जनपद बिजनौर के लिए भी गौरव की बात बताया है।
हो गई है पीर पर्वत सी, पिघलनी चाहिए——इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए जैसी गजल को लिखने वाले मशहूर दुष्यंत कुमार को अब स्नातक के स्टूडेंट विश्वविद्यालय की कक्षाओं में पढ़ सकेंगे। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने यूपी के आधा दर्जन से अधिक साहित्यकारों और गीत कारों को विश्वविद्यालय कोर्स का हिस्सा बनाया है। जिंदगी की न टूटे लड़ी तथा एक प्यार का नगमा है जैसे लोकप्रिय गीतों के रचनाकार संतोष आनंद सहित पांच अन्य प्रमुख साहित्यकारों को राष्ट्रीय चेतना पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया है।
दुष्यंत कुमार को हर कोई पसंद करता है। उनकी शायरी में प्रयुक्त शब्दों की धार और पैनापन लाजवाब है।
दुष्यंत कुमार की गजल को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के बी.ए. हिन्दी के पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने पर क्षेत्र के कवियों ने विश्वविद्यालय के इस कदम की सराहना की है। हिंदी गजल के जनक दुष्यंत कुमार का जन्म तहसील नजीबाबाद के ग्राम राजपुर नवादा में एक सितम्बर 1933 को हुआ था।
उन्होंने रेडियो भोपाल में अपनी सेवाएं दी थी। 30 दिसम्बर 1975 को उनकी असामयिक मृत्यु हो गयी थी। स्व. दुष्यंत कुमार की गजल को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के बी.ए. हिन्दी के पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने पर क्षेत्र के कवियों इन्द्र देव भारती, निशा अग्रवाल, मनोज त्यागी,डॉ एस के जौहर, जितेंद्र कक्कड़, राजेन्द्र त्यागी आदि ने इसे नगर का ही नहीं जनपद का गौरव बताया है।