- आरटीओ के बाद नगर निगम बना दलालों का अड्डा
- हर काम कराने के लिए रखे हैं निर्धारित दाम
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर में आए दिन नगर निगम की लापरवाही के नमूने आमतौर पर देखने को मिल जाते हैं। जहां, निगम का काम निगम की बनाई हुई सड़कों की तरह ही क्षतिग्रस्त है। वहीं,, शहर में खानापूर्ति करने का नगर निगम सबसे बड़ा उदाहरण बन चुका है। शहर को अतिक्रमण मुक्त और साफ रखने में जहां निगम विफल है। वहीं, निगम के दफ्तरों में होने वाले कामों का जिम्मा भी दलालों ने उठा लिया है।
गौरतलब है कि सड़क पर गाड़ी चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस आराम से दलालों द्वारा आरटीओ में निर्धारित रेटों पर बनवाए जाते हैं। इसके बावजूद सारा सिस्टम आॅनलाइन होने के दलाल लोग आरटीओ में अधिकारियों की मदद से अवैध कमाई कर लोगों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। कुछ इस प्रकार ही दलालों ने नगर निगम पर भी अपना कब्जा जमा लिया है।
निगम में किसी भी प्रकार का सर्टिफिकेट दलालों के माध्यम से बनवाए जाते हैं, जिनके रेट दलालों ने फिक्स किए हुए हैं। दलाल, लोगों से डाक्यूमेंट्स लेकर उन डॉक्यूमेंट्स को तैयार कराता है। फिर आवेदनकर्ता को बुलाकर उन डॉक्यूमेंट को जमा करा देता है। जिसके बदले वह लोगों से उल जलूल पैसे वसूल लेता है। इसका स्मस्या का मुख्य कारण निगम के लोगों की लापरवाही है।
जब कोई आम व्यक्ति निगम में अपने किसी काम के लिए जाता है। तो निगम के कर्मचारी उसे काउंटर दर काउंटर घुमाते रहते हैं। जिसके चलते अंत में व्यक्ति परेशान होकर दलाल का सहारा लेता है। जो फार्म निगम को फ्री देने चाहिए। वहीं, फार्म निगम के कर्मचारी दफ्तर के बाहर मौजूद फोटो कॉपी और टाइपिंग की दुकानों से 10-10 रुपये के खरीदने को कहता हैं। दलालों द्वारा बनवाए जाने वाले सर्टिफिकेट की जानकारी अधिकारियों को भी हैं। बावजूद इन लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं कराई जा रही है।