Friday, June 13, 2025
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ज्ञानवापी केस में मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज, ASI को सर्वे करने की मिली मंजूरी

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है। आज शुक्रवार को वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने मां श्रृंगार गौरी और ज्ञान‌‌‌वापी केस में एएसआई सर्वे करने की इजाजत मिल गई है। अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि विवादित हिस्से को छोड़कर बाकी पूरे कैंपस का सर्वे होगा। यह फैसला सुनाते हुए अदालत ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है।

बता दें कि अदालत में हिंदू पक्ष की चार वादिनी रेखा पाठक, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और सीता साहू की तरफ से बीते 16 मई को एक प्रार्थना पत्र दिया गया था। जिसमें कहा गया था कि ज्ञानवापी में सील किए गए वजूखाना को छोड़कर बाकी क्षेत्र का एएसआई से रडार तकनीक से सर्वे कराया जाए। इस पर 19 मई को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने आपत्ति की थी। 14 जुलाई को सुनवाई पूरी हो गई थी। तब कोर्ट ने आदेश के लिए पत्रावली सुरक्षित रखते हुए सुनवाई के लिए 21 मई की तिथि तय की थी।

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अदालत ने कहा- Without Causing Harm यानी बिना नुकसान पहुंचाए, साइंटिफिक सर्वे किया जाए। इसकी रिपोर्ट ASI 4 अगस्त तक कोर्ट में सब्मिट करे। मुस्लिम पक्ष ने सर्वे पर रोक लगाने की याचिका दाखिल की थी। 14 जुलाई को करीब डेढ़ घंटे तक हुई बहस के बाद जिला जज डॉ. अजय कृष्णा विश्वेश ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा- हमारा कहना था कि पूरे क्षेत्र का ASI सर्वे करना चाहिए। आज कोर्ट ने हमारे उस आवेदन पर सहमति दे दी है और अब ASI ही इस मामले की दिशा और दशा को निर्धारित करेगा। शिवलिंग का सर्वे नहीं होगा। उसका मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है जिसकी अगली सुनवाई 29 अगस्त को है।

वाराणसी कोर्ट में 14 जुलाई को हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था- ज्ञानवापी आदिविश्वेश्वर का मूल स्थान है। यह लाखों लोगों की भावनाओं से जुड़ा है। सर्वे के दौरान पश्चिमी दीवार पर मिले निशान और अवशेषों ने बताया कि यह मंदिर की दीवार है।

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ओरल एवीडेंस के आधार पर कोई पक्ष नहीं रखा जा सकता, इसलिए सर्वे अनिवार्य है। हम संपूर्ण परिसर के सर्वे की मांग को उठा रहे हैं, जिससे सभी को पता चलेगा कि यह परिसर स्वयंभू आदिविश्वेवर मंदिर है। मंदिर को लेकर बताने वाला कोई जिंदा नहीं है, लेकिन इतिहास है, जो बहुत कुछ कह रहा है। सर्वे के बाद यह वाराणसी का इतिहास सामने होगा।

मुस्लिम पक्ष ने कहा- यहां पहले से मस्जिद थी, जिसे किसी धार्मिक स्थल के स्थान पर नहीं बनाया गया। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बात सुनकर फैसला सुरक्षित कर लिया था।

जिला जज से हिंदू पक्ष के एडवोकेट ने निवेदन किया था कि ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराना जरूरी है। इससे सनातनी हिंदुओं में तनावपूर्ण वातावरण व्याप्त है। ज्ञानवापी मामले को लेकर उपजे तनाव का सौहार्दपूर्ण समाधान वैज्ञानिक तथ्य सामने आने पर हो जाएगा। मुस्लिम पक्ष को भी इस पर तैयार होना चाहिए और सर्वे से किसी भी तरह की वर्तमान स्थिति को क्षति नहीं होगी।

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हिंदू पक्ष के एडवोकेट ने निवेदन किया था कि आर्कोलॉजी के विशेषज्ञ रडार पेनिट्रेटिंग, एक्सरे पद्धति, रडार मैपिंग, स्टाइलिस्ट डेटिंग आदि पद्धति का प्रयोग कर सकते हैं।

स्टाइलिस्ट डेटिंग में किसी संरचना के निर्माण शैली से उसके सदियों पुराने स्थिति का आकलन कर पुरातत्व के विशेषज्ञ स्पष्ट और प्रमाणित कर देते हैं कि उस संरचना का कौन-सा काल खंड है। ज्ञानवापी परिसर में किस काल खंड में कौन-सी संरचना से मंदिर बना था, यह भी रिपोर्ट में होगा।

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स्वास्तिक, त्रिशूल, डमरू और कमल चिह्न मिले थे

वाराणसी कोर्ट में वकील विष्णुशंकर जैन ने दलील दी कि ज्ञानवापी की 14 से 16 मई के बीच हुए सर्वे में 2.5 फीट ऊंची गोलाकार शिवलिंग जैसी आकृति के ऊपर अलग से सफेद पत्थर लगा मिला। उस पर कटा हुआ निशान था।

उसमें सींक डालने पर 63 सेंटीमीटर गहराई पाई गई। पत्थर की गोलाकार आकृति के बेस का व्यास 4 फीट पाया गया। ज्ञानवापी में कथित फव्वारे में पाइप के लिए जगह ही नहीं थी, जबकि ज्ञानवापी में स्वास्तिक, त्रिशूल, डमरू और कमल जैसे चिह्न मिले।

मुस्लिम पक्ष कुंड के बीच मिली जिस काले रंग की पत्थरनुमा आकृति को फव्वारा बता रहा था, उसमें कोई छेद नहीं मिला है। न ही उसमें कोई पाइप घुसाने की जगह है।

कार्बन डेटिंग पर लगी है रोक

ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग के साइंटिफिक सर्वे और कॉर्बन डेटिंग के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए कोर्ट ने कहा- इस मामले में संभलकर चलने की जरूरत है।

हाईकोर्ट के आदेश की बारीकी से जांच करनी होगी। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की तरफ से वकील हुजेफा अहमदी ने यह याचिका दायर की।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और केवी विश्वनाथन की पीठ ने इसकी सुनवाई की। हिंदू पक्ष सुप्रीम कोर्ट में पहले ही कैविएट दाखिल कर चुका है। केंद्र सरकार के वकील अमित श्रीवास्तव भी कोर्ट में उपस्थित हुए।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान मसाजिद कमेटी की तरफ से वकील मुमताज अहमद, रईस अहमद और एखलाक अहमद ने दलीलें पेश की। हिंदू पक्ष की तरफ से वकील सुधीर त्रिपाठी, सुभाष नंदन चतुर्वेदी, अनुपम द्विवेदी, प्रदेश सरकार की ओर से राजेश मिश्र और केंद्र सरकार की तरफ से अमित श्रीवास्तव मौजूद रहे।

  • मुकदमा सिर्फ मां श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन के लिए दाखिल किया गया है। दर्शन-पूजन सिविल अधिकार है और इसे रोका नहीं जाना चाहिए।

  • मां श्रृंगार गौरी का मंदिर विवादित ज्ञानवापी परिसर के पीछे है। वहां अवैध निर्माण कर मस्जिद बनाई गई है।

  • वक्फ बोर्ड ये तय नहीं करेगा कि महादेव की पूजा कहां होगी। आजादी के दिन से लेकर वर्ष 1993 तक मां श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा होती थी।

  • श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट में आराजी नंबर-9130 देवता की जगह मानी गई है।

  • सिविल प्रक्रिया संहिता में संपत्ति का मालिकाना हक खसरा या चौहद्दी से होता है।

  • ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में कथित शिवलिंग मिला है।

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