जनवाणी संवाददाता |
मुजफ्फरनगर: मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट से आखिरकार राष्ट्रीय लोकदल ने अपने पत्ते खोलते हुए अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है। मीरापुर विधानसभा उपचुनाव में पूर्व विधायक मिथिलेश पाल को पार्टी प्रत्याशी बनाया गया है। मिथलेश पाल, कादिर राणा के मोरना विधानसभा सीट से त्यागपत्र दिए जाने के बाद उपचुनाव में रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ी थी। रालोद ने ऐसे प्रत्याशी की घोषणा की है, जिसके बारे में कोई भी कयास नहीं लगाये जा रहे थे। रालोद के इस टिकट ने सबको चौका दिया है।
बता दें कि मोरना विधानसभा उपचुनाव में मिथलेश पाल ने पूर्व विधायक नूर सलीम राणा को शिकस्त दी थी। 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले ही मिथलेश पाल ने समाजवादी पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। उसके बाद से मिथलेश पाल लगातार भाजपा में सक्रिय थी। मीरापुर विधानसभा उपचुनाव की तिथि की घोषणा होने के बाद से मिथलेश पाल ने रालोद नेतृत्व से संपर्क किया था। साल 2007 के चुनाव में मोरना से रालोद के कादिर राणा विधायक बने थे।
बाद में वह बसपा के टिकट पर सांसद बन गए। खाली हुई मोरना सीट पर उपचुनाव हुआ तो मिथलेश पाल रालोद के टिकट पर विधायक चुनी गई। 2012 का चुनाव वह रालोद के टिकट पर मीरापुर से लड़ी थी और 44 हजार से अधिक वोट मिले थे। 2016 के उप चुनाव में उन्हें रालोद ने मुजफ्फरनगर सीट से उम्मीदवार बनाया था। 2017 में टिकट नहीं मिला, जिसके बाद वह सपा में चली गयी थी। 2022 में मिथलेश पाल भाजपा में चली गयी थी और वह तब से भाजपा में ही थी।
मिथलेशपाल का टिकट होने के बाद पाल समाज में हर्ष की लहर है। राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं हैं कि इस बार रालोद ने दांव पिछड़े वर्ग पर चला है, इससे पहले पिछड़े वर्ग के ही पूर्व सांसद राजपाल सैनी का नाम भी चर्चाओं में आया था, जिसके बाद रालोद में राजपाल सैनी की कड़ी मुखालफत हुई थी। दूसरी ओर बिजनौर सांसद चंदन सिंह चौहान की पत्नी याशिका का नाम भी चर्चाओं में था, इस नाम पर भी रालोद के एक खेमे में बडी मुखालफत थी, जिसके बाद ऐसे नाम की तलाश थी, जिस पर किसी का विरोध न रहे।
इस सीट पर भाजपा भी अपने प्रत्याशी को रालोद के टिकट पर लड़ाने के लिए पूरा दबाव बनाये हुई थी। ऐसे में मिथलेश पाल का नाम सामने आया था, जिस पर सभी की मुहर लग गयी थी।