- खड़ौली में ग्रीन बेल्ट में बन गए ढाबे, एमडीए इंजीनियर बने रहे मूकदर्शक
- एनएचएआई ने भी मूंद रखीं है आंखें
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: एनएच-58 पर वाहन सरपट दौड़ने चाहिए, लेकिन खड़ौली यात्रियों के सफर में बाधा बना हुआ हैं। यहां ग्रीन बेल्ट में ढाबों का निर्माण कर दिया गया हैं, जिसके चलते वाहनों की पार्किंग होने से जाम की समस्या हाइवे पर बनी रहती हैं। यह समस्या एक दो-दिन के लिए नहीं हैं, बल्कि हर रोज लोगों को यहां पर जाम से जूझना पड़ता हैं।
आखिर इस समस्या का समाधान टोल अधिकारी या फिर एनएचएआई के अधिकारी कर पाएंगे या फिर इसी तरह से हर रोज जाम लगते रहेंगे और जनता जाम से जूझती रहेगी। मुस्लिम वर्ग के लोगों ने बड़ी तादाद खड़ौली हाइवे पर ढाबों का ग्रीन बेल्ट में निर्माण कर दिया हैं, जिसके चलते खाना खाने के लिए लोग यहां पर रुकते हैं। वाहनों की पार्किंग सड़क पर कर दी जाती हैं, जिसके चलते जाम की बड़ी समस्या पैदा हो गयी हैं।
इस तरफ से एनएचएआई के अधिकारी भी आंखें मूंदे बैठे हैं। फिर मेरठ विकास प्राधिकरण के अधिकारी भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। ग्रीन बेल्ट में ढाबे क्यों बनने दिये? यह बड़ा सवाल हैं। एक दिन में तो ये ढाबे बन नहीं गए। आठ-छह माह अवश्य लगा होगा, लेकिन ग्रीन बेल्ट में अवैध निर्माण करने वालों पर एमडीए अधिकारियों ने क्या कार्रवाई की? इसमें नहीं तो अवैध निर्माणों को तोड़ा गया, जो वर्तमान में जाम की समस्या की वजह बन गए हैं।
इस तरह से तो जाम बढ़ता चला जायेगा। लोग सड़क किनारे और सड़क पर ट्रक व अन्य वाहनों की पार्किंग करते रहेंगे, जिसके चलते यहां पर जाम लग जाता हैं। हर रोज लोगों को इस समस्या से जूझना पड़ता हैं, मगर फिर भी एनएचएआई के अधिकारी इसको नहीं देख रहे हैं। जाम की समस्या हाइवे पर बने मुस्लिम ढाबे हैं। यहां पर लोग गाड़ियों को पार पार्क कर खाना खाते हैं, जिसके चलते यहां हाईवे पर जाम लग जाता है।
आमतौर पर रोजाना जाम की समस्या से लोगों को जूझना पड़ रहा है। इसको एनएचआई और टोल अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। फिर जो भी निर्माण है ढाबों का निर्माण ग्रीन बेल्ट में किया गया है, जिस पर कार्रवाई मेरठ विकास प्राधिकरण को करनी चाहिए, मगर प्राधिकरण इंजीनियर ग्रीन बेल्ट में बने ढाबों पर कार्रवाई करने से बच रहे हैं। एनजीटी के आदेश के बाद भी यहां पर ध्वस्तीकरण नहीं किया जा रहा हैं।
एनएचएआई और टोल के अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि हाईवे को क्लीन रखा जाए, लेकिन यहां पर खडौली में हर रोज जाम लगता है, जिसके लिए सिवाया टोल के अधिकारियों की जवाबदेही तो बनती है। क्योंकि टोल वसूली वे करते हैं तो फिर सड़क को क्लीन यात्रियों को करके कौन देगा?
अब जाम की समस्या ऐसा भी नहीं है कि टोल और एनएचआई के अधिकारियों को पता नहीं है। उसकी जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई इसमें नहीं की जा रही है। मेरठ विकास प्राधिकरण की जवाबदेही भी इसमें कम नहीं है। क्योंकि जितने भी मुस्लिम ढाबे खड़ौली हाइवे पर बनाए गए हैं, तमाम ग्रीन बेल्ट में बनकर तैयार हुए हैं। इंजीनियरों की सेटिंग गेटिंग से ही ग्रीन बेल्ट में ढाबों का निर्माण हुआ,
लेकिन वर्तमान में इनको गिराने की जिम्मेदारी से एमडीए के इंजीनियर क्यों भाग रहे हैं? जब कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह और प्राधिकरण उपाध्यक्ष मृदुल चौधरी स्पष्ट कर चुके हैं कि ग्रीन बेल्ट के अवैध निर्माण को गिराया जाये, फिर इंजीनियर क्यों पीछे हट रहे हैं?