- साफ-सफाई न होने से गंदगी से अटे पड़े रजवाहे और माइनर
जनवाणी संवाददाता |
हस्तिनापुर: देशभर में लगातार घटते जलस्तरों को बचाने के लिए प्रदेश सरकार भले ही करोड़ों रुपये का बजट खर्च कर रही हो, लेकिन विभागीय अनदेखी के चलते माइनरों में जमी सिल्ट के आगे सब बौने हो जाते हैं। हकीकत ये है कि कई रजवाहों की सालों से सफाई तक नहीं हो सकी है और न ही पानी आया है।
जिसके चलते किसानों का खेतों की सिंचाई करने के लिए नलकूपों से जल का दोहन करना पड़ रहा है। क्षेत्र के अधिकांश रजवाहा एवं माइनरों तक पानी अंतिम छोर तक नहीं पहुंचता है। विभागीय अधिकारियों ने बजट न होने का रोना रोकर इतिश्री कर लेते हैं।
कैसे हो सिंचाई कबाड़ से पटे रजवाहे?
कहने को हस्तिनापुर क्षेत्र में एक गंगनहर वन आरक्षित क्षेत्र से होकर गुजरती है, लेकिन नहर में पानी महज चंद महीनों के लिए ही चलता है। सफाई न होने के चलते रजवाहों में जगह-जगह सिल्ट जमी नजर आती है। जिसके चलते पानी अंतिम छोर तक शायद ही पहुंचता हो।
अन्य माइनर और रजवाहों की बात करें तो उनकी तलहटी में सिल्ट के साथ जंगली झाड़ झंखाड़ खड़े हो गए हैं। माइनर में पानी की दिक्कत के चलते खेतों की प्यास बुझाने के लिए किसानों को नलकूपों का सहारा लेना पड़ता है। लोग विभागीय अधिकारियों से शिकायत भी करते हैं, लेकिन कोई असर होता नजर नहीं आता।
सच नजर नहीं आ रहे विभाग के आंकड़े
विभागीय आंकड़ों और अधिकारियों की बात करें तो गत वर्ष आए बजट से रजवाहे एवं माइनर में जमी सिल्ट व सफाई को दुरुस्त कराया। साल भर में एक बार कराई जाती है। गत वर्ष रजवाहे की 50 प्रतिशत एवं माइनर के आंतरिक विभाग की शत-प्रतिशत सफाई कराई थी।
किसानों का आरोप है कि रजवाहे एवं माइनर में पानी की निकासी न होने पर किसानों को ट्यूबवेल से खेतों की सिंचाई करनी पड़ रही है। किसानों का कहना है कि मेंटेनेंस छोड़िए रजवाहे एवं माइनर की सफाई तक नहीं कराई जा रही है।
क्या कहते हैं विभागीय अधिकारी
इस वर्ष बजट न आने के कारण माइनरों और रजवाहों की सफाई का कार्य नहीं हो सका। गत वर्ष हस्तिनापुर क्षेत्र में आने वाले सभी माइनरों और रजवाहों की सफाई का कार्य किया गया था।
-मनोज कुमार, एसडीओ, सिंचाई विभाग