वार्ड-1: पार्षद का रिपोर्ट कार्ड
- मोहल्लावासियों को आवाजाही के लिए रेल की पटरियों से होकर पड़ता है गुजरना
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम के दलित बाहुल्य लल्लापुरा स्थित वार्ड एक के दक्षिणी छोर से गुजरती रेलवे लाइन के समानान्तर सड़क का निर्माण न होने से इस क्षेत्र के कई मोहल्लों के लोगों को आवाजाही के लिए रेल की पटरियों से होकर गुजरना पड़ता है।
स्कूली बच्चों को भी आने-जाने के लिए रेल की पटरियों का प्रयोग करते देखा जा सकता है। यहां तक कि किसी की मृत्यु हो जाने की स्थिति में अर्थी को श्मशान तक ले जाना भी चुनौती भरा काम बन जाता है। वार्ड के लोगों का कहना है कि इस रोड का निर्माण होने से उनकी कई समस्याओं का समाधान हो सकता है।
मलियाना फाटक के नीचे से पूरब-दक्षिण दिशा में स्थित वार्ड नंबर एक में प्रवेश करते ही सामने मोक्ष धाम है, जिससे आगे चलकर शिवहरि मंदिर स्थित है। इस मंदिर के सामने गहराई में स्थित एक मैदान के मालिकाना हक को लेकर पक्षकारों के बीच विवाद बताया गया है। हालांकि इसी परिसर में नगर निगम की ओर से एक नलकूप लगाया गया है, जो बंद बताया गया है। जबकि एक कुआं काफी पुराना बताया गया है, जो विभिन्न अवसरों पर पूजा आदि के लिए प्रयोग किया जाता है।
इस मैदान में बरसात के अलावा भी कई अवसर ऐसे आते हैं, जब पानी भरा रहता है। इसके आसपास बनी नालियों की सफाई सुचारू ढंग से न होने की शिकायत मोहल्ले के लोग करते हैं। इस वार्ड में नई बस्ती लल्लापुरा, भीमनगर, विकास नगर, शिव हरि मंदिर, सिद्धार्थ पुरम, नई बस्ती मोहनराम मंदिर, एकता विहार आदि मोहल्ले आते हैं।
अजय कुमार, एके सागर, एसपी सिंह आदि का कहना है कि 70 प्रतिशत से अधिक दलित समाज के लोगों के इस वार्ड में मतदाताओं की संख्या 18500 है। यहां की सबसे बड़ी समस्या साफ-सफाई और भीतरी मार्गों के निर्माण से अधिक यह है कि वार्ड के उत्तरी दिशा में रेलवे लाइन बिछी है।
जिसके किनारे वाली सड़क को बनवाने में पार्षद से लेकर अन्य जनप्रतिनिधि भी कामयाब नहीं हो सके हैं। एक किमी से अधिक लंबी इस सड़क की हालत इतनी दयनीय है कि यहां हर मौसम में पानी और कीचड़ जमा रहता है। इस वार्ड के लोगों को आने-जाने के लिए जिंदीगी दांव पर लगाकर रेल की पटरी से होकर गुजरना पड़ता है।
जनवाणी टीम ने दक्षिण दिशा में जाकर देखा, तो पाया कि स्कूल के बच्चे भी रेल की पटरी से होकर गुजर रहे हैं। इस वार्ड के लोगों के लिए हालांकि रेलवे लाइन के बराबर से एक सड़क मौजूद है, लेकिन इस सड़क का निर्माण कई दशक पहले कराया गया था।
उसके बाद सड़क टूटते-टूटते इस स्थिति में आ चुकी है कि इससे होकर पैदल या दोपहिया वाहन से तो दूर, बड़े वाहनों से भी गुजरना खतरनाक होता है। गहरे गड्ढों के बीच भरे पानी और कीचड़ में यह अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है कि सड़क कहां है और गड्ढे की गहराई कितनी हो सकती है। ऐसे में दुपहिया वाहनों के फिसलने और चौपहिया वाहनों के पलट जाने का खतरा बना रहता है।
वार्ड निवासी सुनील और जितेन्द्र कुमार बताते हैं कि रास्ता न होने के कारण इस क्षेत्र के कई मोहल्लों के लोग रेल की पटरी से होकर ही गुजरने को विवश होते हैं। उनका कहना है कि इस क्षेत्र में किसी की मृत्यु होने पर उसे श्मशान घाट तक ले जाना भी बहुत दुश्वार हो जाता है। क्योंकि अर्थी को लेकर इस मार्ग से या रेल की पटरी से जाना संभव नहीं हो पाता। गिरते पड़ते लोग स्वजनों को श्मशान ले जाकर अंतिम संस्कार करने के लिए बाध्य होते हैं।
इस वार्ड के पूर्व पार्षद कैलाशचन्द का कहना है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में टंकी निर्माण से लेकर टाइल्स समेत विभिन्न विकास कार्य कराए हैं। वार्ड की सबसे बड़ी समस्या रेलवे लाइन के पास से गुजरने वाली सड़क की जर्जर स्थिति को स्वीकार करते हुए वे बताते हैं कि सांसद राजेन्द्र अग्रवाल से लेकर विभिन्न जनप्रतिनिधियों के जरिये रेलवे के अधिकारियों से सड़क निर्माण की अनुमति लेने के प्रयास किए गए, लेकिन इसमें रेलवे विभाग बाधक बन रहा है।
पार्षद का कथन
वार्ड एक की पार्षद तुलसावती का कहना है कि दो वर्ष कोरोना काल और छह महीने चुनाव के कारण लगी आचार संहिता के बीच कामकाज प्रभावित रहे हैं। इसके बावजूद उन्होंने अपने कार्यकाल में शिवहरि मंदिर कालोनी में नए नलकूप का लगवाया है। बच्चा श्मशान का कार्य कराया है।
वार्ड की लगभग सभी गलियों और नालियों के निर्माण से लेकर उनकी साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा गया है। रेलवे लाइन के बराबर रोड का निर्माण वर्ष 2000 में अपने स्तर से प्रयास करके तत्कालीन विधायक रणवीर सिंह राणा ने कराया था। उसके बाद पार्षद ने प्रयास करके लखनऊ स्तर से 46 लाख रुपये स्वीकृत कराए, लेकिन रेलवे विभाग के एनओसी न देने के कारण यह धनराशि लैप्स हो गई।
पार्षद तुलसावती का कहना हैकि रेलवे लाइन के बराबद वाली इस रोड का निर्माण पार्षद या नगर निगम के स्तर से नहीं, बल्कि सांसद, विधायक निधि आदि फंड से हो सकेगा। जिसके लिए निरंतर प्रयास किए गए हैं। हालांकि इसमें अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है। वहीं मलियाना फाटक से लेकर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स तक 1.77 किमी सड़क का निर्माण पार्षद तुलसावती के ही कार्यकाल में हुआ है।