Saturday, July 27, 2024
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अपना-अपना महत्व

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Amritvani 3

 


एक समुराई जिसे उसके शौर्य, निष्ठा और साहस के लिए जाना जाता था, एक जेन संन्यासी से सलाह लेने पहुंचा। जब संन्यासी ने ध्यानपूर्ण कर लिया तब समुराई ने उससे पूछा, मैं इतना हीन क्यों महसूस करता हूं? मैंने कितनी ही लड़ाइयां जीती हैं, कितने ही असहाय लोगों की मदद की है। पर जब मैं और लोगों को देखता हूं तो लगता है कि मैं उनके सामने कुछ नहीं हूँ , मेरे जीवन का कोई महत्व ही नहीं है। रुको ; जब मैं पहले से एकत्रित हुए लोगों के प्रश्नों का उत्तर दे लूंगा तब तुमसे बात करूंगा। समुराई इंतजार करता रहा, शाम ढलने लगी और धीरे-धीरे सभी लोग वापस चले गए।

क्या अब आपके पास मेरे लिए समय है? समुराई ने संन्यासी से पूछा। संन्यासी ने इशारे से उसे अपने पीछे आने को कहा। तुम चांद को देख रहे हो, वो कितना खूबसूरत है! वो सारी रात इसी तरह चमकता रहेगा, हमें शीतलता पहुंचाएगा, लेकिन कल सुबह फिर सूरज निकल जाएगा, और सूरज की रौशनी तो कहीं अधिक तेज होती है, उसी की वजह से हम दिन में खूबसूरत पेड़ों, पहाड़ों और पूरी प्रकृति को साफ-साफ देख पाते हैं|

मैं तो कहूंगा कि चांद की कोई जरूरत ही नहीं है…उसका अस्तित्व ही बेकार है! अरे! ये आप क्या कह रहे हैं, ऐसा बिलकुल नहीं है-समुराई बोला, चांद और सूरज बिलकुल अलग -अलग हैं, दोनों की अपनी-अपनी उपयोगिता है, आप इस तरह दोनों की तुलना नहीं कर सकते। तो इसका मतलब तुम्हें अपनी समस्या का हल पता है। हर इंसान दूसरे से अलग होता है, हर किसी की अपनी-अपनी खूबियां होती हैं, और वो अपने-अपने तरीके से इस दुनिया को लाभ पहुंचाता है; बस यही प्रमुख है बाकि सब गौण है। मित्रों! हमें भी स्वयं के अवदान को कम अंकित कर दूसरों से तुलना नहीं करनी चाहिए।


janwani address 62

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